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World Mental Health Day 2023: वर्क प्लेस पर तनाव और एंजाइटी हम सब पर हावी हो सकती है. ईमेल, टीम मैसेज और अचानक होने वाली मीटिंग्स को लेकर अनगिनत कॉल्स, किसी भी इंसान को परेशान कर सकती है. वैसे किसी-किसी दिन ऐसा महसूस होना सामान्य बात है, लेकिन जब काम की एंजाइटी किसी इंसान के व्यवहार या उसकी निजी या भावनात्मक जिंदगी पर प्रभाव डालने लगे तो उस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है.
यूकेजी के 'द वर्कफोर्स इंस्टीट्यूट' द्वारा दस देशों के 3,400 लोगों पर कराए गए सर्वे की एक नई स्टडी में यह बात सामने आई कि हमारी नौकरी, लीडरशिप और मैनेजर हमारे काम के अलावा हमारी लाइफ की दूसरी बातों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इस रिपोर्ट मे यह पाया गया कि लीडर और मैनेजर, कर्मचारियों के मेंटल हेल्थ में अहम भूमिका निभाते हैं.
स्टडी में 78% प्रतिभागियों ने बताया कि तनाव उनके काम पर नकारात्मक रूप से प्रभाव डालता है. 38% ने “शायद ही कभी” या “कभी भी नहीं ” इस बारे में अपने मैनेजर से बात की. अपने अनुभव न बताने का कारण था कि कई कर्मचारियों का मानना था, उनके मैनेजर को इसकी परवाह नहीं या फिर उनके पास मदद करने का वक्त नहीं.
लोग अपना ज्यादातर कामकाजी समय अपने सहकर्मियों और सीनियर्स के साथ बातचीत करने में बिताते हैं. ज्यादातर कर्मचारी हर दिन वर्कप्लेस कम से कम 8-10 घंटे ऐसे कामों को करते हुए बिताते हैं, जिन्हें हर दिन पूरा किया जाना जरूरी होता है.
ये हर दिन का टारगेट पूरा करना कर्मचारियों के प्रति मैनेजर की धारणा और उनके प्रयासों को एक जरूरी हिस्सा बनाती है कि कैसे कर्मचारी अपनी दैनिक क्षमता को दिखाते हैं.
कर्मचारियों के लॉन्ग टर्म गोल आमतौर पर इस बात से जुड़े होते हैं कि वे काम में कैसे हैं, बॉस और अपने इमीडिएट सुपरवाइजर के साथ उनका रिश्ता कैसा है, ये कुछ ऐसी बातें हैं, जो उनके मेंटल हेल्थ और खुद के प्रति उनकी राय पर प्रभाव डालती हैं.
इससे कर्मचारी, छोटी-छोटी आलोचनाओं के प्रति भी बेहद संवेदनशील हो जाते हैं.
स्ट्रेस के इस स्तर से उनमें घबराहट, डिप्रेशन, परिस्थितियों में एडजस्ट न कर पाने जैसी परेशानियों भी बढ़ सकती हैं. कुछ लोग तो नशे का सहारा भी लेने लगते हैं.
इससे बचने के लिए, हम सबको इस बात के लिए सतर्क रहना चाहिए कि हमारे बर्ताव और बातचीत का हमारे ऑफिस सहकर्मियों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है.
सहयोग या तारीफ की एक छोटी-सी बात भी एक व्यक्ति के आत्मविश्वास पर गहरा असर डाल सकती है. यह उन्हें अपने काम के प्रति भी ईमानदार और उत्साही बनाती है. एक ऐसी जगह जहां कर्मचारी, अपनी परेशानियां या अपना फीडबैक अपने सुपरवाइजर से साझा कर पाए, एक व्यक्ति को अपने काम में लंबे समय तक के लिए सुरक्षित बनाता है. इसलिए, समय-समय पर टाउनहॉल मीटिंग जैसी चीजें सारे कर्मचारियों की सेहत को बेहतर बनाने की दिशा में एक कदम हो सकता है.
आखिरकार, काउंसलर और मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल तक पहुंच प्रदान करने के लिए खासतौर से एक वर्कप्लेस मेंटल हेल्थ कार्यक्रम, हर कर्मचारी की सेहत को लंबे समय तक सुनिश्चित करता है और साथ ही कर्मचारियों की कार्यकुशलता और प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने में भी मदद करता है.
(ये आर्टिकल मुलुंड फोर्टिस हॉस्पिटल में मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेस के कंसलटेंट डॉ. केदार तिलवे ने फिट हिंदी के लिए लिखा है.)
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