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Stomach Cancer: लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर दूर करें पेट के कैंसर की आशंका

पेट के कैंसर के लक्षण जल्दी पकड़ में नहीं आते या इसके शुरुआती लक्षण किसी दूसरे पेट की समस्या होने का भ्रम देते हैं.

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Stomach Cancer Prevention: कैंसर की बीमारी धीरे-धीरे अब काफी आम बनती जा रही है. कैंसर कई बार लाइफस्टाइल से जुड़ा होता है. पेट का कैंसर भी उनमें से एक है. कुछ स्टडी ने पेट के कैंसर के साथ कुछ तरह के आहार और लाइफस्टाइल के पैटर्न को जोड़ा है.

क्यों होता है पेट का कैंसर? पेट के कैंसर के शुरुआती लक्षण क्या हैं? क्या हैं पेट के कैंसर के स्टेज? क्या है पेट के कैंसर का इलाज? क्या पेट का कैंसर लाइफस्टाइल के कारण हो सकता है? पेट के कैंसर से कैसे बचें? फिट हिंदी ने इन सारे जरूरी सवालों के जवाब जाने कैंसर एक्सपर्ट्स से.

Stomach Cancer: लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर दूर करें पेट के कैंसर की आशंका

  1. 1. क्यों होता है पेट का कैंसर?

    पेट के कैंसर के कारण का स्पष्ट रूप से अभी तक पता नहीं चल पाया है. कुछ रिसर्च के अनुसार, ज्‍यादा मसालेदार खाना, स्‍मोक्‍ड, तेल-मसाला और ज्‍यादा नमक वाला खाना (विशेष रूप से मांस और मछली) का सेवन अक्सर पेट के कैंसर का कारण होता है. इस तरह का स्मोक्ड, मसालेदार भोजन विशेष रूप से भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में खाया जाता है और यही कारण है कि इनमें से कुछ क्षेत्रों में पेट का कैंसर होना सामान्‍य है. पेट के कैंसर के कुछ मामले एच पाइलोरी बैक्टीरिया से लंबे समय तक बैक्‍टीरिया संक्रमण के कारण भी हो सकते हैं.

    "एच पाइलोरी (H. Pylori) बैक्टीरिया का लंबे समय तक संक्रमण, पेट की अंदरूनी परत में परिवर्तन पैदा कर सकता है और कैंसर का कारण बन सकता है. अधिक वजन होने से भी पेट के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है."
    डॉ. विनीता गोयल, डायरेक्‍टर एंड हेड, रेडिएशन ऑन्‍कोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल शालीमार बाग

    पेट का कैंसर होने के कारणों में शामिल हैं:

    • लगातार तंबाकू का सेवन 

    • शराब पीना

    • मोटापा या अनियंत्रित शारीरिक वजन 

    • लगातार रहने वाली एसिडिटी की समस्या 

    • लगातार अधिक मसालेदार, तला भुना, फास्ट फूड खाना

    • सही तरह से नहीं पके मीट का सेवन

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  2. 2. पेट के कैंसर के लक्षण क्या हैं?

    फिट हिंदी से बात करते हुए दोनों एक्सपर्ट ने लक्षणों पर ध्यान देने को कहा और समय रहते इलाज को प्राथमिकता देने की बात कही. पेट के कैंसर के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

    • भूख कम लगना

    • वजन कम होना

    • उल्टी

    • पेट में दर्द

    • सीने में जलन

    • अपच और उल्टी में खून आना

    • पेट फूलना

    • पेट में गैस्ट्रिक और पाचन की लगातार समस्या

    • खाना खाते समय बहुत जल्दी पेट भरा हुआ महसूस होना

    "इनमें से कुछ लक्षण रोजमर्रा के सामान्य लक्षण हैं. कैंसर से जल्द छुटकारा पाने का मूलमंत्र यह है कि अगर यहां बताए गए लक्षणों में से कोई भी 2 सप्ताह से अधिक समय तक बना रहता है, तो व्यक्ति को कैंसर से बचने के लिए डॉक्टर से मिलना चाहिये और जरूरी जांच करानी चाहिए."
    डॉ. अर्चित पंडित, डायरेक्टर एंड एच. ओ. डी., सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम

    पेट का कैंसर के मूल लक्षणों में एक लक्षण है उल्टी के साथ खून आना, जो स्वाभाविक रूप से जोखिम की ओर संकेत करता है. इसी कड़ी में एक और लक्षण है एसिडिटी की समस्या रहना. हालांकि, इन लक्षणों से किसी सामान्य समस्या का आभास हो सकता है.

