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अक्सर ऐसा कहा जाता है कि कुत्ते इंसान के ‘बेस्ट फ्रेंड’ होते हैं, लेकिन सभी प्रकार के पालतू जानवर, व्यक्ति की प्रकृति और पसंद के आधार पर, अच्छे कम्पैनियन बनते हैं और कई तरह से व्यक्ति के जीवन को और अच्छा बनाते हैं.
वे परिवार के सदस्य बन जाते हैं और खास कर उन लोगों के लिए, जिनका कोई ‘ह्यूमन’ परिवार नहीं होता या जो ‘ह्यूमन’ परिवार नहीं चाहते हैं, बहुत आवश्यक साथी बन कर अकेलेपन से राहत देते हैं. पालतू जानवरों के साथ इंटरैक्शन, चाहे वह कुत्ते हों, बिल्ली हों, पक्षी हों या अन्य पालतू जानवर, स्ट्रेस दूर करने में मदद करता है.
घर में पालतू जानवर और भी कई तरह से हमारी मदद करते हैं, जैसे कि बच्चों के विकास पर सकारात्मक प्रभाव डालना, घर को सुरक्षा प्रदान करना और यहां तक कि परिवार के विकलांग सदस्यों की सहायता करना.
पेट् को को लाने से पहले उनके बारे में थोड़ी जानकारी ले लें. जैसे कि उनके खाने पीने, साफ सफाई, फर्स्ट एड इत्यादि से जुड़ी बातें. ये सभी जानकारी आप अपने पहचान के किसी पेट् पेरेंट से या इंटर्नेट साइट्स से भी ले सकते हैं.
ध्यान रखें 50-60 दिनों से कम उम्र के छोटे कुत्ते को घर ना लाएं.
सबसे पहले तो अपने पालतू जानवर के स्वभाव को समझें कि वो अलग-अलग स्तिथि में कैसे बर्ताव करते हैं. ऐसा तब होगा जब परिवार के लोग उसके साथ समय बिताएंगे.
सबसे पहली और आवश्यक बात है अपने पेट्स के साथ समय बीतते हुए उसके व्यवहार को समझना. कब उसे भूख लगती है? कब उसे बाहर जाना है या कब उसे खेलना है? कब वो सुस्त है?
ये सब समझने की जरुरत होती है, परिवार के लोगों को और ऐसा साथ में समय बिताने से ही हो सकता है.
पेट्स के होने से आप अधिक व्यायाम करते हैं. उन्हें ले कर पार्क में टहलने जाना, खेलना इत्यादि आपके पेट्स के साथ-साथ आपकी सेहत के लिए भी फायदेमंद साबित होता है.
खास कर जो शारीरिक व्यायाम न करने का बहाना खोजते हैं, उन्हें भी पेट्स के होने पर बाहर निकल कर पार्क में अपने पेट्स के साथ टहलना, दौड़ना और खेलना पड़ता है. जिससे पेट्स और उसके पेरेंट की सेहत बनी रहती है.
पेट्स के फर्स्ट एड का तरीका इंसान के फर्स्ट एड से अलग होता है. घर पर ज्यादा से ज्यादा चोट आने पर बीटाडीन लगा कर चोट की सफाई कर पट्टी बांध सकते है. उससे ज्यादा घर पर बिना वेटरनरी डॉक्टर के देखे कुछ भी करना पेट्स के लिए सही नहीं होगा.
अगर आपका फर बेबी सुस्त लग रहा है, खाना नहीं खा रहा, तो उस पर नजर रखें. अक्सर ज्यादा गर्मी पड़ने पर ऐसा होता है. कुत्तों के मामले में एक दिन ऐसा होना बड़ी बात नहीं है, पर बिल्लियों के लिए ये समस्या हो सकती है.
दिन में 1-2 उल्टी कुत्ते अपने बॉडी सिस्टम को क्लीन करने के लिए भी कभी-कभी करते हैं, पर अगर उल्टी करने के बाद वो सुस्त हो जाता है, तो वेटरनरी डॉक्टर से संपर्क करें.
बिल्लियां कुत्तों से स्वभाव में बिल्कुल अलग होती हैं. वो अपनी भावनाओं को छुपाती ज्यादा हैं.
बिल्लियां के लिए लिटर बॉक्स का इस्तेमाल होता है. अगर बिल्ली खाना नहीं खा रही हो या उसका पेशाब लिटर बॉक्स से बाहर निकल रहा हो, तो समझना चाहिए कि कोई परेशानी है. ऐसे में बिना इंतजार किए वेटरनरी डॉक्टर से संपर्क करें.
बिल्लियां अगर 2 दिन से ज्यादा भूखी रहें, तो उसके लिवर में बदलाव होने लगते हैं, जो हानिकारक हो सकते हैं.
गर्मियां पेट्स के लिए अच्छी नहीं होती. हीट स्ट्रोक से साथ-साथ और भी कई समस्याएं होने की सम्भावना गर्मियों में बढ़ जाती हैं. ऐसे में अपनाएं ये तरीके:
गर्मियों में पेट्स को घर से बाहर सुबह सवेरे और शाम में ही निकालें
गाड़ी से आना जाना जितना कम हो उतना बेहतर है पेट्स के लिए क्योंकि हीट स्ट्रोक का खतरा भी होता है.
खाने में दही का इस्तेमाल ज्यादा करें
ठंडा पानी, छाछ देना चाहिए
एसी या कूलर वाले रूम में उन्हें रखें
फोर्टिस हेल्थकेयर में मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान विभाग के निदेशक, डॉ समीर पारिख फिट हिंदी को बताते हैं, "पेट्स की वजह से जो सकारात्मक माहौल बनता है, उसे हम तनाव कम करने का बहुत बड़ा जरिया मानते हैं. इस तरीके से पेट्स को मेंटल हेल्थ से जोड़ कर देखा जाता है".
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