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FAQ: Heat Stroke| गर्मी में छोटे बच्चों को जानलेवा हीट स्ट्रोक से ऐसे बचाएं

Heatwave In India: बढ़ती गर्मी में बच्चों को हीट स्ट्रोक ( Heat Stroke) से बचने के उपाए

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Heatwave In India: देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी ने आम जनजीवन को परेशानी में डाल दिया है. मौसम की मार ने बड़ों और बच्चों में कई बीमारियों के साथ-साथ हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) के मामलों को भी बढ़ा दिया है. बच्चे जब गर्मियों में ज्यादा देर तक धूप में रहते हैं, तो उन्हें हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) यानी लू लगने की समस्या हो सकती है.

क्या है हीट स्ट्रोक? हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) और हीट एग्जॉशन (Heat Exhaustion) में क्या अंतर होता है? कैसे बचाएं बच्चों को हीट स्ट्रोक से? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब के लिए फिट हिंदी ने डॉ. वनीत परमार, डायरेक्टर एंड हेड, पीडियाट्रिक, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम से बात की.

हीट स्ट्रोक किसे कहते हैं?

हीट स्ट्रोक यानी लू लगना उस स्थिति को कहते हैं, जब शरीर का टेम्प्रेचर (temperature) बढ़ जाता है और संतुलित नहीं हो पाता है. ऐसा होता है क्योंकि शरीर का तापमान ब्रेन संतुलित करता है. इसलिए जब गर्मी बढ़ती है, तो ब्रेन तापमान संतुलित करने में असमर्थ हो जाता है.

हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) बच्चों में कभी- कभी जानलेवा भी हो सकता है. ज्यादातर जो बच्चे बाहर धूप में खेलते हैं उनमें हीट स्ट्रोक की संभावना अधिक होती है.

"हीट स्ट्रोक होने से पहले हीट एग्जॉशन (थकावट) होता है. अगर बच्चा बहुत देर से धूप में खेल रहा है और उसको काफी पसीने आ रहा है. थकान है, चक्कर आ रहे हैं, डीहाइड्रेशन लग रही है, तो इसको हम हीट एग्जॉशन बोलते हैं. अगर हम हीट एग्जॉशन को समय पर ठीक कर देते हैं, तो बच्चा हीट स्ट्रोक से बच जाता है."
डॉ. वनीत परमार, डायरेक्टर एंड हेड, पीडियाट्रिक, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम

क्या हैं हीट स्ट्रोक के लक्षण?

हम हीट एग्जॉशन (Heat Exhaustion) को अनदेखा कर देते हैं, तो बच्चे को हीट स्ट्रोक हो सकता है. जिसमें शरीर का तापमान इतना बढ़ जाता है कि दवा से भी नीचे नहीं आता है. ये हैं हीट स्ट्रोक के लक्षण:

  • पसीना कम आना

  • शरीर बहुत गर्म हो जाना

  • बेचैनी

  • हांफना

  • बहुत ज्यादा गर्मी लगना

  • बेहोशी छाना

  • क्रैम्प आना

  • दौरा पड़ना

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सरल भाषा में हीट एग्जॉशन (Heat Exhaustion) का मतलब है, शरीर से पसीना निकलना. इस स्थिति में शरीर से काफी पसीना निकलता है. वहीं हीट स्ट्रोक की स्थिति में शरीर से पसीना और गर्मी निकलने की बजाय अंदर बनी रहती है. जो हीट एग्जॉशन से ज्यादा गंभीर स्थिति है.

हीट स्ट्रोक से बच्चों को कैसे बचाएं?

छोटे बच्चों का गर्मी के मौसम में विशेष ध्यान रखना चाहिए. वयस्क व्यक्ति की तरह गर्मी सहने की शक्ति उनमें नहीं होती है. यहां कुछ तरीके बताए गए हैं, जिन की मदद से आप अपने बच्चों को हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) से बच्चा सकते हैं.

  • घूप में निकालने न दें

  • भीषण गर्मी में सुबह सवेरे या सूर्यास्त होने पर ही बाहर खेलने भेजें

  • पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं

  • धूप में छाता और टोपी पहनाएं

  • सूती के सुविधाजनक ढीले कपड़े ही पहनाएं

  • कम से कम 15 एसपीएफ (SPF) का सनस्क्रीन लगाएं

  • पानी के अलावा नींबू पानी, ताजा जूस, ओआरएस (ORS) और नारियल पानी भी पिलाएं

  • सूर्या की तरफ सीधे देखने से माना करें

  • स्कूल पानी की बोतल के साथ ही भेजें

हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) के मौसम में स्कूल प्रशासन को भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को धूप में खेलने या पीटी (Physical training) के लिए बाहर न निकालें.

हीट स्ट्रोक होने पर क्या करें?

बच्चे को हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) होने पर नजदीकी डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें. डॉक्टर से मिलने से पहले बच्चे को आराम पहुंचाने के लिए आप ये सब कर सकती हैं. आईए जानें:

  • बच्चे को धूप से छांव में ले जाएं. कूलर या एसी में उसे रखें.

  • बच्चे को नहला दें या स्पंज (Sponge) करें

  • आप बच्चे की जांघों के ऊपर, बगलों में, पीठ और गले पर अच्छे से स्पंज करें. इन अंगों में ब्लड वेसल्स होते हैं, जो पूरे शरीर में जल्दी से जल्दी ठंडक पहुंचाने में मदद करते हैं.

बच्चों को समय-समय पर सिखाएं कि उन्हें हायड्रेटड (Hydrated) रहने की जरुरत है.

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