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World Sickle Cell Awareness Day 2023: सिकल सेल रोग (SCD) एक आनुवंशिक यानी जेनेटिक बीमारी है, जिससे दुनिया भर में लाखों लोग पीड़ित हैं. WHO के अनुसार, नाइजीरिया और कांगो बाद भारत तीसरा ऐसा देश है, जहां सिकल सेल एनीमिया के सबसे ज्यादा मामले हैं. यह मॉलिक्यूलर स्तर पर पहचानी जाने वाली पहली आनुवंशिक बीमारी थी.
क्या होता है सिकल सेल रोग? सिकल सेल रोग के लक्षण और प्रकार क्या हैं? सिकल सेल रोग का इलाज क्या है? सिकल सेल रोग से ग्रस्त व्यक्ति का जीवन कैसा होता है? क्या हैं सिकल सेल रोग से निपटने के लिए बजट में की गई घोषणाएं? फिट हिंदी ने इन सारे सवालों के जवाब एक्सपर्ट्स से जानें.
सिकल सेल रोग और सिकल सेल एनीमिया दोनों एक ही रोग होते हैं. सिकल सेल रोग एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर है. यह असामान्य हीमोग्लोबिन से जुड़ा है, जो रेड ब्लड सेल्स में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है जिससे पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जाता है. रेड ब्लड सेल्स का असामान्य आकार उन्हें कम लचीला बनाता है और छोटे ब्लड सेल्स में फंसने का खतरा भी होता है, जिससे विभिन्न अंगों और टिशूज को ब्लड फ्लो और ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है. इसके चलते सिकल सेल संकट के रूप में गंभीर दर्द और शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है. इतना ही नहीं इन्फेक्शन और एनीमिया सहित कई जटिलताएं भी हो सकती हैं.
सिकल सेल रोग जीन में म्यूटेशन के कारण होता है, जो शरीर को हीमोग्लोबिन बनाने का निर्देश देता है. म्यूटेड जीन (प्रत्येक माता-पिता से एक) की दो प्रतियों को प्राप्त करने से बीमारी का सबसे गंभीर रूप सामने आता है, जिसे होमोजीगस सिकल सेल एनीमिया कहते हैं.
जो लोग म्यूटेड जीन की एक किस्म और एक सामान्य जीन की एक किस्म प्राप्त करते हैं, उनमें सिकल सेल विशेषता नाम की स्थिति होती है. ऐसे रोगी लक्षणों का अनुभव नहीं कर सकते या फिर हल्के लक्षण हो सकते हैं. हालांकि इसके बाद भी ये जीन अपने बच्चों को दे सकते हैं.
दो सामान्य A जीन्स प्राप्त करने की 25% या 4 में से 1 संभावना होती है तो, ऐसे बच्चे को सिकल सेल ट्रेट या रोग नहीं होता.
एक सामान्य हिमोग्लोबिन A जीन और एक हिमोग्लोबिन S जीन प्राप्त करने की 50% या 2 में से 1 आशंका होती है तो ऐसे बच्चे में सिकल सेल ट्रेट होता है.
दो हिमोग्लोबिन S जीन्स प्राप्त करने की 25% या 4 में से 1 आशंका होती है तो, ऐसा बच्चा सिकल सेल मरीज होता है.
एक्सपर्ट्स के अनुसार, ये हैं सिकल सेल रोग के लक्षण:
दर्द : पूरे शरीर में दर्द के अचानक और गंभीर दौर, अक्सर जोड़ों, हड्डियों, छाती या पेट में.
एनीमिया: रेड ब्लड सेल्स की संख्या कम होने के कारण थकान, कमजोरी, पीली त्वचा और सांस की तकलीफ.
पीलिया: रेड ब्लड सेल्स के टूटने के कारण त्वचा और आंखों का पीला पड़ना.
हाथों और पैरों की सूजन: हाथों और पैरों में ब्लॉक्ड ब्लड फ्लो के कारण सूजन.
बार-बार इन्फेक्शन: इन्फेक्शन के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि, विशेष रूप से बैक्टीरियल इन्फेक्शन.
बच्चों में देर से होने वाली वृद्धि और विकास: सिकल सेल रोग से ग्रस्त बच्चों की वृद्धि और विकास देर से होती है.
दृष्टि संबंधी समस्याएं: आंखों में ब्लड सेल्स के क्षतिग्रस्त होने से दृष्टि संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.
