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विटामिन B₁₂ (Vitamin B₁₂) एक स्वस्थ शरीर और दिमाग के लिए बेहद महत्वपूर्ण माइक्रोन्यूट्रिएंट है. जिसकी आवश्यकता बेहद कम मात्रा में होती है, लेकिन यह शरीर के सही ढंग से काम करने में अहम भूमिका निभाता है. पानी में घुल सकने वाला ये विटामिन हमारे बॉडी की स्मूथ फंक्शनिंग के लिए जरूरी है.
विटामिन B₁₂ कितना जरूरी है? विटामिन B₁₂ शरीर में क्या काम करता है? इसकी कमी के लक्षण क्या हैं? यह किस फूड से मिलता है? क्या इसकी कमी होने पर ओरल सप्लीमेंट लेना सही है? विटामिन B₁₂ से जुड़े इन सवालों के जवाब हमने एक्सपर्ट्स से जानें.
विटामिन B₁₂ अनिवार्य रूप से ब्रेन फंक्शन, नर्व टिश्यू हेल्थ और रेड ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन के लिए आवश्यक है. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि बॉडी में हर टिश्यू का मेटाबॉलिज्म या चयापचय विटामिन B₁₂ पर निर्भर करता है क्योंकि यह फैटी एसिड और एनर्जी प्रोडक्शन के सिंथेसिस में एक भूमिका निभाता है.
फिट हिंदी से कुछ समय पहले बात करते हुए सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ वैभव मिश्रा को ने विटामिन B₁₂ के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा, "B₁₂ सबसे महत्वपूर्ण विटामिन है, जो ब्रेन और नर्वस सिस्टम के हेल्दी फंक्शनिंग के लिए आवश्यक है. जबकि यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए आवश्यक है. महिलाओं को गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान इसकी ज्यादा जरूरत होती है".
विटामिन B₁₂ न्यूरो सैलुलर प्रक्रियाओं के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होता है और इसके अलावा, यह हमारे न्यूरो वास्क्युलर, इम्यून सिस्टम तथा इंफ्लेमेट्री डिसॉर्डर्स को भी प्रभावित करता है. इसलिए, शरीर में माइक्रोन्यूट्रिएंट की कमी से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी12 मौजूद होना चाहिए.
फिजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए आवश्यक
डीएनए का निर्माण और उन्हें रेगुलेट करना
रेड ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन और डिविजन के लिए आवश्यक
ब्रेन और नर्वस सिस्टम की सुरक्षा करता है
बॉडी को एनर्जी देने के लिए एक व्यक्ति के डीएनए को सिंथेसाइज करता है
हमारी बॉडी को फोलिक एसिड अब्जॉर्ब करने में मदद करके एनर्जी रिलीज करने के सक्षम बनाता है
एनीमिया से बचाता है
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि B₁₂ की कमी सब-क्लिनिकल नेचर की हो जाती है. इसका मतलब है कि लंबे समय तक इस विटामिन की कमी के बाद ही इसके लक्षण दिखाई देते हैं. इसकी कमी का पता लगाना का एक ही तरीका है ब्लड टेस्ट.
यहां कुछ लक्षण हैं, जिनसे विटामिन B₁₂ की कमी का पता लगाया जा सकता है:
थकान / कम एनर्जी
चिड़चिड़ापन
मेमोरी लॉस
मेंटल क्लाउडनेस
मूड स्विंग
स्ट्रेस
डिप्रेशन
स्लो रिफ्लेक्स
चलने में दिक्कत
मुंह या जीभ में छाले
वजन कम होना / भूख कम लगना
पीला पड़ना और पीली त्वचा
मेंस्ट्रुअल या मासिक धर्म की समस्या
मांसपेशियों में ऐंठन
हाथ और पैरों में झुनझुनी
सांस फूलना
लंबे समय तक इसके लक्षणों का पता ही नहीं चलता है.
इस सवाल पर दीप्ति खाटूजा ने फिट हिंदी से कहा, "हालांकि इस बारे में अधिक शोध नहीं हुआ है और न ही सही कारणों का पता चल पाया है, लेकिन यह देखा गया है कि जब विटामिन बी6 सप्लीमेंटेशन की अधिक खुराक बी12 के साथ ली जाती है, तो बी6 की अधिक मात्रा के चलते गिरने का जोखिम बढ़ जाता है क्योंकि इसके कारण कई तरह के न्यूरोलॉजिकल लक्षण देखे गए हैं, जिनमें न्यूरोपैथी, मसल टोन में कमी और दूसरे कई हल्के-फुल्के न्यूरोलॉजिकल लक्षण शामिल हैं".
