World Cancer Day 2023: कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने के लिए आज हमारे डॉक्टर और हेल्थकेयर सिस्टम पहले से कहीं अधिक सक्षम हैं. पर तब भी कैंसर शब्द सुनकर जहन में बेचैनी सी उठती है. मन घबराने लगता है जब खुद में या किसी अपने में इस रोग के होने की थोड़ी सी भी आशंका होती है. दुनिया में न सिर्फ कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ रही है बल्कि इस बीमारी की चपेट में आ कर जान गंवाने वालों की तादाद भी बढ़ती जा रही है.
ऐसे तो इस रोग के लिए कोई एक कारण पूरी तरह से जिम्मेवार नहीं होता है पर कुछ परिवारों में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में भी ये बीमारी चली आती है.
जानते हैं कैंसर एक्सपर्ट्स से क्या परिवार में कैंसर की हिस्ट्री होने पर कैंसर की आशंका बढ़ जाती है? ऐसे कौन से कैंसर हैं, जिसमें जेनेटिक फैक्टर के कारण कैंसर होने का रिस्क ज्यादा होता है, कैंसर जेनेटिकली एक से दूसरे में पास होने की कितनी आशंका होती है? परिवार में कैंसर हिस्ट्री होने पर क्या करें? कैंसर से बचने के कारगर उपाय.
क्या परिवार में कैंसर की हिस्ट्री होने पर कैंसर की आशंका बढ़ जाती है?
"परिवार में कैंसर का इतिहास रहा होता है, तो आनुवांशिक कारणों से कैंसर के जीन के मौजूद होने की आशंका, कैंसर हिस्ट्री नहीं होने के मुकाबले अधिक होती है. यह जोखिम उस स्थिति में और बढ़ जाता है जब कैंसर रोगी की उम्र 50 वर्ष से कम हो या फिर एक या दो फर्स्ट रिलेटिव कैंसर रोगी हों."डॉ सिद्धार्थ साहनी, डायरेक्टर, ब्रैस्ट ओंकोलॉजी सर्जरी, फोर्टिस हॉस्पीटल, वसंत कुंज
फरीदाबाद के मारेंगो क्यूआरजी अस्पताल में ऑन्कोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट और एचओडी, डॉ. सनी जैन ने फिट हिंदी से कहा, "हां, कैंसर का पारिवारिक इतिहास होने से आपको हेरेडिटरी कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है लेकिन हेरेडिटरी कैंसर भी सब कैंसर में नहीं होता".
डॉ. सनी जैन कहते हैं कि आज के जमाने में भी भारत में लोग आमतौर से “C” शब्द के बारे में अपने ही परिवार में बातचीत करने से बचते हैं. खासतौर से ऐसे कैंसर जो महिलाओं से जुड़े होते हैं जैसे कि ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर के बारे में अब भी संकोच करते हैं.
परिवार में चले आ रहे कैंसर के बारे में बात करनी चाहिए और साथ ही इसकी पूरी स्क्रीनिंग भी करवानी चाहिए.
डॉ सिद्धार्थ साहनी फिट हिंदी को बताते हैं कि बीआरसीए (BRCA) जीन्स नेशनल कॉम्प्रीहेन्सिव कैंसर नेटवर्क (एनसीसीएन) की गाइडलाइन्स में विस्तार कर अब गैर-बीआरसीए जीन्स को भी जीन्स पैनल्स में शामिल कर दिया गया है ताकि बेहतर मेडिकल मैनेजमेंट हो सके. कैंसर से ग्रस्त रह चुके परिवारों में पैथोजेनिक म्युटेटेड जीन्स का पता लगने का प्रतिशत भी उतना ही महत्वपूर्ण है.
"जीन सीक्वेंसिंग ऐसी आधुनिक टैक्नोलॉजी है, जो फैमिली में कैंसर के बारे में और आनुवांशिक रूप से उसके होने की आशंकाओं के बारे में काफी कुछ पता लगा सकती है. अनुभवी ओंकोलॉजिस्ट आपको इस टेस्ट तथा उसके नतीजों के बारे में बता सकते हैं."डॉ सिद्धार्थ साहनी, डायरेक्टर, ब्रैस्ट ओंकोलॉजी सर्जरी, फोर्टिस हॉस्पीटल, वसंत कुंज
"कैंसर एक ऐसा रोग है, जिसे रोकना कई बार हमारे हाथों में होता है. कोशिश होनी चाहिए कि अपने परिवार में चले आ रहे और नई जुड़ी बीमारियों के बारे में सभी को पता हो. इससे कई बार बीमारी को होने या गंभीर बनने से रोका जा सकता है" ये कहना है गुरुग्राम, फोर्टिस हॉस्पिटल में ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी विभाग की डायरेक्टर डॉ. नूपुर गुप्ता का.
कैंसर जिसमें जेनेटिक फैक्टर के कारण, कैंसर होने का रिस्क ज्यादा होता है
"हर कैंसर का जेनेटिक (genetic) जोखिम काफी अधिक होता है. उनमें सबसे आम हैं ब्रैस्ट, ओवेरियन, लंग और प्रोस्टैट. हेरेडिटरी ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर (HBOC) ऐसा ही जेनेटिक डिसऑर्डर है, जिसमें ब्रेस्ट और ओवरियन कैंसर का जोखिम साधारण बीओसी से अधिक होता है. करीब 5–10% ब्रेस्ट कैंसर और 10–15% ओवरियन कैंसर का कारण HBOC होता है, जो कि दो प्रकार के कैंसर का कारण बनता है – रिश्तेदारों में ब्रेस्ट या ओवरियन कैंसर की फैमिली हिस्ट्री."डॉ सिद्धार्थ साहनी, डायरेक्टर, ब्रैस्ट ओंकोलॉजी सर्जरी, फोर्टिस हॉस्पीटल, वसंत कुंज
एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारत में कैंसर की वजह से ज्यादा लोगों की मृत्यु होने का एक बड़ा कारण है निदान और उपचार में देरी होना. अगर परिवार में कैंसर का इतिहास है तो ऐसे लोगों को प्रिवेंटिव चेक उप कराते रहना चाहिए.
"हेरेडिटरी कैंसर आम तौर पर ब्रेस्ट कैंसर, ओवेरियन कैंसर, कोलन कैंसर , प्रोस्टेट कैंसर जैसी बीमारियों में देखा गया है."डॉ. सनी जैन, सीनियर कंसल्टेंट और एचओडी, ऑन्कोलॉजी विभाग मारेंगो क्यूआरजी अस्पताल, फरीदाबाद
कैंसर जेनेटिकली एक से दूसरे में पास होने की कितनी आशंका होती है?
डॉ सिद्धार्थ साहनी ने फिट हिंदी को बताया कि कैंसर मरीजों से बच्चों को कैंसर नहीं होता. ट्यूमर कोशिकाओं में होने वाले जेनेटिक बदलाव भी अगली पीढ़ी को ट्रांसफर नहीं होते हैं. लेकिन पैरेंट के एग या स्पर्म सैल्स जेनेटिक्स संबंधी बदलावों की वजह से अगली पीढ़ी के लिए कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है.
"जब भी लोग जेनेटिक शब्द सुनते हैं, तो उन्हें लगता है कि यह माता या पिता से मिलने वाली जीन्स के संदर्भ में है. जीन्स दरअसल, निर्देश पुस्तिकाओं की तरह होती हैं, जो शरीर को काम करने के तौर-तरीकों के बारे में निर्देश देती हैं. इसी तरह हर ट्यूमर में अपनी खास तरह की जीन्स होती हैं."डॉ सिद्धार्थ साहनी, डायरेक्टर, ब्रैस्ट ओंकोलॉजी सर्जरी, फोर्टिस हॉस्पीटल, वसंत कुंज
वहीं डॉ. सनी जैन का कहना है, "अगर हम मां की बात करें, तो वह ओवेरियन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, यूटराइन कैंसर जैसी बीमारियों के म्यूटेड जीन्स अपनी बेटी को ट्रांसफर कर सकती हैं. वही अगर हम पिता की बात करें, तो वह प्रोस्टेट कैंसर के म्यूटेड जीन्स अपने पुत्र को ट्रांसफर कर सकते हैं".
"पैंक्रिएटिक कैंसर, स्किन कैंसर -मेलनोमा, कोलन कैंसर कुछ और हेरेडिटरी कैंसर है, जो कि फैमिली में ट्रांसफर हो सकते हैं. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कैंसर बिना किसी ज्ञात पारिवारिक इतिहास वाले परिवारों में भी हो सकता है. कैंसर का पारिवारिक इतिहास किसी व्यक्ति के जोखिम को बढ़ा सकता है लेकिन यह जरुरी नहीं कि व्यक्ति को यह बीमारी होगी ही."डॉ. सनी जैन, सीनियर कंसल्टेंट और एचओडी, ऑन्कोलॉजी विभाग मारेंगो क्यूआरजी अस्पताल, फरीदाबाद
इसी को ध्यान में रखकर कई कंपनियां जेनेटिक टैस्टिंग की पेशकश करती हैं. जेनेटिक टैस्टिंग सिर्फ स्पेशलिस्ट की सलाह से ही करवानी चाहिए. हालांकि कैंसर का कारण जेनेटिक बदलाव होता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसा हेरेडिटी की वजह से हो.
परिवार में कैंसर हिस्ट्री होने पर क्या करें?
अपने डॉक्टर को परिवार में कैंसर के इतिहास के बारे में जरुर बताएं. सचेत रहें पर बिना बात की चिंता न करें.
अपने डॉक्टर को परिवार में कैंसर के इतिहास के बारे में बताएं. सालाना हेल्थ चेक उप कराते रहें, अगर डॉक्टर को कोई शंका होती है, तो उनकी सलाह पर टेस्ट और चेक उप कराएं. जेनेटिक काउंसलिंग टेस्ट कराना फायदेमंद हो सकता है.
"कैंसर के प्रति बढ़ती जागरूकता और बेहतर डायग्नोस्टिक सुविधाओं के साथ, हम देख रहे हैं कि शुरुआती स्टेज के कैंसर के साथ अधिक रोगी आ रहे हैं. मेरे प्रैक्टिस में, लगभग 62% रोगियों में शुरुआती चरण के स्तन कैंसर होते हैं. सरकारी सेटअप में यह संख्या काफी कम है."डॉ रोहन खंडेलवाल - लीड कंसल्टेंट एंड एचओडी - द ब्रेस्ट सेंटर, सीके बिरला अस्पताल
कैंसर से बचने के कुछ कारगर उपाय क्या हैं?
कैंसर किसी को भी हो सकता है इसलिए सावधानी बरतें और नियमित जांच करवाते रहें. जिनके परिवार में कैंसर का इतिहास है वो सचेत रहें पर बिना बात की चिंता न करें. कैंसर से बचने के ये कुछ उपाय हैं, जिन्हें सभी को ध्यान में रखना चाहिए.
अपने डॉक्टर को परिवार में कैंसर के इतिहास के बारे में बताएं.
सालाना हेल्थ चेक उप कराते रहें, अगर डॉक्टर को कोई शंका होती है, तो उनकी सलाह पर टेस्ट और चेक उप कराएं.
35-40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को नियमित रूप से मैमोग्राम और पैप स्मीयर टैस्ट करवाना चाहिए. महिला रोग विशेषज्ञ की सलाह से मैमोग्राम हर साल होना चाहिए और पैप स्मीयर जांच हर तीन साल पर करवाएं.
वैक्सीन लगवाएं.
तंबाकू और शराब के सेवन से बचें.
वजन को कंट्रोल में रखें.
पौष्टिक आहार खाएं जिसमें साबूत अनाज, मौसमी फल, हरी सब्जियां, नट्स शामिल हों.
पर्याप्त मात्रा में पानी पियें.
सुरक्षित सेक्स प्रैक्टिस करें.
पर्याप्त नींद लें.
सनस्क्रीन लगाएं.
पर्यावरणीय प्रदूषणों से बचें.
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