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Fake Liver And Cancer Drugs: देश के शीर्ष ड्रग रेगुलेटर, सेंट्रल ड्रग्स स्टैण्डर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) ने स्टेट रेग्युलेटर्स, डॉक्टरों और मरीजों को दो दवाओं - लीवर की दवा डेफिटालियो (Defitelio) और कैंसर की दवा एडसेट्रिस (Adcetris) के बारे में सतर्क रहने को कहा है और इसकी वजह है WHO की दी हुई चेतावनी.
WHO ने इन दवाओं के नकली संस्करणों (version) के खिलाफ चेतावनी जारी की है. ये नकली दवाएं भारत सहित चार देशों में पाए जा रहे हैं. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.
भारत में लिवर की दवा डिफिटेलियो (Defitelio) और कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन एडसेट्रिस (Adcetris) के नकली वर्जन मौजूद हैं. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने इसकी जानकारी दी है. साथ ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ड्रग कंट्रोलर को इन दवाओं पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं.
कुछ दिनों पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन दवाओं को लेकर अलर्ट जारी किया था. इसके बाद DCGI ने 5 सितंबर को बताया कि भारत सहित चार देशों में एडसेट्रिस इंजेक्शन के 50 मिलीग्राम के कई नकली वर्जन मौजूद हैं, जिसे टेकेडा फार्मास्युटिकल कंपनी लिमिटेड बनाती है. ये दवाएं अक्सर मरीज को निजी स्तर पर उपलब्ध कराई जाती हैं, जिनकी सप्लाई मुख्य रूप से ऑनलाइन होती है.
सीडीएससीओ द्वारा भेजे गए दो अलर्ट में कहा गया है, "अपने अधिकारियों को बाजार में इन दवाओं की आवाजाही, बिक्री और वितरण पर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दें." इसमें कहा गया है कि दवाओं के नमूनों का परीक्षण किया जाना चाहिए.
अलर्ट डॉक्टरों से आग्रह करते हैं कि वे सावधानी के साथ दोनों दवाएं मरीज को लिखें और मरीजों को किसी भी प्रतिकूल घटना की रिपोर्ट करने के बारे में शिक्षित करें. साथ ही ये दवाएं किसी ऑथोराइज्ड मेडिकल स्टोर से ही खरीदने की सलाह देने को कहा है.
डेफिटालियो का उपयोग एक गंभीर स्थिति के इलाज के लिए किया जाता है, जहां लिवर वेसल्स ब्लॉक्ड हो जाती हैं और एडसेट्रिस का उपयोग एक प्रकार के ब्लड कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है.
डब्ल्यूएचओ (WHO) ने कहा "यह नकली उत्पाद भारत (अप्रैल 2023) और तुर्की (जुलाई 2023) में पाया गया है और इसे रेगुलेटेड और ऑथराइज्ड चैनलों के बाहर सप्लाई की गई थी." इसमें कहा गया है कि डिफिटेलियो के वास्तविक निर्माता ने पुष्टि की है कि अलर्ट में संदर्भित प्रोडक्ट गलत है.
डब्ल्यूएचओ (WHO) द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर, ड्रग कंट्रोलर ने कहा कि असली दवाएं जर्मनी और ऑस्ट्रिया में पैक की जाती हैं, जबकि नकली वर्जन को उन्हें यूके और आयरलैंड में पैक किया गया था.
अलर्ट में कहा गया है, "बताई गई एक्सपायरी डेट गलत है और रजिस्टर्ड शेल्फ लाइफ से मेल नहीं खाती है." इसके अलावा, प्रोडक्ट के पास भारत और तुर्की में मार्केटिंग ऑथोराइजेशन नहीं है.
कुछ दिनों पहले ड्रग रेगुलेटरी बॉडी, DCGI ने एबॉट इंडिया की गोवा फैसिलिटी में बनी डाइजीन जेल के उपयोग के खिलाफ चेतावनी दी थी. लोकप्रिय एंटासिड डाइजीन जेल के कई बैचों को उसकी मूल कंपनी एबॉट इंडिया ने बदले हुए रंग के साथ दुर्गंध की शिकायत के बाद वापस मंगा लिया है.
एक ग्राहक ने शिकायत की थी कि इस्तेमाल की जाने वाली डाइजीन जेल मिंट फ्लेवर की एक बोतल का स्वाद हमेशा की तरह मीठा और रंग हल्का गुलाबी था जबकि उसी बैच की एक दूसरी बोतल में कड़वा स्वाद और तीखी गंध के साथ सफेद रंग का था.
(इन्पुट्स: द इण्डियन एक्सप्रेस)
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