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Malaria Second Vaccine: मलेरिया की दूसरी वैक्सीन को WHO ने मंजूरी दे दी है. इस वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की मदद से तैयार किया है और यह विकसित होने वाला मलेरिया का दूसरा टीका है. मलेरिया जवानों और बुजुर्गों के लिए तो घातक है ही पर इससे ज्यादातर शिशुओं और बच्चों की मौत होती है.
एक्सपर्ट्स से जानते हैं क्या है मलेरिया की नई वैक्सीन R21/Matrix-M? पुरानी मलेरिया वैक्सीन और इसमें क्या अंतर है? कब होता है मलेरिया का खतरा?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने उपयोग के लिए एक सस्ते मलेरिया वैक्सीन की सिफारिश की है जिसे बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चर किया जा सकता है.
मलेरिया के पहले वैक्सीन RTSS के बाद R21 वैक्सीन दुनिया में मलेरिया का दूसरा टीका है. RTSS को 2021 में WHO की मजूरी मिली थी.
दोनों टीकों को बच्चों में मलेरिया को रोकने में सुरक्षित और प्रभावी देखा गया है. इसके व्यापक रूप से लागू होने से पब्लिक हेल्थ पर पॉजिटिव असर देखने को मिल सकता है.
मलेरिया रोग एक काम्प्लेक्स पैरासाइट के कारण होता है, जो खून चूसने वाले मच्छरों के काटने से फैलता है. यह वायरस से कहीं अधिक सोफिस्टिकैटेड है क्योंकि यह इंसान के शरीर के अंदर लगातार आकार बदलकर इम्यून सिस्टम से छिप जाता है. जिस कारण मलेरिया से पीड़ित होकर नेचुरल इम्युनिटी बनाना कठिन हो जाता है और इसके खिलाफ टीका विकसित करना भी कठिन हो जाता है.
डॉ.नेहा रस्तोगी फिट हिंदी को आगे बताती हैं कि अगर शुरुआत में ही कोई वैक्सीन काम कर जाए और मलेरिया के कीटाणु को शरीर में घुसने से रोक दे तो इससे अच्छा और क्या हो सकता है. ये वैक्सीन काफी कारगर साबित हो सकती है.
अभी इस वैक्सीन की अप्रूवल बच्चों में आई है क्योंकि देखा गया है कि अफ्रीकन और एशियन देशों के बच्चों को मलेरिया अधिक संक्रमित करता है, जिसकी वजह से जटिलता और मृत्यु दर हाई रहती है.
पहले से मौजूद मलेरिया वैक्सीन में RTSS नाम की वैक्सीन उपलब्ध है.
एक्सपर्ट्स के अनुसार, R21 वैक्सीन की एफिकैसी 12 महीने की समय अवधि और 3 डोस पर ट्रायल के समय लगभग 66% देखी गई है
डॉ. महेश लाखे फिट हिंदी से आगे कहते हैं, "देखिए पुरानी मलेरिया वैक्सीन और नई वैक्सीन के बीच हेड टू हेड ट्रायल्स अभी तक नहीं हुए हैं इसलिए पूरी तरह से ये कह पाना मुमकिन नहीं है कि कौन किससे बेहतर है?
मलेरिया (Malaria) बुखार मच्छरों से होने वाला एक तरह का संक्रामक रोग है. जो फीमेल एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है. इस मादा मच्छर में खास तरह का परजीवी (Parasite) पाया जाता है, जिसे प्लाज्मोडियम वीवेक्स कहते हैं. मलेरिया (Malaria) फैलाने वाली इन मादा मच्छरों में जीवाणु की 5 जातियां होती हैं.
जिन जगहों पर जल-जमाव होता है, वहां मलेरिया बीमारी बड़ी संख्या में होने की आशंका बनी रहती है. खास कर गर्म और उमस भरा वातावरण मलेरिया के मच्छरों को पनपने में मदद करता है.
मलेरिया 5 प्रकार का होता है.
प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (P. Falciparum)
सोडियम विवैक्स (P. Vivax)
प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया (P. Ovale)
प्लास्मोडियम मलेरिया (P. malariae)
प्लास्मोडियम नोलेसी ( P. knowlesi)
सी. के. बिरला हॉस्पिटल में सीनियर कंसलटेंट, डॉ. तुषार कहते हैं कि मलेरिया (Malaria) में ठंड के साथ तेज बुखार आता है. इस तरह के बुखार में एक पैटर्न देखने को मिलता है. 24 घंटे में या 48 घंटे में बुखार देखने को मिलता है. ऐसा इसलिए क्योंकि जो मलेरिया के जीवाणु होते हैं, वो समय-समय पर रिलीज होते हैं. मरीज के लिवर से ब्लड में और उसके बाद वो ब्लड के सेल्ज को इंफेक्ट करते हुए वहां से एक तरह का टॉक्सिन बनाते हुए निकलते हैं. जिससे कंपन के साथ बुखार आता है.
यह हैं मलेरिया के लक्षण:
तेज बुखार
ठंड लगना
सिरदर्द
बदन दर्द
पसीना आना
मांसपेशियों में दर्द होना
उल्टी होना
जी मचलाना
कमजोरी
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