मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Fit Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Palliative Care: गंभीर बीमारी वालों के लिए पैलिएटिव केयर और एंड ऑफ लाइफ केयर में क्या अंतर?

Palliative Care: गंभीर बीमारी वालों के लिए पैलिएटिव केयर और एंड ऑफ लाइफ केयर में क्या अंतर?

पैलिएटिव केयर और एंड ऑफ लाइफ केयर हेल्थकेयर के दो अलग पहलू हैं लेकिन इनमें कुछ समानताएं भी हैं.

डॉ. मेघा परुथी
फिट
Published:
<div class="paragraphs"><p>Palliative Care: पैलिएटिव केयर में रोगी के जीवन जीने की क्वालिटी को सुधारा जाता है.</p></div>
i

Palliative Care: पैलिएटिव केयर में रोगी के जीवन जीने की क्वालिटी को सुधारा जाता है.

(फोटो:iStock)

advertisement

Palliative Care: लोग अक्सर पैलिएटिव केयर और एंड ऑफ लाइफ केयर (ईओएलसी) को लेकर कंफ्यूज रहते हैं. इस कंफ्यूजन को दूर करने से पहले बता दें कि गंभीर बीमारी में इलाज के साथ ‘क्वालिटी ऑफ लाइफ’ को सुधारने वाले ऑप्शनल ट्रीटमेंट जिसे पैलिएटिव केयर कहते हैं.

इस आर्टिकल में हम बताएंगे कि इन दोनों में क्या फर्क है. पैलिएटिव केयर और एंड ऑफ लाइफ केयर बेशक हेल्थकेयर के दो अलग पहलू हैं लेकिन इनमें इस मायने में कुछ समानताएं भी हैं कि ये गंभीर रोगों से ग्रस्त मरीजों, खासतौर से लाइफ लिमिटिंग कंडीशंस वाले लोगों के लिए कुछ हद तक सुकून और सहायता प्रदान करते हैं.

दोनों तरह की केयर मरीजों के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, दरअसल, पैलिएटिव केयर काफी डिटेल्ड होती है और ईओएलसी उसी का एक छोटा रूप है. आइये, दोनों के बारे में जानें.

पैलिएटिव केयर और एंड ऑफ लाइफ केयर (ईओएलसी)

1. समय:

  • पैलिएटिव केयर- किसी रोग की पुष्टि होने के बाद उपचार के साथ-साथ कभी भी पैलिएटिव केयर को शुरू किया जा सकता है. आप इसे इलाज के सपोर्ट के रूप में भी देख सकते हैं.

  • ईओएलसी– एंड ऑफ लाइफ केयर तब शुरू की जाती है, जब यह निश्चित हो जाता है कि मरीज अपने जीवनकाल की अंतिम अवस्था में है और अधिकतर उस वक्त इलाज कारगर नहीं रहते या खुद मरीज इलाज को रोक देने का फैसला करता है.

2. फोकस:

  • पैलिएटिव केयर का प्रमुख मकसद गंभीर, क्रोनिक और जीवनघाती रोगों से जूझ रहे मरीजों की लाइफ क्वालिटी में सुधार करना है. यह उन्हें रोग के लक्षणों जैसे दर्द, उलटी, सांस फूलने वगैरह से राहत दिलाती है और साथ ही मरीज को इमोशनल और साइकोलॉजिकल सपोर्ट भी देती है, जिससे कुल-मिलाकर मरीज और उनके परिवार के सदस्यों की वैलबींग में सुधार होता है.

  • ईओएलसी– एंड ऑफ लाइफ केयर मरीज और उनके परिजनों को जीवन के आखिरी दिनों/हफ्तों में शारीरिक पीड़ा, उलटी, सांस फूलने जैसे लक्षणों से राहत दिलाने के साथ-साथ उन्हें सुकून, सम्मान और इमोशनल सपोर्ट देता है.

3. ट्रीटमेंट गोल:

  • पैलिएटिव केयर का मकसद मरीज को जहां तक संभव हो सके आराम पहुंचाना होता है और इसके लिए उनकी शारीरिक, इमोशनल और साइकोलॉजिकल जरूरतों को पूरा करने पर जोर दिया जाता है. इस दौरान मरीजों और उनके परिजनों को उनकी केयर के बारे में पूरी जानकारी दी जाती है और उनके साथ ट्रीटमेंट गोल, प्राथमिकताओं, एडवांस केयर प्लानिंग और केयरगिवर सपोर्ट पर चर्चा की जाती है.

  • ईओएलसी– एंड ऑफ लाइफ केयर का मकसद कम्फर्ट, पेन मैनेजमेंट और लक्षणों के मुताबिक मरीज को राहत देना है. यह मरीज को उनके आखिरी पलों में शांति और सुकून भरा अनुभव देने की कोशिश करता है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

4. लोकेशन:

  • पैलिएटिव केयर– यह कई तरह की हेल्थकेयर सैटिंग्स में दी जाती है, जैसे अस्पताल, नर्सिंग होम और यहां तक की मरीज के घर में भी.

  • ईओएलसी– पैलएटिव केयर की तरह एंड ऑफ लाइफ केयर भी हॉस्पिटल, घर, या खास किस्म की एंड ऑफ लाइफ केयर सुविधाओं में दी जाती है.

5. अवधि:

  • पैलिएटिव केयर– इसे लंबे समय तक, कई बार कई सालों तक दिया जा सकता है और यह मरीज की कंडीशन और जरूरतों पर निर्भर होता है कि पैलिएटिव केयर को कब तक जारी रखा जाए.

  • ईओएलसी– एंड ऑफ लाइफ केयर आमतौर पर जीवन की अंतिम अवस्था में दी जाती है और इसकी अवधि मरीज की कंडीशन और जरूरतों के हिसाब से तय होती है.

असल में, पैलिएटिव केयर एक प्रक्रिया है, जिसे रोग की गंभीरता को ध्यान में रखकर किसी भी समय शुरू किया जा सकता है ताकि मरीज की क्वालिटी ऑफ लाइफ और कम्फर्ट बेहतर हो सके, जबकि एंड ऑफ लाइफ केयर एक प्रकार की स्पेश्यलाइज्ड (specialised) केयर है, जो अपने जीवन की अंतिम अवस्था में पहुंच चुके मरीजों को दी जाती है ताकि उन्हें उस समय शांति और सुकून महसूस हो सके. दोनों ही प्रकार की केयर, गंभीर रोगों से ग्रस्त मरीजों के लिए होती हैं.

(ये आर्टिकल गुरुग्राम, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्‍टीट्यूट के डिपार्टमेंट ऑफ पेन एंड पैलिएटिव मेडिसिन की एडिशनल डायरेक्टर और हेड- डॉ. मेघा परुथी ने फिट हिंदी के लिये लिखा है.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT