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Dust Storm's Side-Affects On Asthma Patients: दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के दूसरे हिस्सों में धूल और मलबे के साथ चलने वाली तेज हवाओं के कुछ ही दिनों बाद, 13 मई, सोमवार को मुंबई में भी एक भयंकर धूल भरी आंधी आई.
धूल भरी आंधियों से हेल्थ को नुकसान पहुंचता है. खासतौर से सांस संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं. जैसे कि अस्थमा अटैक आ सकता है, सांस लेने में तकलीफ हो सकती है, लगातार और लंबी खांसी हो सकती है, नेजल कंजेशन हो सकता है, निमोनिया भी हो सकता है और अगर मिट्टी के कारण आंखों के अंदर चले जाए तो कंजेक्टिवाइटिस भी हो सकता है.
क्या धूल भरी आंधी का अस्थमा मरीज की हेल्थ पर कितना बुरा असर होता है? ऐसे में किन लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए? डॉक्टर से संपर्क कब करना चाहिए? धूल भरी आंधी चलने पर क्या करें? फिट हिंदी ने एक्सपर्ट्स से बात की और जानें इन सवालों के जवाब.
धूल भरी आंधी से अस्थमा मरीज को हेल्थ प्रॉब्लम हो सकती है. अगर अस्थमा अनकंट्रोल्ड है और मरीज रेगुलर मेडिसिन पर है, तो हॉस्पिटलाइजेशन तक की नौबत आ सकती है.
गुरुग्राम के सीके बिरला अस्पताल में क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख, डॉ. कुलदीप कुमार ग्रोवर कहते हैं,
वहीं मेदांता हॉस्पिटल के डॉ. आशीष कुमार प्रकाश बताते हैं कि अस्थमा रोगियों के एयरवेज सेंसेटिव होते हैं, जिनमें सूजन होती है. जिसके कारण तरह-तरह के ट्रिगर्स के प्रति सेंसिटिविटी बढ़ जाती है. धूल भरी आंधियों के संपर्क में आने पर हवा में मौजूद सूक्ष्म कण फेफड़ों में गहराई तक जा सकते हैं.
सूजन की प्रतिक्रिया एयरवेज में सूजन (swelling) और संकुचन (narrowing) का कारण बन सकती है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है. इसके अलावा, धूल के मॉलिक्यूल्स का मौजूद होना म्यूकस के उत्पादन को बढ़ा सकता है, जिससे हवा का फ्लो और भी बंद हो जाता है.
डॉ. आशीष कुमार प्रकाश कहते हैं कि ऐसे में अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में कठिनाई बढ़ना, घरघराहट, खांसी, सीने में जकड़न और फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी जैसे लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए.
इसके अलावा, अस्थमा की गंभीर तीव्रता (asthma exacerbations) के किसी भी लक्षण, जैसे कि नीले होंठ या नाखून, बोलने में कठिनाई या सांस की अत्यधिक कमी की बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए.
अस्थमा धूल भरी आंधी के कारण ट्रिगर होता है, तो डॉक्टर के रेगुलर संपर्क में रहना जरुरी है. धूल भरी आंधी के बाद गंभीर अस्थमा के लक्षणों का अनुभव हो रहा हो, जिन पर रेस्क्यू इन्हेलर का कोई असर नहीं हो रहा है, सांस लेने में लगातार कठिनाई हो रही है या श्वसन संकट के कोई लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द मेडिकल हेल्प लेना जरुरी है.
धूल भरी आंधी के दौरान, अस्थमा के रोगियों को जितना संभव हो सके घर के अंदर रहना चाहिए और धूल के कणों के संपर्क को कम करने के लिए खिड़कियां और दरवाजे बंद रखने चाहिए.
आंधी में बाहर नहीं निकलना चाहिए पर अगर फिर भी किसी काम से बाहर जाना पड़े तो N 99 मास्क जरूर रखें और अपनी आंखों को भी कवर करें.
मिट्टी वाली आंधी आए तो अस्थमा के मरीज अपना नेबुलाइजर निकाल कर उसका इस्तेमाल करें.
धूल भरी आंधी में अस्थमा का मरीज बेचैनी महसूस करें या उसे अस्थमा अटैक के कोई लक्षण दिखे तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें.
HEPA फिल्टर के साथ एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने से घर के अंदर हवा में मौजूद कणों को हटाने में मदद मिल सकती है.
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