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Palliative Care: कैंसर मरीजों के मामले में पैलिएटिव केयर की कितनी गुंजाइश होती है?

Palliative Care Explained: पैलिएटिव केयर का मकसद मरीजों को बेहतर संभव क्‍वालिटी लाइफ देना है.

डॉ. मेघा परुथी
फिट
Published:
<div class="paragraphs"><p>पैलिएटिव केयर उम्‍मीद की ऐसी किरण की तरह होती है, जो बेहतर जिंदगी का भरोसा दिलाती है</p></div>
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पैलिएटिव केयर उम्‍मीद की ऐसी किरण की तरह होती है, जो बेहतर जिंदगी का भरोसा दिलाती है

(फोटो:iStock)

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Palliative Care in Hindi: भारत में हेल्थकेयर के क्षेत्र में पैलिएटिव केयर का कन्‍सेप्‍ट अभी काफी नया है और इसे लेकर काफी लोगों को सही जानकारी नहीं है. यहां तक कि मरीज और उनकी फैमिली भी इस बात को लेकर कंफ्यूज रहती कि पैलिएटिव केयर को कब शुरू किया जाना चाहिए. कुछ के मन में इस बात को लेकर सवाल रहते हैं कि क्या वाकई इसकी जरूरत है जबकि कुछ यह सोचते हैं कि यह मरीजों के लिए कितनी फायदेमंद है? इससे केयर-गिवर्स और फैमिली मेंबर्स का काम कितना आसान होगा?

पैलिएटिव केयर को लेकर फैमिली मेंबर्स के मन में न सिर्फ ढेरों सवाल रहते हैं बल्कि कंफ्यूजन की स्थिति भी बनी रहती है. यहां हम इसी विषय पर आपको जानकारी दे रहे हैं.

पैलिएटिव केयर क्या होता है?

पैलिएटिव केयर में रोगी के जीवन जीने की क्वालिटी को सुधारा जाता है. इसमें क‍िसी तरह की दवा का इस्‍तेमाल नहीं क‍िया जाता. कैंसर के इलाज के साथ द‍िए जाने वाले वैकल्पिक उपचार को पैलिएटिव केयर कहते हैं. यह कैंसर का इलाज नहीं है. इसमें रोगी के मेंटल हेल्थ का खास ख्याल रखा जाता है. कई बार ऐसा भी होता है कि पैलिएटिव केयर से पेशेंट कई सालों या दशकों तक अच्छे से जीवन जी लेते हैं.

पैलिएटिव केयर मरीज और उनके परिवार दोनों के लिए मददगार

सबसे पहले तो यह मालूम होना चाहिए कि पैलिएटिव केयर न सिर्फ मरीजों को लंबा जीवन दिलाने में मददगार है बल्कि यह मरीज और उनके साथ-साथ उनकी फैमिली के सदस्‍यों को बेहतर तरीके से जीने में भी मददगार है. कैंसर जैसी घातक बीमारी में पैलिएटिव केयर उम्‍मीद की ऐसी किरण की तरह होती है, जो बेहतर जिंदगी का भरोसा दिलाती है.

केयरगिवर के तौर पर आपको यह समझने की जरूरत है कि पैलिएटिव केयर में जिंदगी के आखिरी मोड़ पर पहुंच चुके मरीज की देखभाल ही नहीं है बल्कि इसमें मरीज को शारीरिक तकलीफों/लक्षणों से राहत पहुंचाना, केयरगिवर्स की देखभाल, मरीज और उनके फैमिली मेंबर्स को साइकोलॉजिकल सपोर्ट देना, केयर के व्‍यावहारिक लक्ष्‍यों के बारे में चर्चा करने जैसे कई पहलू भी शामिल हैं.

पैलिएटिव केयर का मकसद क्‍या है?

पैलिएटिव केयर का मकसद मरीजों को बेहतर क्‍वालिटी लाइफ देना है. यहां सवाल आता है कि क्‍वालिटी लाइफ को मेंटेन किस तरह से किया जाएगा?

क्‍वालिटी लाइफ में सुधार के लिए शरीर में दर्द और दूसरी मानसिक और शारीरिक तकलीफों में राहत देने का प्रयास किया जाता है, जिससे मरीज के लिए आरामदायक माहौल सुनिश्चित हो और कुल-मिलाकर, केयर पर ज्‍यादा जोर दिया जाता है.

पैलिएटिव केयर के दौरान इन बातों पर ध्‍यान दिया जा सकता है

1) शारीरिक लक्षणों को मैनेज करना – मरीज को अपनी बीमारी, इलाज और दवाओं की वजह से कई तरह के शारीरिक तनाव के दौर से गुजरना पड़ता है, जैसे मितली आना, कब्‍ज, दर्द, बेचैनी, सांस फूलना, भूख कम या अधिक होना, थकान, नींद कम आना. इन तकलीफों के मद्देनजर, पैलिएटिव केयर टीम मरीज को इन लक्षणों से राहत दिलाने का काम करती है.

