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Rabies Day: रेबीज के लक्षण, कुत्ते के काटने के बाद सबसे पहले क्या करना चाहिए?

Rabies का कोई इलाज नहीं है, लेकिन समय पर कार्रवाई से इससे होने वाली मृत्यु को रोका जा सकता है.

अश्लेषा ठाकुर
फिट
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<div class="paragraphs"><p>Rabies एक घातक वायरल बीमारी है, जो कुछ जानवरों, खासकर कुत्तों की लार से फैलती है.</p></div>
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Rabies एक घातक वायरल बीमारी है, जो कुछ जानवरों, खासकर कुत्तों की लार से फैलती है.

(फोटो:फिट हिंदी/iStock)

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Rabies Symptoms, Precaution And Treatment: सितंबर की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में रेबीज से एक 14 वर्षीय बच्चे की मौत ने सभी को झकझोर कर रख दिया. रेबीज से जुड़ी इस घटना के बाद कई सवाल हमारे मन में उठे.

रेबीज एक घातक वायरल बीमारी है, जो कुछ जानवरों, खासकर कुत्तों की लार से फैलती है.

रेबीज का कोई इलाज नहीं है, लेकिन समय पर कार्रवाई से इससे होने वाली मृत्यु को रोका जा सकता है.

क्या किसी को कुत्ते से मामूली खरोंच और चाट से रेबीज हो सकता है? क्या कुछ बुनियादी सावधानियां क्या हैं, जो बच्चों को कुत्ते पालते समय सिखाई जा सकती हैं? रेबीज रोग के मुख्य लक्षण क्या हैं? क्या रेबीज के लिए कोई वैक्सीनेशन है? इसे कब देना चाहिए? कुत्ते के काटने के बाद सबसे पहले क्या करना चाहिए? जानते हैं इन सवालों के जवाब गुरुग्राम, मेदांता में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसलटेंट- डॉ. विकास देसवाल से.

रेबीज क्या है?

रेबीज एक घातक वायरल बीमारी है, जो जानवरों और मनुष्यों दोनों को प्रभावित करती है. यह बीमारी मुख्य रूप से संक्रमित जानवरों, विशेषकर कुत्तों की लार के माध्यम से फैलती है. यदि एक बार मनुष्यों में इस बीमारी के लक्षण प्रकट हो जाएं, तो इसके बाद रेबीज बहुत ही घातक हो जाती है. हालांकि, समय पर वैक्सीनेशन से बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है.

रेबीज रोग के मुख्य लक्षण क्या हैं?

मनुष्यों में, रेबीज की बीमारी फ्लू जैसे लक्षणों जैसे सिरदर्द, बुखार और कमजोरी के साथ नजर आ सकती है. यह रोग जैसे-जैसे बढ़ता है, रोगी को स्ट्रेस, भ्रम, भटकाव, उत्तेजना, अत्यधिक लार, उल्टी और निगलने में कठिनाई का अनुभव हो सकता है.

हाइड्रोफोबिक (पानी से अत्यधिक डर) मनुष्यों में रेबीज का एक प्रमुख शुरुआती संकेत है.

किन जानवरों से रेबीज होता है?

रेबीज कई तरह के जानवरों से फैल सकता है, लेकिन इसके सबसे आम वाहक कुत्ते होते हैं. वहीं कुत्तों के अलावा बिल्लियां, मवेशी, बंदर और चमगादड़ भी रेबीज फैलाते हैं. कोई भी गर्म खून वाला जानवर यदि वायरस से संक्रमित हो, तो उससे रेबीज के फैलने की आशंका होती है.

रेबीज का इलाज क्या है? 

एक बार लक्षण प्रकट होने के बाद रेबीज का कोई इलाज नहीं है. जिस कारण यह मनुष्यों के लिए हमेशा बहुत घातक होता है. हालांकि, समय पर वैक्सीनेशन से बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है. इसके इलाज में आमतौर पर रेबीज वैक्सीन शॉट्स और इम्युनोग्लोबुलिन शॉट्स की एक पूरी सीरीज शामिल होती है, जिसे वायरस के संपर्क में आने के बाद जितनी जल्दी हो सके, प्रभावित व्यक्ति को दिया जाना चाहिए.

क्या रेबीज़ के लिए कोई वैक्सीनेशन है? इसे कब देना चाहिए? 

हां, रेबीज के लिए एक वैक्सीन है. यह 98% तक प्रभावी है. कुत्ते के काटने पर वायरस के संपर्क में आने की संभावित स्थिति में रेबीज का टीकाकरण किया जाता है. जानवर के काटने के बाद जितनी जल्दी हो सके, इसे दिया जाना चाहिए. भले ही जानवर द्वारा काटे हुए कुछ दिन बीत गए हों, उसके बाद भी इसे दिया जाना चाहिए. समय पर टीकाकरण से वायरस को बढ़ने और बीमारी पैदा करने से रोका जा सकता है.

