मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Fit Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Heatwave: हीट वेव का सामना कैसे करें? बता रहे हैं एक्सपर्ट

Heatwave: हीट वेव का सामना कैसे करें? बता रहे हैं एक्सपर्ट

Heatwave In India: हीट स्ट्रोक बच्चों और बुजुर्गों में कभी- कभी जानलेवा भी हो सकता है.

अश्लेषा ठाकुर
फिट
Updated:
<div class="paragraphs"><p>Heatwave in India:&nbsp;हीट वेव से किसे ज्यादा खतरा होता है? कौन से अंग जोखिम में होते हैं?</p></div>
i

Heatwave in India: हीट वेव से किसे ज्यादा खतरा होता है? कौन से अंग जोखिम में होते हैं?

(फोटो: iStock)

advertisement

Heatwave In India: देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी ने आम जनजीवन को परेशानी में डाल दिया है. मौसम की मार ने बड़ों और बच्चों में कई बीमारियों के साथ-साथ हीट स्ट्रोक होने का खतरा भी बढ़ा दिया है. बढ़ती गर्मी और उमस के चलते लाखों भारतीयों को हीट स्ट्रोक, दौरे और गर्मी से जुड़ी दूसरी बीमारियों से मौत का खतरा बढ़ गया है. 

बहुत अधिक गर्मी होने पर व्यक्ति के शरीर पर उसका क्या असर पड़ता है? हीट वेव से किसे ज्यादा खतरा होता है? कौन से अंग जोखिम में होते हैं? हीट वेव का सामना कैसे करें?आइए जानते हैं एक्सपर्ट से.

बहुत अधिक गर्मी होने पर व्यक्ति के शरीर पर उसका क्या असर पड़ता है?

जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है भारत के कई हिस्सों में, खासतौर से समुद्र तटीय राज्यों में वेट बल्ब टेंपरेचर (wet bulb temperature) का उस स्तर पर पहुंचने का खतरा पैदा हो गया है, जिसे इंसानी शरीर कतई सहन नहीं पाएगा और ज्यादा गर्मी से बात जान से जाने पर भी आ जायेगी.

फिट हिंदी से बात करते हुए डॉ. तुषार तायल कहते हैं, "हमारे शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है और जैसे ही वातावरण का तापमान 40 डिग्री से ऊपर पहुंचता है तो हमारे शरीर का तापमान भी बढ़ना शुरू हो जाता है. बॉडी का बढ़ता तापमान शरीर के अंगों पर नेगेटिव असर डालने लगता है. ऐसे में हमारी बॉडी बढ़ते शरीर के तापमान को कम करने की कोशिश में लग जाती है. इस कोशिश में बॉडी पसीना बनाने लगता है. हवा के संपर्क में आते ही पसीना एवपोरेट (evaporate) होने लगता है और उससे बॉडी का तापमान गिरने लगता है. साथ ही में हमारे त्वचा के नीचे की ब्लड वेसल्स हैं वो थोड़ी सी डायरेक्ट हो जाती हैं ताकि और ज्यादा पसीना बन सके और बॉडी तापमान कम हो सके."

"जिस मौसम में वातावरण में ह्यूमिडिटी बहुत बढ़ जाती है और हमारी बॉडी ठीक से पसीना बना नहीं पाता या ठीक से पसीना एवपोरेट (evaporate) नहीं हो पता तो उस समय हमारी बॉडी का तापमान कम नहीं हो पता जिस वजह से हीट स्ट्रोक और हीट एग्जॉशन होने की आशंका बहुत अधिक बढ़ जाती है.
डॉ. तुषार तायल, सीनियर कंसलटेंट, इंटरनल मेडिसिन, सी के बिरला हॉस्पिटल, गुड़गांव
भारत ने साल 2022 में पिछले 120 सालों में सबसे गर्म मार्च का महीना दर्ज किया. मार्च में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया और अप्रैल 2022 में 49 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था.

हीट वेव से किसे ज्यादा खतरा होता है?

