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Monsoon Flu: मानसून फ्लू से बच्चों को ऐसे बचाएं, एक्सपर्ट से जानें बचाव और इलाज

डॉक्टरों के अनुसार, Flu Vaccine बच्चों को एक सुरक्षा कवच देता है.

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Monsoon Flu In Children: भारत में खास कर बारिश और ठंड के मौसम की शुरुआत में फ्लू यानी इन्फ्लूएंजा (Influenza) तेजी से फैलता है. ऐसे में बाल चिकित्सकों की सलाह है कि बच्चों को मानसून से पहले फ्लू वैक्सीन लगाया जाए. बारिश का मौसम अपने साथ कई बीमारियों को लेकर आता है. डॉक्टरों के अनुसार आजकल फ्लू फैला हुआ है, अगले कुछ दिनों में और भी ज्यादा फैल सकता है.

फिट हिंदी ने बाल चिकित्सकों से फ्लू यानी इन्फ्लूएंजा के कारण, लक्षण, इलाज, बचाव और उसकी वैक्सीन के बारे में विस्तार से बातचीत की.

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फ्लू एक वायरल इन्फेक्शन होता है, जो सांस की नली को संक्रमित करता है. बच्चों, बूढ़ों और गर्भवती महिलाओं को यह ज्यादा प्रभावित करता है.

"फ्लू एक वायरस से होता है. ये वायरस हवा के जरिए हमारे शरीर में नाक से नीचे तक सांस के साथ चला जाता है. आजकल फ्लू काफी फैला हुआ है, अगले कुछ दिनों में और भी ज्यादा फैले ऐसा हो सकता है. क्योंकि पिछले कई सालों से देखा गया है कि जब बरसात आती है या जब ठंड बढ़ती है, तो भारत के उतरी राज्यों में ये बीमारी ज्यादा फैल जाती है".
डॉ. कृष्ण चुग, प्रिन्सिपल डायरेक्टर एंड एचओडी, पीडियाट्रिक्स, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम

बच्चों में फ्लू के लक्षण 

इन्फ्लूएंजा यानी फ्लू (Flu) एक तरह का वायरस संक्रमण है.
  • जुकाम

  • खांसी

  • बुखार

  • गले में खराश

  • बदन दर्द

  • थकान और सुस्त लगना

  • आंखों से पानी निकलना

बीमारी बढ़ने पर बच्चे की सांसे तेज हो जाती है और तबियत ज्यादा बिगड़ने पर आईसीयू (ICU) की जरुरत पड़ सकती है. कुछ बच्चों में ये बीमारी फेफड़ों तक चली जाती है. जिसके दुष्प्रभाव और भी बुरे होते हैं.

बच्चों को फ्लू यानी इन्फ्लूएंजा के कारण खतरनाक निमोनिया हो सकता है, जिसकी वजह से बच्चे को आईसीयू में भी भर्ती होना पड़ सकता है.

"भारत में खास कर बारिश के मौसम और ठंड की शुरुआत में फ्लू तेजी से फैलता है. फ्लू एक वायरस है, जो सांस की नली को संक्रमित करता है. ये 2 प्रकार के होते हैं. इन्फ्लूएंजा ए (Influenza A) और इन्फ्लूएंजा बी (Influenza B). इन्फ्लूएंजा ए (Influenza A) का एक सब टाइप होता है, जिसे स्वाइन फ्लू भी कहते हैं. यह फ्लू का एक खतरनाक वेरिएंट है.
डॉ. मनिंदर सिंह धालीवाल, एसोसिएट डायरेक्टर- पीडियाट्रिक्स, मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम
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डॉ. कृष्ण चुग फ्लू वैक्सीन की सिफारिश करते हुए कहते हैं, "कुछ साल पहले 2009 में स्वाइन फ्लू (Swine Flu) यानी H1N1 नाम की बीमारी भी फैली थी. उससे कई मौतें भी हुई थी. बहुत से बच्चों और बड़ों को आईसीयू (ICU) और वेंटिलेटर पर रहना पड़ा था. इसका इलाज भी आसान नहीं है. इसकी दवा (tablet) मार्केट में उपलब्ध है पर वो बहुत असरदार नहीं है. साथ ही उसे बीमारी के शुरू होते ही देने में फायदा है. इसलिए बच्चों को फ्लू की वैक्सीन पहले से ही दिलवाने में समझदारी है".

फ्लू बीमारी के खिलाफ, फ्लू वैक्सीन बच्चों को एक सुरक्षा कवच देता है.

कब लगवाना चाहिए फ्लू वैक्सीन?

"फ्लू की वैक्सीन साल में कभी भी ले सकते हैं पर बारिश का मौसम शुरू होने से पहले लगवाने से ये ज्यादा सुरक्षा देता है. भारत के मौसम को ध्यान में रखते हुए वैक्सीन लेने का सही समय अप्रैल और मई होता है. मॉनसून शुरू होने से कम से कम 4 हफ्ते पहले बच्चों को फ्लू वैक्सीन लगवा देनी चाहिए. अगर किसी वजह से फ्लू वैक्सीन बच्चे को अप्रैल-मई में नहीं लग सकी तो जून-जुलाई तक लगवा दें ताकि वो ठंड शुरू होने से पहले वाली फ्लू में सुरक्षित रह सकें" ये कहना है डॉ. मनिंदर सिंह धालीवाल का.

फ्लू शॉट्स लेने के बाद बच्चे के शरीर में एंटीबॉडी बनने में लगभग दो सप्ताह लगते हैं और उसके बाद ही वैक्सीन इन्फ्लूएंजा वायरस के संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करती है.

फ्लू वायरस हर साल अपना रंग-रूप बदलता है इसलिए बच्चों को हर साल फ्लू वैक्सीन लगवानी चाहिए. फ्लू वैक्सीन का सुरक्षा कवच साल भर काम करता है. यहां बता दें कि फ्लू वैक्सीन में भी समय-समय पर जरुरी बदलाव किए जाते हैं.
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फ्लू वैक्सीन की डोस 

9 वर्ष से छोटे बच्चे को फ्लू वैक्सीन पहली बार लगने पर उसके 2 डोस लगते हैं. दोनों डोस में 4 हफ्ते का अंतराल होगा. उसके बाद हर साल 1 बार ये वैक्सीन लगेगी. 9 वर्ष से ऊपर सभी को हर साल फ्लू वैक्सीन की 1 डोस लगती है.

बच्चों को फ्लू की वजह से अस्पताल में भर्ती होने से रोकने के लिए फ्लू यानी इन्फ्लूएंजा से बचाव बहुत ही महत्वपूर्ण है. इसके लिए फ्लू वैक्सीन एक कारगर उपाय है.

बच्चे को फ्लू होने पर क्या करें?

याद रखें, बच्चे के बीमार पड़ने पर डॉक्टर की सलाह जरुर लें, फिर चाहे बीमारी हल्की हो या गंभीर.

अगर किसी बच्चे को फ्लू हो जाता है, तो अधिकतर मामलों में ये वायरस बच्चे को उतना नुकसान नहीं पहुंचता. खांसी-जुकाम और हल्के बुखार के लिए बच्चे को दवा दे कर और साथ ही शरीर में तरल पदार्थ की मात्रा को बढ़ा कर इसे ठीक किया जा सकता है.

लेकिन अगर कभी ऐसा होता है कि खांसी- जुकाम और बुखार नियंत्रण में नहीं आ रहा, बच्चा सुस्त हो रहा और उसका ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा तो, इसे इमरजेंसी समझें और डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें.

फ्लू से निमोनिया और ब्रोंकाइटिस हो सकता है. निमोनिया, फेफड़ों का संक्रमण होता है और ब्रोंकाइटिस में फेफड़ों में ऑक्सीजन ले जाने वाली नलियों में संक्रमण फैल जाता है. इससे सांस लेने में कठिनाई होने लगती है. इसके साथ ही तेज बुखार की वजह से कभी-कभी दौरे भी पड़ने लगते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, फ्लू वैक्सीन लेने के बाद इन बीमारियों का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है.

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"जिन बच्चों को अस्थमा, बार-बार सर्दी-जुकाम-बुखार, एलर्जी, कैंसर जैसी समस्या हो, ऐसे बच्चे को फ्लू वैक्सीन जरुर लगवाएं. ये वैक्सीन भारत सरकार की तरफ से अनिवार्य वैक्सीन नहीं है ,पर यह वैक्सीन लगवाने से बच्चे में गंभीर फ्लू बीमारी होने की संभावना कम हो जाती है".
डॉ. मनिंदर सिंह धालीवाल, एसोसिएट डायरेक्टर- पीडियाट्रिक्स, मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम

डॉ. मनिंदर सिंह धालीवाल आगे कहते हैं, "बच्चे को फ्लू शॉट दिलवाने से पहले डॉक्टर को जरुर बताएं अगर पहले किसी वैक्सीन को लेने के बाद बच्चे को कोई एलर्जी हुई हो. ताकि वो समझ सकें कि वैक्सीन से क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं और माता-पिता को भी समझा सकें".

फ्लू शॉट या इन्फ्लूएंजा की वैक्सीन लगवाने के बाद कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं. कभी-कभी हल्का बुखार और वैक्सीन लगी जगह पर हल्का दर्द महसूस हो सकता है. यह टीका पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी है.

6 महीने से ऊपर के हर बच्चे और बड़े को फ्लू वैक्सीन लगवानी चाहिए. इससे फ्लू के गंभीर रूप से बचने में मदद मिलती है.

डॉक्टरों ने फिट हिंदी से कहा कि सभी बच्चों के माता-पिता को अपने बच्चे को फ्लू के टीके के अलावा, उनके हाइजीन पर भी ध्यान देना चाहिए. उनका कहना है कि माता-पिता को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि बच्चे समय-समय पर हाथ धोते रहें और स्वच्छता का पालन करें.

इसके साथ ही अपने बच्चों को बीमार लोगों से दूर रखने की कोशिश करें, उन्हें मास्क पहनना और सुरक्षित दूरी बनाए रखना सिखाएं. साथ ही बार-बार छूई जाने वाली सतहों जैसे डोर नॉब्स, हैंडल, फर्श और फर्नीचर को डिसइनफेक्ट करें.

मानसून में बच्चों को उबला हुआ पानी पिलाएं और बाहर का कुछ भी खिलाने से बचें.

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