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Women Medical Tests And Screening: एक महिला के पास एक नहीं बल्कि कई जिम्मेदारियां होती हैं, निभाने के लिए. महिलाएं एक हार्डकोर मल्टीटास्कर होती हैं, जो परिवार, करियर और घर की जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देने के बीच अक्सर अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना भूल जाती हैं.
एक महिला के लिए हेल्दी रहना, लाइफ में उसके महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक होना चाहिए जिसके लिए नियमित एक्सरसाइज, स्ट्रेस मैनेजमेंट और सही खान-पान की आवश्यकता होती है. अगर आपके घर की महिला अपने हेल्थ को प्रायोरिटी नहीं दे रहीं हैं, तो उनसे बात करें और जिम्मेदारियों को मिल-बांट कर उठाएं.
यहां महिलाओं के हेल्थ को ध्यान में रखते हुए एक्सपर्ट ने 9 हेल्थ टेस्ट्स और स्क्रीनिंग के बारे में बताया है.
1. हार्ट की जांच - 50 की उम्र के बाद कोशिश होनी कि महिलाएं हर साल ईसीजी, इको, ईकेजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) बीपी और टीएमटी कराएं.
2. ब्लड प्रेशर जांच - कई बार महिलाओं को लो और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है, जिसे वो समय पर समझ नहीं पाती हैं. हाई ब्लड प्रेशर को साइलेंट किलर माना जाता है, क्योंकि इसमें लक्षण दिखे बिना ही स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा रहता है. इसलिए नियमित रुप से ब्लड प्रेशर की जांच करवानी चाहिए.
3. बोन डेंसिटी टेस्ट (bone density test) - मेनोपॉज (Menopause) शुरू होने के बाद महिलाओं में हड्डियों से जुड़ी परेशानियां बढ़ जाती हैं. खास कर ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए साल में 1 बार बोन डेंसिटी टेस्ट कराना चाहिए. आर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या का पता लगाने के लिए बोन डेंसिटी टेस्ट बहुत उपयोगी साबित होता है.
4. कोलेस्ट्रॉल/लिपिड प्रोफाइल की जांच - हर साल कोलेस्ट्रॉल या लिपिड प्रोफाइल (lipid profile) की जांच करवानी चाहिए. खास कर उन महिलाओं को जिन्हें डायबिटीज, हार्ट या किडनी से जुड़ी कोई समस्या है.
5. आंखों का टेस्ट - उम्र बढ़ने के साथ आंखों में मोतिया बिंदु या ग्लूकोमा की शिकायत होने लगती है. ऐसे में डॉक्टर सलाह देते हैं कि हर 6 महीने में आंखों की जांच करवाते रहना चाहिए.
6. मैमोग्राम टेस्ट - मैमोग्राम टेस्ट की सहायता से समय पर ब्रेस्ट कैंसर (breast cancer) की समस्या का पता लगाया जाता है. पूरी दुनिया में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की समस्या तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में 40 साल की उम्र के बाद ये जांच साल में या 2 साल में एक बार जरुर करानी चाहिए.
7. पैप-स्मीयर टेस्ट (pap smear test) - पैप-स्मीयर टेस्ट की मदद से सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancer) का पता लगाया जाता है. इस टेस्ट से महिलाओं के गर्भाशय ग्रीवा में उन असामान्य कोशिकाओं का पता लगाया जाता है, जो कि कैंसर में डेवलप हो सकते हैं.
8. थॉयराइड टेस्ट (thyroid test) - थॉयराइड की जांच महिलाओं के लिए बहुत जरुरी है. थॉयराइड एक ग्लैंड है, जो गले में पाया जाता है. इससे हॉर्मोन बनते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को रेगुलेट करते हैं. थॉयराइड रोग 2 प्रकार के होते हैं. थॉयराइड टेस्ट से हॉर्मोन का लेवल चेक किया जाता है. साल में 1 बार इसकी जांच करते रहना चाहिए.
9. साइकोलॉजिकल स्क्रीनिंग (psychological screening) - अक्सर देखा गया है कि महिलाओं में मेनोपॉज के बाद, मूड स्विंग, डिप्रेशन, नींद नहीं आना, चिड़चिड़ापन जैसी परेशानी होने लगती है. साथ ही इस उम्र तक आते-आते बच्चे भी अपनी दुनिया में बिजी हो जाते हैं. जिसके कारण जीवन में एक खालीपन आ जाता है. ऐसे में किसी एक्सपर्ट से मिल कर समस्या का हल निकाला जा सकता है.
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