    आमतौर पर माना जाता है कि पेट के कैंसर के लक्षण या तो जल्दी पकड़ में नहीं आते या इसके शुरुआती लक्षण किसी दूसरे पेट की समस्या होने का भ्रम देते हैं.
    "इसलिए लगातार रहने वाली एसिडिटी या पेट की गड़बड़ी की समस्या निश्चित ही जांच का विषय है. अगर आपको या आपके परिवार में किसी सदस्य को ऐसी समस्याएं लगातार रहतीं हैं, तो डॉक्टर से जांच करवाएं और इलाज की सही दिशा तय करें."
    डॉ. विनीता गोयल, डायरेक्‍टर एंड हेड, रेडिएशन ऑन्‍कोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल शालीमार बाग
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  3. 3. क्या हैं पेट के कैंसर (Stomach Cancer) के स्टेज?

    सभी तरह के कैंसर की तरह, पेट के कैंसर के भी चार स्‍टेज होते हैं. एक्सपर्ट से जानते हैं हर स्टेज के बारे में विस्तार से.

    स्टेज 1 (Stage 1)

    स्टेज 1 का मतलब कैंसर की शुरुआती, जिसमें समस्या पेट की भीतरी परत में होती है और इलाज से इसके ठीक होने की संभावना अधिक रहती है.

    स्टेज 2 (Stage 2)

    कैंसर को स्टेज 2 में तब कहा जाता है जब यह बड़ा और गहरा होता है, लेकिन इसका दायरा पेट के अंदर ही होता है.

    स्टेज 3 (Stage 3)

    स्टेज 3 का कैंसर उस अवस्था को कहा जाता है, जब यह पेट के चारों ओर लसिका ग्रंथियों (लिम्‍फ ग्‍लैंड्स) में फैल जाता है. स्टेज 3 कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी से किया जाता है.

    स्टेज 4 (Stage 4)

    पेट के कैंसर को स्‍टेज 4 में तब कहा जाता है, जब यह बढ़कर पेट की दीवार से शरीर के दूसरे अंगों जैसे कि लिवर, लंग्‍स या हड्डी में फैल जाता है. स्‍टेज 4 में, कैंसर का इलाज मुख्य रूप से कीमोथेरेपी और लक्षित उपचार (targeted therapy) के साथ किया जाता है और इसमें रोगी के लंबे समय तक जीवित रहने की उम्मीद कम होती है.

    "स्टेज 1 और 2, एक प्रकार से शुरुआती चरण हैं, जब कैंसर अपने सीमित दायरे में यानी पेट के अलावा किसी दूसरे अंग में नहीं फैला होता. स्टेज 3 में पेट का कैंसर केवल पेट में ही न रहकर लिम्फ नोड्स में फैलना शुरू हो जाता है और स्टेज 4 इस कैंसर के लिवर, फेफड़े जैसे अंगों में फैल चुके होने की आशंका रहती है."
    डॉ. अर्चित पंडित, डायरेक्टर एंड एच. ओ. डी., सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम
    कैंसर के स्‍टेज का एसेसमेंट अक्सर पूरे शरीर के पीईटी सीटी स्कैन द्वारा किया जाता है. एडवांस्‍ड स्‍टेज में कैंसर पता चलने की तुलना में शुरुआती चरण में कैंसर का पता चलने पर कम उपचार की जरूरत होती है और रोगी के ठीक होने की दर भी अधिक होती है.
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  4. 4. क्या है पेट के कैंसर का इलाज?

    "पेट के कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी से किया जाता है. इन उपचार विकल्पों का सही क्रम में उपयोग करना आवश्यक है. शुरुआती स्‍टेज में पेट के कैंसर का सर्जरी से सबसे अच्छा इलाज किया जाता है, जैसे कि पेट और आस-पास के लिम्फ नोड्स को हटा देना. अगर उपयुक्त हो तो यह सर्जरी लैप्रोस्कोपिक तरीके से की जा सकती है."
    डॉ. विनीता गोयल, डायरेक्‍टर एंड हेड, रेडिएशन ऑन्‍कोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल शालीमार बाग
    • स्टेज 1 और बहुत हद तक स्टेज 2 की अगर बात करें, तो इसमें कैंसर को सर्जरी से निकालने का प्रयास किया जाता है, ऐसे में कैंसर समेत पेट का एक हिस्सा भी निकला जा सकता है. यह सर्जरी पूरी तरह सुरक्षित होती है, जिसके बाद रोगी पूरी तरह ठीक होकर वापस सामान्य जीवन में लौट सकता है. 