एक्सपर्ट के अनुसार, हीट वेव सभी वर्गों पर बुरा प्रभाव डालता है पर बुजुर्गों और बच्चों पर इसका प्रभाव जोखिम भरा होता है.

"बुजुर्गों में शरीर को ठंडा करने वाली प्रक्रिया कभी-कभी प्रभावित होती है. साथ ही में वो कुछ ऐसी दवाओं का सेवन कर रहे होते हैं, जिससे बॉडी सही ढंग से पसीना नहीं बना पता है और उनमें हीट स्ट्रोक और हीट एग्जॉशन की आशंका बढ़ जाती है."
डॉ. तुषार तायल, सीनियर कंसलटेंट, इंटरनल मेडिसिन, सी के बिरला हॉस्पिटल, गुड़गांव

डॉ. तुषार तायल ने कहा, "दूसरा वर्ग प्रेग्नेंट महिलाओं का है, जिनमें बहुत अधिक गर्मी का दुष्प्रभाव देखने को मिलता है. तीसरा वर्ग है छोटे बच्चों का जिनकी त्वचा बहुत नाजुक होती है".

हीट स्ट्रोक बच्चों में कभी- कभी जानलेवा भी हो सकता है. ज्यादातर जो बच्चे बाहर धूप में खेलते हैं, उनमें हीट स्ट्रोक की आशंका अधिक होती है.

छोटे बच्चों और बुजुर्गों का गर्मी के मौसम में विशेष ध्यान रखना चाहिए. उनमें वयस्क व्यक्ति की तरह गर्मी सहने की शक्ति नहीं होती है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

गर्मी से होने वाली बीमारियां क्या हैं?

गर्मियों में सबसे ज्यादा हीट स्ट्रोक और हीट एग्जॉशन होने का खतरा रहता है. सरल भाषा में हीट एग्जॉशन (Heat Exhaustion) का मतलब है, शरीर से पसीना निकलना. इस स्थिति में शरीर से काफी पसीना निकलता है. वहीं हीट स्ट्रोक की स्थिति में शरीर से पसीना और गर्मी निकलने की बजाय अंदर बनी रहती है. जो हीट एग्जॉशन से ज्यादा गंभीर स्थिति है.

गर्मी से होने वाली कुछ आम बीमारियों में शामिल हैं: 

  • हीट एग्जॉशन 

  • हीट स्ट्रोक

  • हीट बर्न

  • फंगल इन्फेक्शन

कौन से अंग जोखिम में होते हैं?

क्या आप यह भी जानते हैं कि भारत सहित दक्षिण एशिया के कई हिस्से साल 2090 तक सहन न किए जा सकने की हद तक गर्म हो जाएंगे?

हीट स्ट्रोक या हीट एग्जॉशन शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है. जो लक्षण देखने को मिलते हैं वो ये हैं:

  • इंसान बेहोश हो सकता है या अटपटी बातें कर सकता है.

  • बॉडी ड्राई और लाल हो जाती है.

  • बॉडी का तापमान 104 डिग्री पहुंच जाता है.

  • हार्ट रेट बहुत बढ़ जाता है क्योंकि हार्ट शरीर को ठंडा करने के लिए तेजी से काम कर रहा होता है.

  • उल्टी होना या जी मिचलाना.

  • हाथों और पैरों में ऐंठन होना.

हीट वेव का सामना कैसे करें?

भीषण गर्मी के मौसम में जहां तक हो सके घर के अंदर रहे और हाइड्रेशन का पूरा ख्याल रखें.

हीट वेव मैनेज करने के लिए एक्सपर्ट के बताए ये सभी उपाय अपनाएं.

  • शरीर को हाइड्रेटेड रखें. पानी, जूस, नारियल पानी, छाछ, लस्सी का सेवन दिन भर करते रहें.

  • चाय, कॉफी और शराब का सेवन कम करें क्योंकि इनसे डीहाइडरेशन हो सकता है.

  • कॉटन के हल्के रंग के कपड़े पहनें.

  • दिन में कम से कम 2 बार ठंडे पानी नहाएं.

  • ताजे-मौसमी फल और सब्जी का सेवन करें.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 23 Jun 2023,07:12 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT