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छूने से कैंसर फैलता है? कैंसर से जुड़े ऐसे 5 मिथक और उनका सच

world cancer day 2023: कैंसर से जुड़े कॉमन मिथक के बारे में एक्सपर्ट्स ने क्या-क्या कहा?

अश्लेषा ठाकुर
फिट
Published:
<div class="paragraphs"><p>World Cancer Day 2023: एक्सपर्ट ने बताया कैंसर से जुड़े मिथकों में सच्चाई क्यों  नहीं है.</p></div>
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World Cancer Day 2023: एक्सपर्ट ने बताया कैंसर से जुड़े मिथकों में सच्चाई क्यों नहीं है.

(फोटो: iStock)

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World Cancer Day 2023: कैंसर एक गंभीर रोग है, जो दुनियाभर में मौत का एक प्रमुख कारण है. इंटरनेट और सोशल मीडिया की बढ़ती पहुंच से इसके बारे में पर्याप्‍त जानकारी आसानी से उपलब्‍ध है. इन जानकारियों की मदद से इस बीमारी को समझने में लोगों को फायदा मिल सकता है, लोग इसके पीड़ितों या ऐसे संस्‍थानों के साथ जुड़ सकते हैं, जो इन मरीजों की मदद करते हैं. लेकिन चिंता की बात ये हैं कि कई पोर्टल्‍स/सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में इस बीमारी को लेकर बहुत सारी गलत जानकारियां भी साझा हो रही हैं, जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.

कैंसर से जुड़े कॉमन मिथक के बारे में फिट हिंदी ने डॉ. शिवम शिंगला, कंसल्‍टेन्‍ट-मेडिकल ऑन्‍कोलॉजिस्‍ट, एस एल रहेजा हॉस्पिटल और फोर्टिस हॉस्पिटल से बात की.

1. कैंसर के मरीज के शुगर नहीं खाने से इलाज में मदद मिलती है

"यह सारे मरीजों और उनके रिश्तेदारों के बीच एक आम मिथक है. इसकी मान्यता इतनी मजबूत है कि ज्‍यादातर मरीजों को इस पर पक्का यकीन है. इस गलतफहमी को इंटरनेट, सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म्‍स, मैसेजिंग ऐप्‍लीकेशंस की सुलभता के कारण बढ़ावा मिलता है."
डॉ. शिवम शिंगला, कंसल्‍टेन्‍ट-मेडिकल ऑन्‍कोलॉजिस्‍ट, एस एल रहेजा हॉस्पिटल और फोर्टिस हॉस्पिटल

डॉ. शिवम शिंगला आगे कहते हैं, "चूंकि, हम कैंसर की कोशिकाओं द्वारा लिये जाने वाले ग्‍लूकोज के सिद्धांत पर आधारित सीटी पीईटी (पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी) स्‍कैन करते हैं इसलिये मरीज आमतौर पर इसका गलत अंदाजा लगाते हैं और अपने आहार से ग्‍लूकोज (शुगर) हटाने की सोचते हैं. इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. जब आप शुगर खाना बंद करते हैं, तब शरीर प्रोटीन्‍स को तोड़कर उसे ग्‍लूकोज में बदलने लगता है. इसलिये उपवास की स्थिति में भी ब्‍लड शुगर लेवल्‍स वही बने रहते हैं. कैंसर के मरीजों में कैलोरी की इस कमी से स्थिति खराब हो जाती है, मसल मास काफी कम हो जाता है और बुरे परिणाम मिलते हैं. हमारी सलाह है कि मरीज कैंसर का पता चलने से पहले वाली सामान्य डाइट ही लें".

कई बार कैंसर से जुड़े मिथक के कारण व्यक्ति अपने और अपने परिवार वालों के स्वास्थ्य को लेकर जरूरत से ज्‍यादा चिंतित हो जाते हैं. घबराने से पहले इन लोकप्रिय मिथकों के पीछे की सच्चाई का ध्यान रखें.

2. बायोप्‍सी करने से कैंसर फैलता है

यह कैंसर के मरीज के सबसे बड़े डरों में से एक है कि बायोप्‍सी करवाने से उनका कैंसर बढ़ेगा.

डॉक्टर कहते हैं कि भारत में हर साल कैंसर के 14 लाख मरीजों का इलाज होता है और दुनिया भर में 50 लाख से ज्‍यादा का. कोई भी मरीज बायोप्‍सी के बिना इलाज नहीं ले सकता. इस बात में जरा भी सच्चाई नहीं है कि कैंसर बायोप्‍सी से फैलता है. ज्‍यादातर मरीज लगभग 80% पहले से एडवांस्‍ड स्‍टेजेस में होते हैं और उनमें बीमारी बायोप्‍सी से पहले फैली हुई होती है और प्रीसिजन मेडिसिन के युग में इलाज अक्सर लक्षित होता है, जो कैंसर सेल्स के डिटेल्ड स्टडी और उनकी अनुवांशिक संरचना को समझने के बाद ही दिया जा सकता है.

3. छूने से कैंसर के कीटाणु फैलते हैं

डॉ. शिवम शिंगला कहते हैं कि कैंसर की कोशिकाएं कभी भी एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलती हैं. इसका मतलब यह भी है कि स्तनपान करवाने से या बच्चा के गर्भ में रहते हुए यह मां से बच्चे में नहीं फैल सकता और शारीरिक संपर्क से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी नहीं फैलता है. कैंसर की कोशिकाएं एक ही शरीर में बढ़ और फैल सकती हैं क्योंकि कैंसर अपने होस्‍ट के इम्‍युन सिस्‍टम से बच निकलता है.

"अगर कैंसर के मरीज का खून भी किसी में इंजेक्‍ट कर दिया जाए, तो उसका इम्‍युन सिस्‍टम कैंसर की कोशिकाओं को नकार देगा."
डॉ. शिवम शिंगला, कंसल्‍टेन्‍ट-मेडिकल ऑन्‍कोलॉजिस्‍ट, एस एल रहेजा हॉस्पिटल और फोर्टिस हॉस्पिटल
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4. गोमूत्र पीने से कैंसर के कीटाणु मर सकते हैं

भारत में कई मरीज या उनके परिवार वाले मानते हैं कि पारंपरिक दवाएं और गोमूत्र कैंसर की कोशिकाओं को मारने में मदद कर सकता है.

"हम कैंसर की दवा के शोध पर अरबों खर्च करते हैं. इस कोशिश में शोधकर्ताओं ने पारंपरिक दवाओं और गोमूत्र का भी ध्यान रखा है. मूत्र में ऐसा कोई कम्‍पाउंड नहीं है, जो कैंसर के मरीजों की मदद कर सके. यह भी लोगों की बड़ी गलतफहमियों में से एक है."
डॉ. शिवम शिंगला, कंसल्‍टेन्‍ट-मेडिकल ऑन्‍कोलॉजिस्‍ट, एस एल रहेजा हॉस्पिटल और फोर्टिस हॉस्पिटल

5. कैंसर के मरीजों को इलाज या कीमोथेरैपी के दौरान अकेले रहना चाहिए

"आमतौर पर देखा गया है कि रिश्तेदार कैंसर के मरीज को अकेला कर देते हैं और घर में ही रखते हैं क्योंकि उन्हें डर रहता है कि कैंसर के मरीज की इम्‍युनिटी कम होती है, तो मैं यहां बताना चाहूंगा कि आजकल कैंसर के कई मरीजों को ऐसा उपचार मिल रहा है, जो इम्‍युनिटी को दबाता नहीं है और हमारे पास ग्रोथ फैक्‍टर्स और इम्‍युनिटी बूस्‍टर्स भी हैं" ये कहना है हमारे एक्सपर्ट का. वो आगे कहते हैं,

"आज कैंसर के ज्‍यादातर मरीज यात्रा कर सकते हैं और रेस्‍टोरेंट में अपने रिश्‍तेदारों के साथ खाने का मजा ले सकते हैं. कैंसर के मरीज को सख्‍ती से कैद कर देने से पहले कृपया डॉक्‍टर से सलाह ले लें."

इसलिए, दिशा-निर्देशों को मानना, ‘क्‍या करें’ और ‘क्‍या नहीं करें’ को समझना और किसी दूसरे स्रोत से मिली जानकारी पर ध्‍यान न देना ही सबसे अच्‍छा है, क्‍योंकि इससे मरीज के स्‍वास्‍थ्‍य के साथ-साथ मानसिक सेहत को भी फायदा होगा.

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