    • स्टेज 3 में कैंसर नष्ट करने के लिए कीमोथेरेपी की जा सकती है और उसके बाद सर्जरी की जाती है. 

    • स्टेज 4 में कैंसर गंभीर रूप से दूसरे अंगों में फैल चुका होता है ऐसे में सावधानीपूर्वक कीमोथेरेपी के से कैंसर को नष्ट किया जाता है.

    अधिकतर लोकल एडवांस्‍ड पेट के कैंसर में पेट के सर्जिकल उपचार के बाद रोग को सिकोड़ने और कम करने के लिए प्री-सर्जरी कीमोथेरेपी की आवश्यकता होती है. इनमें से अधिकांश रोगियों को सर्जरी के बाद फाइनल पोस्ट-सर्जिकल बायोप्सी रिपोर्ट के आधार पर अधिक कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी की आवश्यकता होती है. स्टेज 4 कैंसर, जो दूसरे अंगों जैसे लिवर, फेफड़े या पेरिटोनियम में फैल गया है, उसमें बायोप्सी और मार्कर परिणामों के अनुसार कीमोथेरेपी और टारगेटेड दवाओं की आवश्यकता होती है.

    "याद रखें, किसी भी दूसरे कैंसर की तरह पेट के कैंसर का इलाज भी रोग की गंभीरता, मरीज की दूसरी संबंधित बीमारियां और कैंसर की स्टेज पर निर्भर करता है. इसलिए एक रोगी का इलाज ठीक उसी रोग से जूझ रहे दूसरे रोगी से अलग हो सकता है."
    डॉ. अर्चित पंडित, डायरेक्टर एंड एच. ओ. डी., सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम
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  5. 5. क्या लाइफस्टाइल के कारण हो सकता है पेट का कैंसर?

    आजकल ज्यादातर कैंसर लाइफस्टाइल से संबंधित विकार (disorder) हैं और पेट का कैंसर भी उनमें से एक है. रिसर्च ने पेट के कैंसर के साथ कुछ आहार और लाइफस्टाइल के पैटर्न को जोड़ा है. पेट के कैंसर को रोकने के लिए, यह सलाह दी जाती है कि व्यक्ति को अधिक सब्जियों, फलों और साबुत अनाज के साथ स्वस्थ आहार का सेवन करना चाहिए. गर्म और मसालेदार खाना कम खाना चाहिए. स्वस्थ जीवनशैली पेट के कैंसर सहित सभी तरह के कैंसर को रोकने में काफी मददगार साबित होती है.

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  6. 6. पेट के कैंसर से कैसे बचें?

    लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ पेट के कैंसर के जोखिम से बचा जा सकता है. बदलाव जो हमें करने चाहिए वो हैं: 

    • तंबाकू का सेवन न करें 

    • स्वस्थ भोजन को तवज्जो दें 

    • हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं

    • शराब से बचें

    • तनाव से दूर रहें 

    • सक्रिय जीवनशैली अपनाएं

    • हर दिन एक्सरसाइज करें

    • हेल्थ चेकअप कराते रहें

    (हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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क्यों होता है पेट का कैंसर?

पेट के कैंसर के कारण का स्पष्ट रूप से अभी तक पता नहीं चल पाया है. कुछ रिसर्च के अनुसार, ज्‍यादा मसालेदार खाना, स्‍मोक्‍ड, तेल-मसाला और ज्‍यादा नमक वाला खाना (विशेष रूप से मांस और मछली) का सेवन अक्सर पेट के कैंसर का कारण होता है. इस तरह का स्मोक्ड, मसालेदार भोजन विशेष रूप से भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में खाया जाता है और यही कारण है कि इनमें से कुछ क्षेत्रों में पेट का कैंसर होना सामान्‍य है. पेट के कैंसर के कुछ मामले एच पाइलोरी बैक्टीरिया से लंबे समय तक बैक्‍टीरिया संक्रमण के कारण भी हो सकते हैं.

"एच पाइलोरी (H. Pylori) बैक्टीरिया का लंबे समय तक संक्रमण, पेट की अंदरूनी परत में परिवर्तन पैदा कर सकता है और कैंसर का कारण बन सकता है. अधिक वजन होने से भी पेट के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है."
डॉ. विनीता गोयल, डायरेक्‍टर एंड हेड, रेडिएशन ऑन्‍कोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल शालीमार बाग

पेट का कैंसर होने के कारणों में शामिल हैं:

  • लगातार तंबाकू का सेवन 

  • शराब पीना

  • मोटापा या अनियंत्रित शारीरिक वजन 

  • लगातार रहने वाली एसिडिटी की समस्या 

  • लगातार अधिक मसालेदार, तला भुना, फास्ट फूड खाना

  • सही तरह से नहीं पके मीट का सेवन

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पेट के कैंसर के लक्षण क्या हैं?

