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'कोरोना वैक्सीन से नहीं बढ़ा युवाओं में हार्ट अटैक': ICMR की स्टडी पर क्या बोले एक्सपर्ट्स?

2021 के बाद से युवा भारतीयों में हुई अचानक मृत्यु को समझने वाले ICMR की अपने तरह की पहली स्टडी के बारे में कार्डियोलॉजिस्ट क्या कहते हैं?

अनुष्का राजेश
फिट
Published:
<div class="paragraphs"><p>स्टडी में पाया गया कि कोविड वैक्सीन से अचानक मृत्यु का खतरा नहीं बढ़ा.</p></div>
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स्टडी में पाया गया कि कोविड वैक्सीन से अचानक मृत्यु का खतरा नहीं बढ़ा.

(फोटो:iStock)

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"यह अच्छा है कि ICMR ने एक फॉर्मल स्टडी की है और इस मुद्दे और अटकलों को सुलझा लिया है कि कैसे (COVID-19) टीके हृदय संबंधी घटनाओं को जन्म दे सकते हैं."

यह कहना है अपोलो अस्पताल, दिल्ली में कार्डियक सर्जन डॉ. मुकेश गोयल का.

पिछले कुछ वर्षों में आम जनता के बीच, COVID-19 टीकों और युवाओं में घातक दिल के दौरे में अचानक वृद्धि के बीच का संबंध काफी विवाद का विषय रहा है.

बड़े पैमाने पर, वास्तविक सबूतों और मामले पर विश्वसनीय डेटा की कमी के कारण ऐसी बातों को बढ़ावा मिला.

हालांकि, 21 नवंबर को, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने वर्षों के अटकलों को शांत करने और यह जांचने के लिए कि 2021 के बाद से युवा भारतीयों में अचानक होने वाली मौतों में वृद्धि के पीछे वास्तव में क्या है, एक 1.5 साल लंबी स्टडी जारी की.

स्टडी में पाया गया कि कोविड वैक्सीन से अचानक मृत्यु का खतरा नहीं बढ़ा, बल्कि कुछ हद तक कम हो गया. इसके अलावा, यह पाया गया कि गंभीर COVID ​​​​-19 इन्फेक्शन से ठीक होने के बाद भी मृत्यु का खतरा बढ़ गया.

फिट ने सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट से पूछा कि वे स्टडी और इसके निष्कर्षों (findings) के बारे में क्या सोचते हैं?

'जो हम जानते थे उसका समर्थन डेटा से करने की जरूरत थी'

नई दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट में इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी और कार्डियक पेसिंग के डायरेक्टर डॉ. अपर्णा जसवाल ने कहा, "हमने स्टडी से समझा कि युवाओं में अचानक होती मौत COVID-19 टीकों से जुड़े नहीं थीं. हम सब चाहते थे कि इस बात का समर्थन सबूत के साथ हो."

गुरुग्राम के मेदांता हार्ट इंस्टीट्यूट में क्लिनिकल एंड प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी के सीनियर डायरेक्टर डॉ. मनीष बंसल ने कहा, "स्टडी से कुछ भी ऐसा नया सामने नहीं आया है, जो हम कार्डियोलॉजी कम्युनिटी में पहले से नहीं जानते थे. लेकिन इसने इन बातों का समर्थन सबूत के साथ किया है."

"अब तक बड़े पैमाने पर कोई विश्वसनीय डेटा नहीं मिला है, जो यह कहे कि (कोविड) टीकों के कारण दिल से जुड़े रिस्क बढ़े हैं. ये स्टडी इसी बात का सबूत देता है."
डॉ. मनीष बंसल
स्टडी ने पूरे भारत में 47 टर्शरी केयर अस्पतालों से डेटा जमा किया और इसमें 18-45 वर्ष की आयु के 729 स्वस्थ व्यक्तियों के मामले की स्टडी शामिल की, जिनकी 1 अक्टूबर 2021 और 31 मार्च 2023 के बीच अस्पष्ट कारणों से अचानक मृत्यु हो गई.

