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(अगर आप आत्महत्या को लेकर कुछ सोच रहे हैं या ऐसे किसी को जानते हैं, तो कृपया उन तक पहुंचें और स्थानीय आपातकालीन सेवाओं, हेल्पलाइन और मानसिक स्वास्थ्य गैर सरकारी संगठनों के इन नंबरों पर कॉल करें.)
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की एक बेंच ने सोमवार, 20 नवंबर को कहा कि "माता-पिता का दबाव और ज्यादा उम्मीदें कॉम्पिटिटिव परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को अपनी जान लेने के लिए मजबूर कर रही हैं."
जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की बेंच मुंबई के डॉक्टर अनिरुद्ध नारायण मालपानी द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी, जो राजस्थान के कोटा में छात्र आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या के मद्देनजर कोचिंग संस्थानों को रेगुलेट करने के लिए अदालत से गुहार लगा रहे हैं.
हालांकि, अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा:
2023 में अकेले कोटा में कम से कम 26 छात्रों की आत्महत्या के कारण मौत हो चुकी है. यह कम से कम आठ सालों में सबसे अधिक संख्या है.
जस्टिस एसवीएन भट्टी ने याचिकाकर्ता से कहा:
जस्टिस खन्ना ने कहा, "हालांकि, हममें से ज्यादातर लोग नहीं चाहेंगे कि कोचिंग संस्थान जैसी चीज हो, लेकिन स्कूलों की स्थिति को देखें. यहां कड़ा कॉम्पिटिशन है और छात्रों के पास इन कोचिंग संस्थानों में जाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है."
आखिरी में अदालत ने सिफारिश की कि, इस मामले में याचिकाकर्ता राजस्थान सरकार या राजस्थान उच्च न्यायालय से संपर्क करे क्योंकि वह इस संबंध में कोई निर्देश पारित नहीं कर सकता है.
बता दें कि, इस साल सितंबर में राजस्थान सरकार ने छात्रों के बीच आत्महत्या से होने वाली मौतों को रोकने के लिए कोचिंग संस्थानों के लिए दिशानिर्देशों का एक सेट पारित किया था. इनमें कोचिंग सेंटरों को हफ्ते में छुट्टियों, रूटीन टेस्ट की रैंक को गोपनीय रखना, आसानी से कोचिंग छोड़ने की नीति जैसे निर्देश शामिल हैं.
कोचिंग सेंटरों के नियमन (रेगुलेशन) की मांग को लेकर दायर याचिका में कहा गया है:
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