फिट हिंदी से बात करते हुए दोनों एक्सपर्ट ने लक्षणों पर ध्यान देने को कहा और समय रहते इलाज को प्राथमिकता देने की बात कही. पेट के कैंसर के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • भूख कम लगना

  • वजन कम होना

  • उल्टी

  • पेट में दर्द

  • सीने में जलन

  • अपच और उल्टी में खून आना

  • पेट फूलना

  • पेट में गैस्ट्रिक और पाचन की लगातार समस्या

  • खाना खाते समय बहुत जल्दी पेट भरा हुआ महसूस होना

"इनमें से कुछ लक्षण रोजमर्रा के सामान्य लक्षण हैं. कैंसर से जल्द छुटकारा पाने का मूलमंत्र यह है कि अगर यहां बताए गए लक्षणों में से कोई भी 2 सप्ताह से अधिक समय तक बना रहता है, तो व्यक्ति को कैंसर से बचने के लिए डॉक्टर से मिलना चाहिये और जरूरी जांच करानी चाहिए."
डॉ. अर्चित पंडित, डायरेक्टर एंड एच. ओ. डी., सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम

पेट का कैंसर के मूल लक्षणों में एक लक्षण है उल्टी के साथ खून आना, जो स्वाभाविक रूप से जोखिम की ओर संकेत करता है. इसी कड़ी में एक और लक्षण है एसिडिटी की समस्या रहना. हालांकि, इन लक्षणों से किसी सामान्य समस्या का आभास हो सकता है.

आमतौर पर माना जाता है कि पेट के कैंसर के लक्षण या तो जल्दी पकड़ में नहीं आते या इसके शुरुआती लक्षण किसी दूसरे पेट की समस्या होने का भ्रम देते हैं.
"इसलिए लगातार रहने वाली एसिडिटी या पेट की गड़बड़ी की समस्या निश्चित ही जांच का विषय है. अगर आपको या आपके परिवार में किसी सदस्य को ऐसी समस्याएं लगातार रहतीं हैं, तो डॉक्टर से जांच करवाएं और इलाज की सही दिशा तय करें."
डॉ. विनीता गोयल, डायरेक्‍टर एंड हेड, रेडिएशन ऑन्‍कोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल शालीमार बाग
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क्या हैं पेट के कैंसर (Stomach Cancer) के स्टेज?

सभी तरह के कैंसर की तरह, पेट के कैंसर के भी चार स्‍टेज होते हैं. एक्सपर्ट से जानते हैं हर स्टेज के बारे में विस्तार से.

स्टेज 1 (Stage 1)

स्टेज 1 का मतलब कैंसर की शुरुआती, जिसमें समस्या पेट की भीतरी परत में होती है और इलाज से इसके ठीक होने की संभावना अधिक रहती है.

स्टेज 2 (Stage 2)

कैंसर को स्टेज 2 में तब कहा जाता है जब यह बड़ा और गहरा होता है, लेकिन इसका दायरा पेट के अंदर ही होता है.

स्टेज 3 (Stage 3)

स्टेज 3 का कैंसर उस अवस्था को कहा जाता है, जब यह पेट के चारों ओर लसिका ग्रंथियों (लिम्‍फ ग्‍लैंड्स) में फैल जाता है. स्टेज 3 कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी से किया जाता है.

स्टेज 4 (Stage 4)

पेट के कैंसर को स्‍टेज 4 में तब कहा जाता है, जब यह बढ़कर पेट की दीवार से शरीर के दूसरे अंगों जैसे कि लिवर, लंग्‍स या हड्डी में फैल जाता है. स्‍टेज 4 में, कैंसर का इलाज मुख्य रूप से कीमोथेरेपी और लक्षित उपचार (targeted therapy) के साथ किया जाता है और इसमें रोगी के लंबे समय तक जीवित रहने की उम्मीद कम होती है.

"स्टेज 1 और 2, एक प्रकार से शुरुआती चरण हैं, जब कैंसर अपने सीमित दायरे में यानी पेट के अलावा किसी दूसरे अंग में नहीं फैला होता. स्टेज 3 में पेट का कैंसर केवल पेट में ही न रहकर लिम्फ नोड्स में फैलना शुरू हो जाता है और स्टेज 4 इस कैंसर के लिवर, फेफड़े जैसे अंगों में फैल चुके होने की आशंका रहती है."
डॉ. अर्चित पंडित, डायरेक्टर एंड एच. ओ. डी., सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम
कैंसर के स्‍टेज का एसेसमेंट अक्सर पूरे शरीर के पीईटी सीटी स्कैन द्वारा किया जाता है. एडवांस्‍ड स्‍टेज में कैंसर पता चलने की तुलना में शुरुआती चरण में कैंसर का पता चलने पर कम उपचार की जरूरत होती है और रोगी के ठीक होने की दर भी अधिक होती है.
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क्या है पेट के कैंसर का इलाज?