एक्सपर्ट आगे कहती हैं कि विटामिन बी12 की अधिकता के चलते होमोसाइस्टीन के स्तर में बढ़ोतरी होने से मूड पर असर पड़ सकता है. इसका कारण और प्रक्रिया अभी सही मालूम नहीं है लेकिन कुछ स्टडीज में यह देखने में आया है कि हाइपरहोमोसिस्टीनीमिया की वजह से कोलेजन प्रभावित होने के कारण हड्डियों के निर्माण और उनकी मजबूती पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.
विटामिन B₁₂ की अधिकता के चलते एंड स्टेज रीनल रोग (ESRD) का खतरा भी बढ़ता है. यदि कोई व्यक्ति एंड स्टेज रीनल रोग से पीड़ित है और उसमे फ्रैक्चर का जोखिम भी अधिक है, जैसा कि विटामिन डी की कमी के चलते होता है, तो ऐसे में विटामिन डी की कमी की वजह से फ्रैक्चर के जोखिम पर असर पड़ता है. हालांकि फिलहाल इसका कारण पता नहीं है लेकिन कुछ स्टडीज से यह बात सामने आयी है कि इसकी वजह से जोखिम बढ़ सकता है.
"बेशक, शरीर में कमी होने पर विटामिन B₁₂ सप्लीमेंट से इसे दूर किया जा सकता है लेकिन इसको डॉक्टर से कंसल्ट करके और उचित मात्रा में ही लेना चाहिए. यह भी देखा गया है कि आमतौर से विटामिन बी12 वेजीटेरियन भोजन में नहीं पाया जाता है, और ज्यादातर नॉन-वेज तथा डेयरी प्रोडक्ट और अंडे विटामिन बी12 के अच्छे स्रोत होते हैं. लेकिन अधिकांश आबादी वेजीटेरियन है और चूंकि वेजीटेरियन स्रोत वाकई सीमित हैं, लिहाजा उनसे विटामिन बी12 प्राप्त होने की संभावना न के बराबर होती है. उपलब्धता के अलावा, विटामिन बी12 का अवशोषण (absorption) भी प्रभावित होता है. इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि विटामिन बी12 सप्लीमेंट्स का सेवन किया जाए और शरीर में इसकी सही मात्रा के लिए फोर्टिफाइड फूड्स, तथा विटामिन बी12 से युक्त वेजीटेरियन खान-पान लेना चाहिए" ये कहना है हमारी एक्सपर्ट दीप्ति खाटूजा का.
विटामिन B₁₂ मुख्य रूप से नॉन-वेजीटेरियन फूड जैसे कि चिकन, फिश, चिकन पोन्ट्री, मीट, दूध और दूध से बने पदार्थों में मिलता है. वेजीटेरियन स्रोत में विटामिन B₁₂ लगभग नहीं होता.
स्टडीज के अनुसार, भारत में बड़ी संख्या में लोगों में इस विशेष विटामिन की कमी है. इसके पीछे कई कारण शामिल हैं. जैसे कि लाइफस्टाइल, खराब आहार विकल्प और जानकारी की कमी.
वेगन के साथ-साथ वेजिटेरियन लोगों में भी इसकी कमी अधिक है. ऐसा इसलिए है क्योंकि B₁₂ मुख्य रूप से मांस और मुर्गे में पाया जाता है.
चूंकि विटामिन B₁₂ के स्रोत मुख्य रूप से नॉन-वेजीटेरियन भोजन जैसे कि चिकन, फिश, चिकन पोन्ट्री, मीट, दूध और दूध से बने पदार्थ हैं. भारत काफी हद तक एक शाकाहारी देश है. इसलिए यह कमी देश को अधिक प्रभावित करेगी.
जो वेजिटेरियन लोग अपने B₁₂ का इनटेक बढ़ाना चाहते हैं, उन्हें डेयरी प्रोडक्ट्स, जैसे दूध, पनीर और दही, सोया दूध, अंडे से बने नाश्ते, अनाज पर ध्यान देना चाहिए.
ध्यान देने वाली एक महत्वपूर्ण बात ये है कि 40 से 80% वेजिटेरियन लोगों में विटामिन B₁₂ की कमी हो सकती है क्योंकि ये लोग विटामिन B₁₂ सप्लीमेंट भी नहीं ले रहे हैं.
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