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Sexual and Reproductive Health Awareness Day: बीते कुछ सालों से पूरी दुनिया में इन्फर्टिलिटी एक प्रमुख और कॉमन स्वास्थ्य समस्या बनकर उभरी है, जिससे बहुत से कपल परेशान हैं. इनफर्टिलिटी से निपटना एक कठिन और इमोशनल प्रोसेस है. इस प्रॉब्लम से निपटने का तरीका कई कारण और परिस्थियों पर डिपेंड करता है. शारीरिक समस्याएं, लाइफस्टाइल, खराब खानपान, कम शारीरिक गतिविधि और स्ट्रेस बहुत ज्यादा होने से इन्फर्टिलिटी की समस्या दम्पत्तियों में बढ़ रही है. ऐसे में बच्चे की चाहत रखने वाले कपल, माता-पिता बनने के लिए किसी भी तरह की पीड़ा को सहने के लिए तैयार हो जाते हैं.
ऐसे में इन्फर्टिलिटी से जुड़े मिथक दंपतियों को भ्रमित करने का काम करते हैं. आज इस आर्टिकल में हम एक्सपर्ट्स से जानेंगे इन्फर्टिलिटी से जुड़े कॉमन मिथक और उसकी सच्चाई के बारे में साथ ही कैसे रखने अपने सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ का ध्यान.
सच्चाई: इन्फर्टिलिटी के एक-तिहाई मामलों में पुरुषों के प्रजनन संबंधी दोष होते हैं, एक-तिहाई का कारण महिलाओं की रिप्रोडक्टिव समस्या है, जबकि बाकी एक-तिहाई की वजह दोनों पक्ष होते हैं या उनके कारण अज्ञात हैं.
सच्चाई: ऐसा नहीं है. महिला और पुरुष दोनों की फर्टिलिटी पर असर पड़ता है. 40 साल की उम्र के बाद, पुरुषों के स्पर्म की मात्रा और मोटिलिटी भी घटने लगती है.
सच्चाई: यदि किसी कपल का पहले एक बच्चा है, तो भी दोबारा गर्भधारण में परेशानी हो सकती है. इसे सेकंडी इन्फर्टिलिटी कहते हैं.
सच्चाई: अनियमित पीरियड्स महिलाओं की आम समस्या है. नींद में गड़बड़ी, तनाव और व्यायाम में बदलाव, खराब खानपान भी हार्मोनों के नाजुक संतुलन को बिगाड़ सकता है ,जो कि मासिक चक्र को प्रभावित करते हैं.
सच्चाई: कई कपल्स को जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलना चाहिए. जिनमें शामिल हैं 35 साल से अधिक उम्र की महिलाएं, अनियमित पीरियड्स होना, फ्राइब्रॉयड और एंडोमीट्रियॉसिस की समस्या से ग्रस्त महिलाएं.
सच्चाई: गर्भनिरोधक पिल्स या दूसरे साधनों से इनफर्टिलिटी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता न ही पॉजिटिव न निगेटिव. महिलाएं जब भी पिल्स लेना बंद कर देती हैं, तो उसके एक या दो महीने बाद उनका पीरियड बिल्कुल पहले की तरह ही होता है. लेकिन अगर तीन महीने बाद भी चीजें नार्मल नहीं होती तो उन्हें डॉक्टर से मिलना चाहिए.
सच्चाई: नपुंसकता के शिकार अधिकांश पुरुषों में ऐसे कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखायी नहीं देते. नपुंसकता का कारण वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम होना हो सकता है, ज्यादातर लोगों को यही एक कारण लगता है, लेकिन शुक्राणुओं की गतिशीलता (मोटिलिटी) और शुक्राणुओं का आकार (मॉर्फोलॉजी) की भी इसमें भूमिका होती है.
इन्फर्टिलिटी का इलाज/प्रबंधन सही मायने में भावनात्मक स्तर पर काफी मुश्किल भरा रास्ता है. इन्फर्टिलिटी से जूझ रहे सभी मरीजों को सबसे पहले अपनी भावनाओं के बारे में अपने पार्टनर के साथ ईमानदारी से बात करनी चाहिए. यह भी सुनिश्चित करें कि आप अपनी भावनाओं को सकारात्मक, स्वस्थ तरीके से बांटे और यदि ऐसा करना मुश्किल हो, तो किसी भरोसेमंद थेरपिस्ट से सहायता लेने में देर न करें.
सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ का ध्यान रखने के जरुरी टिप्स यहां दिए जा रहे हैं:
पीरियड हाइजीन: यह बहुत जरूरी है कि लड़कियों को छोटी उम्र से ही पीरियड हाइजीन की जानकारी दी जाए. वजाइना की साफ-सफाई पर ध्यान देना बेहद जरुरी है.
एसटीडीएस (STDS) के बारे में जानकारी: यंग एडल्ट्स को एसटीडीएस यानी सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के बारे बताना चाहिए कि वो इससे कैसे बच सकते हैं.
हेल्दी बॉडी वेट: रेगुलर एक्सरसाइज और बैलेंस डाइट से हेल्दी बॉडी वेट को कैसे मेंटेन करना चाहिए इसके बारे में बताया जाना चाहिए.
हानिकारक चीजों से बचे: धूम्रपान छोड़ना, शराब और कैफीन का सेवन कम करना चाहिए.
एंटी-ऑक्सीडेंट्स और ओमेगा-3 खाएं: एंटी-ऑक्सीडेंट्स और ओमेगा-3 फैटी एसिड लेने से प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है.
स्ट्रेस को कम करें: हाई स्ट्रैस से हाई कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा बढ़ता है और यह प्रजनन क्षमता को कम करता है. जिसके कारण इम्युनिटी कमजोर होती है.
रेगुलर एक्सरसाइज: रेगुर एक्सरसाइज, योग और मेडिटेशन स्ट्रेस को कम करने और हेल्थ को बैलेंस रखने में मदद करता है.
पर्याप्त नींद: अच्छे और रिप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए पर्याप्त नींद लेना बहुत जरुरी है. ऐसा करके आप अपने शरीर में मेलाटोनिन लेबल बढ़ा सकते है.
प्री कन्सेपशन: जब भी आप बच्चे की प्लानिंग कर रहे हों उससे पहले प्री इवैल्युएशन लेबल के लिए डॉक्टर को दिखाना जरूरी है. इसमें आप का ब्लड टेस्ट, हार्मोनल लेबल, सोनोग्राफी जैसी चीजों से पता लगाया जा सकता है कि आप अभी तैयार हैं या नहीं. प्री कन्सेपशन फोलिक एसिड बच्चे में बर्थ डिफेक्ट को प्रिवेंट करने के लिए जरूरी है. इसलिए इसे 3 महीने पहले से शुरू कर देना चाहिए. इसके अलावा सीमन एनालिसिस मेल पार्टनर के लिए जरूरी है.
कन्सीव करने में दिक्कत: अगर आपको कन्सीव करने में दिक्कत होती है, तो पहले आपको किसी इनफर्टिलिटी एक्सपर्ट से मिलना चाहिए. ये तब और भी जरूरी हो जाता है जब आप बीते एक साल के दौरान कोशिश करने पर भी माता-पिता नहीं बन पा रहे हैं. स्पेशलिस्ट आपको इसमें अच्छे से गाइड कर आपकी समस्या को दूर कर सकता है
पीरियड संबंधी समस्याएं: अगर आपको पीरियड्स समय पर नहीं आते या फिर इसमें ज्यादा पेन होता है, तो आपको डॉक्टर से मिलने की जरूरत है. ये लक्षण होने पर तुरंत उपचार की जरूरत है ताकि आपकी समस्या का सही पता लगाया जा सके.
प्रेगनेंसी: अगर आपको लगता है कि आप प्रेगनेंट हैं तो जल्द से जल्द आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है. इससे आपको समय पर पैरेंटल केयर दिया जा सके तो आपके और आपके बच्चे दोनो के लिए जरूरी है.
सेक्सुअल हेल्थ: अगर आप किसी सेक्सुअल समस्या से जुझ रहे हैं जैसे कि एसटीडीएस या सेक्स के दौरान दर्द हो, तो आपको डॉक्टर को दिखाने की जरुरत है. इससे आपका इलाज जल्द से जल्द और सही तरह से हो सकेगा.
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