"पेट के कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी से किया जाता है. इन उपचार विकल्पों का सही क्रम में उपयोग करना आवश्यक है. शुरुआती स्‍टेज में पेट के कैंसर का सर्जरी से सबसे अच्छा इलाज किया जाता है, जैसे कि पेट और आस-पास के लिम्फ नोड्स को हटा देना. अगर उपयुक्त हो तो यह सर्जरी लैप्रोस्कोपिक तरीके से की जा सकती है."
डॉ. विनीता गोयल, डायरेक्‍टर एंड हेड, रेडिएशन ऑन्‍कोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल शालीमार बाग
  • स्टेज 1 और बहुत हद तक स्टेज 2 की अगर बात करें, तो इसमें कैंसर को सर्जरी से निकालने का प्रयास किया जाता है, ऐसे में कैंसर समेत पेट का एक हिस्सा भी निकला जा सकता है. यह सर्जरी पूरी तरह सुरक्षित होती है, जिसके बाद रोगी पूरी तरह ठीक होकर वापस सामान्य जीवन में लौट सकता है. 

  • स्टेज 3 में कैंसर नष्ट करने के लिए कीमोथेरेपी की जा सकती है और उसके बाद सर्जरी की जाती है. 

  • स्टेज 4 में कैंसर गंभीर रूप से दूसरे अंगों में फैल चुका होता है ऐसे में सावधानीपूर्वक कीमोथेरेपी के से कैंसर को नष्ट किया जाता है.

अधिकतर लोकल एडवांस्‍ड पेट के कैंसर में पेट के सर्जिकल उपचार के बाद रोग को सिकोड़ने और कम करने के लिए प्री-सर्जरी कीमोथेरेपी की आवश्यकता होती है. इनमें से अधिकांश रोगियों को सर्जरी के बाद फाइनल पोस्ट-सर्जिकल बायोप्सी रिपोर्ट के आधार पर अधिक कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी की आवश्यकता होती है. स्टेज 4 कैंसर, जो दूसरे अंगों जैसे लिवर, फेफड़े या पेरिटोनियम में फैल गया है, उसमें बायोप्सी और मार्कर परिणामों के अनुसार कीमोथेरेपी और टारगेटेड दवाओं की आवश्यकता होती है.

"याद रखें, किसी भी दूसरे कैंसर की तरह पेट के कैंसर का इलाज भी रोग की गंभीरता, मरीज की दूसरी संबंधित बीमारियां और कैंसर की स्टेज पर निर्भर करता है. इसलिए एक रोगी का इलाज ठीक उसी रोग से जूझ रहे दूसरे रोगी से अलग हो सकता है."
डॉ. अर्चित पंडित, डायरेक्टर एंड एच. ओ. डी., सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम
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क्या लाइफस्टाइल के कारण हो सकता है पेट का कैंसर?

आजकल ज्यादातर कैंसर लाइफस्टाइल से संबंधित विकार (disorder) हैं और पेट का कैंसर भी उनमें से एक है. रिसर्च ने पेट के कैंसर के साथ कुछ आहार और लाइफस्टाइल के पैटर्न को जोड़ा है. पेट के कैंसर को रोकने के लिए, यह सलाह दी जाती है कि व्यक्ति को अधिक सब्जियों, फलों और साबुत अनाज के साथ स्वस्थ आहार का सेवन करना चाहिए. गर्म और मसालेदार खाना कम खाना चाहिए. स्वस्थ जीवनशैली पेट के कैंसर सहित सभी तरह के कैंसर को रोकने में काफी मददगार साबित होती है.

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पेट के कैंसर से कैसे बचें?

लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ पेट के कैंसर के जोखिम से बचा जा सकता है. बदलाव जो हमें करने चाहिए वो हैं: 

  • तंबाकू का सेवन न करें 

  • स्वस्थ भोजन को तवज्जो दें 

  • हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं

  • शराब से बचें

  • तनाव से दूर रहें 

  • सक्रिय जीवनशैली अपनाएं

  • हर दिन एक्सरसाइज करें

  • हेल्थ चेकअप कराते रहें

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