डॉ. मनीष बंसल ने कहा, "वास्तव में, ऐसी स्टडी करना मुश्किल है जिसमें घातक परिणामों की तुलना उन लोगों के बीच की जाए जिन्होंने टीका प्राप्त किया है और जिन्होंने नहीं. भारत में, अधिकांश लोगों को टीका लगा है और उन्हें अलग-अलग खुराकें मिली हैं, ये एक लिमिटेशन है. लेकिन स्टडी में, उन्होंने जो सैंपल साइज लिया है वह एक बड़ी संख्या है, जो हमें एक क्लियर आईडिया देने के लिए पर्याप्त है. (इसके अलावा), स्टडी की गई 729 मौतें भारत के विभिन्न क्षेत्रों से हैं. इसलिए मुझे लगता है कि उस तरह से भी ये अच्छी तरह से रिप्रेजेंट किया गया है."

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युवाओं में हार्ट डैमेज और कोविड से संबंध

डॉ. मनीष बंसल ने कहा, "स्टडी यह भी पुष्टि करता है कि हम हृदय संबंधी घटनाओं और हार्ट डैमेज के जोखिम को बढ़ाने में कोविड ​​​​इन्फेक्शन की भूमिका के बारे में क्या जानते हैं."

डॉ. अपर्णा जसवाल के अनुसार, "स्टडी ने हमें सबूत दिया कि अतीत में अगर किसी व्यक्ति को गंभीर COVID इन्फेक्शन के कारण हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा था तो उनमें अचानक मृत्यु का खतरा अधिक था. इसके अलावा, इसने हमें पता चला कि जिन लोगों को टीके की दो खुराक मिली थीं, वे वास्तव में सेफ थे."

'युवाओं में दिल का दौरा कोई नया ट्रेंड नहीं'

डॉ. मुकेश गोयल ने कहा, "हम पिछले 20 से 25 सालों से युवाओं में होते दिल के दौरे में लगातार वृद्धि देख रहे हैं. हम (डॉक्टर और हृदय रोग विशेषज्ञ) वर्षों से इस मुद्दे को सार्वजनिक मंचों (public forums) पर उठा रहे हैं. एकमात्र बात यह है कि पहले मीडिया का इस बात पर इतना ध्यान नहीं था."

डॉ. मनीष बंसल के अनुसार, "युवा लोगों में, खास कर दिल के दौरे से, अचानक मृत्यु की घटनाओं में लगातार वृद्धि कोई नई बात नहीं है. इस मुद्दे के बारे में जागरूकता अधिक हो गई है, COVID ​​​​के कारण और मशहूर हस्तियों के बीच हाल ही में हुई मौतों के कारण भी."

"भारत में यह घटना लाइफस्टाइल (अन्हेल्थी फूड, स्ट्रेस, एक्सरसाइज की कमी), वायु प्रदूषण, अंडरलाइंग कारण और कोविड इन्फेक्शन से अधिक जुड़ी हुई है."
डॉ. मनीष बंसल

डॉ. अपर्णा जसवाल ने कहा, "स्टडी इस बात पर जोर देता है कि लाइफस्टाइल की कुछ आदतें जो युवाओं को नहीं अपनानी चाहिए, वो है एक बार में अधिक शराब पीना. एक बार में अधिक शराब पीने की तुलना में हर दूसरे दिन 30 मिलीलीटर शराब का सेवन करना बेहतर है क्योंकि इससे आप में अर्यथमियस (arrhythmias) होने का खतरा रहता है".

"याद रखने वाली बात यह भी है कि जिम जाकर अनेकस्टमेड (unaccustomed) एक्सरसाइज से शुरुआत न करें. धीरे-धीरे खुद को ट्रेन करें, शारीरिक कंडीशनिंग करें और फिर जाएं."

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