कुत्तों से जुड़ी सावधानियों क्या हैं?

बच्चों और बड़ों को कुत्तों से जुड़ी कुछ सावधानियों के बारे में जानना बहुत जरूरी होता है. कुछ सावधानियां इस प्रकार हैं:

  • कुत्ते को छूने के बाद हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं.

  • आवारा या जंगली जानवरों के संपर्क में आने से बचें.

  • जानवरों को छेड़ें या परेशान न करें.

  • किसी आवारा जानवर के संपर्क में आने पर, सुरक्षा के लिए तुरंत किसी वयस्क को इसकी जानकारी दें.

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कुत्ते के काटने पर क्या नहीं करना चाहिए? 

जब कोई कुत्ता काटे, तो ये काम हरगिज न करें:

  • डॉक्टर से सलाह लेने से पहले घाव पर एंटीसेप्टिक्स या कोई भी मलहम का प्रयोग न करें.

  • घाव को नजरअंदाज न करें या डॉक्टर से संपर्क करने में देरी न करें.

  • बिना डॉक्टरी सहायता के रेबीज का इलाज करने का प्रयास न करें.

इंजेक्शन कब देना चाहिए? 

कुत्ते के काटने या रेबीज के संभावित जोखिम के बाद जितनी जल्दी हो सके रेबीज वैक्सीनेशन और इम्युनोग्लोबुलिन शॉट्स दिए जाने चाहिए. यदि वैक्सीनेशन में देरी हो भी गई है, तब भी ये फायदेमंद होती है और कुत्ते के काटने के कई दिन बीत जाने के बाद भी इसे दिया जाना चाहिए. वायरस को रोग की स्थिति में आने से रोकने के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना बहुत ही जरूरी होता है.

रेबीज से आप अपने बच्चों की सुरक्षा कैसे करें? उन्हें क्या सिखाया जाए?

  • कुत्ते (यहां तक ​​कि पालतू कुत्ते) को भी सहलाने के बाद, सुनिश्चित करें कि बच्चे अपने हाथ साबुन से अच्छी तरह धो लें. अगर किसी व्यक्ति के हाथ पर कुत्ते की लार लगे और फिर वह अपनी आंखों और मुंह को छू ले तो भी रेबीज फैल सकता है.

  • बच्चों को किसी भी आवारा या जंगली जानवर से संपर्क करने से हतोत्साहित करें.

  • बच्चों को सिखाया जाना चाहिए कि वे किसी जानवर को न छेड़ें और न ही परेशान करें.

  • सुनिश्चित करें कि यदि बच्चे किसी आवारा जानवर के संपर्क में आते हैं, तो वे आपको जरुर बताएं. उन्हें आश्वस्त करें कि यह केवल उनकी सुरक्षा के लिए है.

  • आपका बच्चा कुत्ते के साथ खेलता है, तो संभावित खरोंचों और खरोंचों के लिए बच्चे के हाथों और पैरों की जांच किया करें. चोट लगने की स्थिति में उचित कार्रवाई करें.

घाव कुछ दिनों के बाद दिखाई दे तो क्या होगा?

अक्सर हॉस्पिटल आने वाले अधिकांश मरीज (कुत्ते के काटने के) देरी से, यानी कुछ दिनों के बाद आते हैं. कुछ दिनों के बाद भी टीका लेने से अच्छी सुरक्षा मिलती है. इसे लेना निश्चित रूप से इसे न लेने से बेहतर है, भले ही इसमें देरी हो.

क्या आपको कुत्ते की मामूली खरोंच और चाट से रेबीज हो सकता है?

हां, खरोंच और कुतरने से रेबीज होना संभव है. यदि किसी बच्चे को पहले से ही खरोंच, घाव या कट लगा हो और कुत्ता उसे चाट ले तो उसे रेबीज हो सकता है. समझने की बात ये है कि लार के किसी भी प्रवेश बिंदु से इन्फेक्शन हो सकता है. अगर कुत्ता हेल्दी त्वचा पर चाट जाता है, तो रेबीज फैलने की संभावना बहुत कम है. यह भी याद रखें, यह सिर्फ कुत्ते ही नहीं बिल्लियां, मवेशी, बंदर और चमगादड़ भी रेबीज फैला सकते हैं.

क्या आपको पालतू कुत्ते से रेबीज हो सकता है?

हां, पालतू कुत्ते भी वाहक हो सकते हैं. हालांकि कुत्ते का टीकाकरण रेबीज से बचा सकता है, लेकिन यह 100% सुरक्षा नहीं देता है. किसी भी जानवर में रेबीज इन्फेक्शन का टेस्ट करने का कोई तरीका नहीं है, इसलिए टीकाकरण के लिए भी कुछ सावधानियां हैं, जिन्हें पालतू कुत्तों के मामले में ध्यान में रखा जाना चाहिए.

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