2) केयर के लक्ष्‍यों के बारे में फैसला करना– मरीज की फैमिली के लिए केयर के व्‍यावहारिक लक्ष्‍यों के बारे में फैसला करना काफी अहम होता है. इस मामले में लक्ष्‍यों को स्‍पष्‍ट रूप से तय करने से फैमिली को रिजल्ट्स को लेकर खुद को तैयार करने में मदद मिलती है और उनके मन से डर भी दूर होता है. साथ ही, मरीजों के लिए पूरी जानकारी के मुताबिक फैसला लेने में आसानी होती है.

3) केयरगिवर की जरूरतों की देखभाल – केयरगिवर भी मरीज की तरह होते हैं, जिन्हें काफी कुछ सहना पड़ता है और वे कई तरह की तकलीफों से गुजरते हैं. कागजी कार्रवाई से लेकर इलाज के खर्चों का इंतजाम करते हुए केयरगिवर्स की अपनी मानसिक और शारीरिक सेहत भी प्रभावित होती है.

4) इंटीग्रेटेड टीम वर्क– पैलिएटिव केयर टीम दूसरे डिपार्टमेंट्स जैसे फिजियोथेरेपी, डाय‍टेटिक्‍स, साइकोलॉजिस्‍ट, प्राइमरी ट्रीटमेंट टीम के साथ तालमेल रखते हुए काम करती है ताकि मरीज के लिए आरामदायक माहौल तैयार करने के रास्‍ते में आने वाली चुनौतियों से निपटा जा सके.

5) हॉलिस्टिक एप्रोच– आपकी पैलिएटिव टीम आपके साथ मिलकर मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, अध्‍यात्मिक, शारीरिक और मानसिक स्तरों पर काम करेगी.

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कैंसर मरीजों के मामले में पैलिएटिव केयर की कितनी गुंजाइश होती है?

कैंसर सर्जरी या कैंसर की वजह से भी मरीजों को काफी शारीरिक पीड़ा से गुजरना पड़ता है. यह पीड़ा कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी की वजह से हो सकती है. पैलिएटिव केयर की मदद से इस शारीरिक पीड़ा से काफी हद तक निपटा जा सकता है. पेन रिलीफ यानी पीड़ा से राहत मिलने पर मरीज अधिक आराम से रह सकते हैं. उन्हें अच्छी नींद आती है, डिप्रेशन कम होता है और वे अधिक एक्टिव लाइफ जीते हुए अपनी फैमिली के साथ अच्छा समय बिता सकते हैं.

कैंसर मरीजों के लिए पैलिएटिव केयर शुरू करने का सही समय कब होता है?

आदर्श स्थिति तो यह है कि कैंसर रोग का पता चलते ही पैलिएटिव केयर की शुरुआत हो जानी चाहिए क्‍योंकि कैंसर मरीज कई तरह की शारीरिक तकलीफों के साथ-साथ और भी बहुत से परेशान करने वाले लक्षणों को झेलने के लिए मजबूर होते हैं. इसलिए, इन्हें मैनेज करने और मरीजों को आराम देने के लिए खुद मरीज अपने ओंकोलॉजिस्‍ट से अपने इलाज के दौरान कभी भी पैलिएटिव केयर डॉक्‍टर को रेफर करने के लिए कह सकते हैं.

जितना जल्‍दी ऐसा होगा, उतना ही बेहतर होगा.

मरीज पैलिएटिव केयर की सुविधा कहां से ले सकते हैं?

पैलिएटिव केयर अस्‍पताल में या घर में दी जा सकती है. फैमिली मेंबर्स आपस में इस बारे में विचार कर सकते हैं कि पैलिएटिव केयर कहां दिलाना सही होगा. इसके लिए कई तरह के होम हेल्थ केयर सेटअप ऑप्शन उपलब्ध हैं. आपके फिजिशियन आपको उन उपकरणों या मेडिकल डिवाइसों के बारे में बताते हैं, जिनकी आवश्‍यकता घर पर पैलिएटिव केयर के लिए होती है.

ध्‍यान देने योग्‍य बात यह है कि पैलिएटिव केयर केवल मरीज की जान बचाने के लिए नहीं दी जाती बल्कि यह उनकी वैलबींग के लिए होती है. मरीज को इस पूरी इलाज प्रक्रिया के केंद्र में रखा जाता है और इसे उन्हें यह भरोसा मिलता है कि जिंदगी को सीमित करने वाले या जीवन-घाती रोगों के बावजूद वे अच्छी क्‍वालिटी लाइफ बिता सकते हैं.

(ये आर्टिकल गुरुग्राम, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्‍टीट्यूट के डिपार्टमेंट ऑफ पेन एंड पैलिएटिव मेडिसिन की एडिशनल डायरेक्टर और हेड- डॉ. मेघा परुथी ने फिट हिंदी के लिये लिखा है.)

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