विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने घोषणा की है कि कोविड-19 अब वैश्विक महामारी नहीं है. इसपर पब्लिक हेल्थ और पॉलिसी एक्सपर्ट डॉ. चंद्रकांत लहरिया ने फिट से बात करते हुए कहा कि भारत ने ये स्थिती एक साल पहले हासिल कर ली थी.
WHO के डायरेक्टर जनरल Tedros Adhanom Ghebreyesus ने कहा कि "एक साल से ज्यादा समय से वैक्सीनेशन और इंफेक्शन के चलते लोगों में इम्यूनिटी, मृत्यु दर में कमी और स्वास्थ्य व्यवस्था पर घटते दबाव के साथ कोविड-19 महामारी अपने उतार की तरफ है."
"वैश्विक महामारी एक ऐसी स्थिति है जब कई देशों में महामारी चल रही है. 2022 के मध्य तक, अधिकांश देश कोविड का सामना कर रहे थे. भारत के लिए शायद ही कुछ बदला. जब पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी का सवाल है, जो कि अब बदल सकता है, तो निश्चित रिपोर्टिंग की आवश्यकता होती है जिसका देशों को पालन करना चाहिए."डॉ. लहरिया
छिटपुट संक्रमण होते रहेंगे
सिर्फ 20 दिन पहले, 16 अप्रैल को, भारत में कोविड के 53,720 सक्रिय मामले दर्ज किए गए थे - यह इस साल सबसे अधिक है. मामलों में मौजूदा उछाल के पीछे XBB.1.16 - ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट को जिम्मेदार माना गया है, लेकिन एक्सपर्ट्स ने कहा है कि चिंता करने की कोई बात नहीं है.
स्पाइक के दौरान, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के श्रीनाथ रेड्डी ने फिट से बात करते हुए कहा था, "ओमिक्रॉन काफी लंबा रहा है, और अब तक SARS-CoV-2 के किसी नए रूप से विस्थापित नहीं हुआ है. इनमें से कई वायरस घूम-घूमकर बढ़ेंगे." वायरोलॉजिस्ट डॉ. गगनदीप कांग ने फिट को बताया था,
"चूंकि ओमिक्रॉन से हल्की बीमारी होती है, इसलिए ओमिक्रॉन वेरिएंट के रूप में आते रहेंगे, लेकिन बीमारी ज्यादा गंभीर नहीं होगी. क्या इसका मतलब यह है कि अब गंभीर बीमारी वाला कोई वेरिएंट नहीं आएगा? मुझे नहीं लगता कि इसकी कोई गारंटी है. इससे पता चलता है कि क्लिनिकल तस्वीर और जीनोम दोनों को देखते रहना महत्वपूर्ण है."
ऐसा कई कारकों की वजह से है.
मौसम और जलवायु परिवर्तन
आबादी में इम्युनिटी के स्तर में बदलाव
व्यवहार में बदलाव- लोगों के व्यक्तिगत सावधानियां बरतने की संभावना कम है
डॉ गगनदीप ने कहा था, "तो कई कारणों से, मुझे लगता है कि हमें समय-समय पर स्पाइक्स मिलेंगे. यह लगातार होता रहेगा, जिसे हम समय-समय पर देखते रहेंगे."
अब बदलने का वक्त आ गया है
"डॉ गगनदीप कंग ने दिसंबर 2022 में एक इंटरव्यू में फिट को बताया था, "अगर मेरे पास भारत के भविष्य के लिए एक गेम-प्लान होता, तो यह अस्पतालों में श्वसन संक्रमण पैदा करने वाले वायरस चेन की टेस्टिंग पर आधारित होता, सामान्य समुदाय में नहीं. इसमें सामान्य सर्दी, खांसी या बुखार नहीं होता.
"लेकिन श्वसन संक्रमण से संबंधित बीमारियां लोगों को अस्पताल आने के लिए मजबूर कर देती हैं. इसे केवल SARS-COV-2 पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए. हमें यह देखना चाहिए कि श्वसन रोग इसके साथ-साथ और क्या पैदा कर रहे हैं. हम जानते हैं कि इन्फ्लूएंजा भी काफी होता है और श्वास की बीमारी पैदा करने वाले अन्य वायपस भी हैं. इसलिए, हमें सब कुछ ट्रैक करना चाहिए, न कि केवल SARS-COV-2. यदि आप इसे स्थानिक महामारी कहते हैं, तो सार्स-सीओवी-2 स्थानिक महामारी है."डॉ गगनदीप कांग ने फिट से कहा
विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत को फैसला करना चाहिए कि
हमारी प्राथमिकताएं क्या हैं?
महामारी के दौरान किसकी अनदेखी की गई?
मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण कैसे करें?"
क्या एक और कोविड महामारी हो सकती है?
डॉ रेड्डी ने कहा कि, अगर हम अंतरराष्ट्रीय पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी के संदर्भ में महामारी की बात कर रहे हैं, तो ऐसा होने की संभावना नहीं है, क्योंकि हम इस खास वेरिएंट को कई देशों में देख रहे हैं."
उन्होंने आगे कहा कि जब तक ओमिक्रॉन और इसके सब-वेरिएंट हावी हैं और इसके घातक कोई नया वरिएंट सामने नहीं आता है, तब तक लोग ज्यादा बीमार नहीं होंगे और लोगों के अस्पताल पहुंचने की दर में बढ़ोतरी नहीं होगी.
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