Dust Storms in Delhi NCR: कड़ी और चिलचिलाती गर्मी के बीच, दिल्ली-एनसीआर (Delhi- NCR) और उत्तर भारत के कई हिस्सों में अचानक से 10 मई की रात धूल और मिट्टी के साथ तेज हवाएं चलीं.
तेज हवा के झोंकों की वजह से 2 लोगों की मौत हो गई और कम से कम 6 लोग घायल हो गए हैं.
अचानक आए इस धूल भरी आंधी का क्या कारण है? यह आपके स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डालते हैं? क्या आप इसके लिए पहले से तैयारी कर सकते हैं? इन सब सवालों के जवाब हम आपको इस आर्टिकल के जरिए बताएंगे.
सांस के जरिए ज्यादा मात्रा में धूल- रेत शरीर में जाने से स्वास्थ्य पर क्या होता है असर?
एक्सपर्ट्स के अनुसार सांस लेने के दौरान ज्यादा मात्रा में धूल, रेत और अन्य प्रदूषकों के अंदर जाने से फेफड़ों पर दबाव पड़ता है और नाक, गले और आंखों में जलन भी अनुभव किया जा सकता है.
इस वजह से स्वस्थ लोगों में भी जलन और एलर्जी के लक्षण आ सकते हैं. हालांकि दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट में पल्मोनोलॉजी और क्रिटिकल केयर के निदेशक और प्रमुख डॉ. भरत गोपाल कहते हैं, "जब धूल, रेत और अन्य प्रदूषक ज्यादा मात्रा में संपर्क में आते हैं तो एक स्वस्थ व्यक्ति को भी इससे एलर्जी हो सकती है. जिसके कारण नाक बहना, छींक आना और आंखों में खुजली के साथ-साथ सांस फूलना और घरघराहट जैसे लक्षण हो सकते हैं."
किसको अधिक खतरा है?
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के आंतरिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ सुरनजीत चटर्जी के अनुसार, जिन लोगों में ज्यादा गंभीर रिएक्शन का खतरा होता है, वे हैं:
धूम्रपान करने वाले (स्मोकर्स)
ब्रोंकाइटिस के मरीज
अस्थमा के मरीज
पिछली बीमारियों और इंफेक्शनों के कारण फेफड़ों पर हुए प्रभाव वाले लोग
टीबी के मरीज
डॉ सुरनजीत चटर्जी ने आगे कहा, "इन्हें अधिक लगातार या गंभीर घरघराहट, खांसी, सांस फूलना या उनकी अंदरूनी समस्याएं या बीमारी बढ़ सकती हैं."
क्या धूल- कण वगैरह से हो सकता है संक्रमण?
डॉ. चटर्जी कहते हैं, "धूल की वजह से संक्रमण नहीं होगा, लेकिन हम नहीं जानते कि इस हवा के साथ में और क्या है. हवा में होने वाले अन्य संक्रामक कण बीमारी का कारण बन सकते हैं."
इसके अलावा, हाल के अध्ययनों से पता चला है कि बड़ी मात्रा में धूल और अन्य महीन या अति सूक्ष्म कणों के संपर्क में आने से कई अंगों में सूजन हो सकती है.
बॉडी के बाहरी हिस्सों, जैसै कि यह कुछ लोगों में त्वचा पर चकत्ते और जलन और आंखों में जलन पैदा कर सकता है. लेकिन इसके साथ ही, सांस के रास्ते, दिल, अंतःस्रावी, हेमटोलॉजिकल और पाचन तंत्र में आंतरिक सूजन भी होती है.
क्या धूल भरी आंधियां लगातार बढ़ती जा रही हैं और क्यों?
धूल भरी आंधियां पृथ्वी के जैव-रासायनिक चक्र का एक स्वाभाविक हिस्सा है, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया भर में धूल भरी आंधियां "तेजी से लगातार और गंभीर" होती जा रही हैं.
"पर्यावरण, स्वास्थ्य, कृषि, आजीविका और सामाजिक-आर्थिक कल्याण पर उनके महत्वपूर्ण प्रभावों के कारण यह हाल के दशकों में एक गंभीर वैश्विक चिंता बन गए हैं."रेत और धूल भरी आंधियों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र गठबंधन
हाल के संयुक्त राष्ट्र के अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि यह स्वाभाविक रूप से हो सकता है, जहां गैर-रेगिस्तानी क्षेत्रों में धूल भरी आंधियों को बड़े पैमाने पर मानवीय गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. इसमें कृषि पद्धतियां, जल उपयोग, मृदा प्रबंधन, वनों की कटाई और शहरीकरण, साथ ही जलवायु परिवर्तन भी शामिल हैं.
रेत और धूल भरी आंधियों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र गठबंधन के अनुसार, सालाना दो मिलियन टन धूल उत्सर्जित होती है.
आप खुद की रक्षा कैसे कर सकते हैं?
FIT ने इस विषय पर जिन विशेषज्ञों से बात की, उनके अनुसार, धूल भरी आंधियों के दौरान और उसके कुछ दिनों बाद भी ध्यान रखने योग्य कुछ बातें जो नीचे लिखी हैं.
जितना हो सके घर के अंदर ही रहें.
खिड़कियां, वेंटिलेटर्स और दरवाजे अच्छी तरह से बंद रखें.
यदि आपको बाहर निकलना पड़े तो अच्छे मास्क का इस्तेमाल करें.
बाहर व्यायाम करने से बचें.
यदि मुमकिन हो तो घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें.
डॉ. गोपाल के अनुसार, ''अपनी दवाएं ठीक से लें और इस तरह के कोई लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें.''
कैसा मास्क पहनें?
डॉ. सुरनजीत चटर्जी के अनुसार, "सभी मास्क धूल और छोटे कणों को फिल्टर करने में मदद नहीं कर सकते हैं."
इस तरह की घटनाओं या प्रदूषण से बचने के लिए अच्छे से डिजाइन और अच्छी तरह से फिट किए गए N95 और N99 मास्क थोड़े समय के लिए मदद कर सकते हैं.
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