ब्रेन स्ट्रोक: कई बार सिकल सेल एनीमिया में ब्रेन स्ट्रोक होने की आशंका बनी रहती है.
सिकल सेल रोग के प्रकार:
सिकल सेल एनीमिया (HbSS): सिकल सेल रोग का सबसे आम और गंभीर रूप है. इसमें ग्रसित व्यक्ति को माता-पिता से असामान्य हीमोग्लोबिन जीन (HbS) की दो प्रतियां/कॉपी विरासत में मिलती हैं.
सिकल बीटा थैलेसीमिया: यह रूप तब होता है, जब किसी व्यक्ति को सिकल हीमोग्लोबिन जीन (HbS) की एक प्रति और बीटा थैलेसीमिया के लिए एक जीन की एक प्रति विरासत में मिलती है, जो एक दूसरे प्रकार का हीमोग्लोबिन डिसऑर्डर है.
दूसरे तरह के प्रकार: सिकल सेल-एचबीसी रोग और सिकल सेल-डी रोग जैसे कम सामान्य प्रकार हैं, जो विभिन्न असामान्य हीमोग्लोबिन जीन के कॉम्बिनेशन से उत्पन्न होते हैं.
सिकल सेल ट्रेट: जो लोग अपने एक पैरेंट से सिर्फ एक म्यूटेड जीन (हिमोग्लोबिन S) प्राप्त करते हैं, उन्हें सिकल सेल ट्रेट होता है. वे कोई लक्षण नहीं दिखाते या फिर उनमें सिकल सेल रोग के लक्षण काफी कम दिखाई दे सकते हैं.
कोई बच्चा तभी एससीडी पीड़ित हो सकता है, अगर माता-पिता दोनों में सिकल सेल जीन की एक कॉपी (सिकल सेल ट्रेट) मौजूद है और वे दोनों इसे बच्चे को पास कर दें. अगर माता-पिता में से कोई एक बच्चे को सिकल सेल जीन पास करते हैं, तो बच्चे में यह ट्रेट होगा लेकिन वह गंभीर बीमारी में विकसित नहीं होगा और इस वजह से उसमें मामूली या कम गंभीर या कोई लक्षण नहीं होंगे.
सिकल सेल रोग का इलाज :
पेन मैनेजमेंट: एपिसोड के दौरान दर्द को कम करने के लिए दर्द का इलाज दर्द निवारक दवाओं के साथ किया जाता है.
प्रिवेंटिव मेजर्स: नियमित टीकाकरण, जिसमें न्यूमोकोकल, मेनिंगोकोकल और इन्फ्लूएंजा के टीके शामिल हैं, इन्फेक्शन को रोकने में मदद करते हैं. बैक्टीरियल इन्फेक्शन के जोखिम को कम करने के लिए एंटीबायोटिक्स दिए जा सकते हैं.
हाइड्रोक्सीयूरिया: यह दवा भ्रूण के हीमोग्लोबिन के उत्पादन को बढ़ाकर कुछ व्यक्तियों में दर्द की फ्रीक्वेंसी और गंभीरता को कम करने में मदद कर सकती है, जो सिकल बनाने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करती है.
बोन मैरो ट्रांसप्लांट: यह प्रक्रिया अक्सर गंभीर मामलों में ही इस्तेमाल की जाती है. इसमें रोगी के रोगग्रस्त बोन मैरो को मेल खाने वाले हेल्दी बोन मैरो के साथ बदलना शामिल है. यह संभावित रूप से सिकल सेल रोग का इलाज कर सकता है लेकिन इसमें जोखिम है और सावधानीपूर्वक मिलान की आवश्यकता है.
ब्लड ट्रांसफ्यूजन: गंभीर मामलों में या जटिलताओं के दौरान, हेल्दी रेड ब्लड सेल्स की संख्या बढ़ाने और ऑक्सीजन बांटने में सुधार करने के लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता हो सकती है.
सिकल सेल रोग से ग्रस्त व्यक्ति पूरी तरह से सक्रिय जीवन जी सकता है. सिकल सेल रोग के रोगियों को बीच-बीच में दर्द, वासो-ऑक्लुसिव क्राइसिस (वीओसी) का सामना करना पड़ता है. यह समस्या बहुत तेज दर्द और थकान के कारण होती है.
सिकल सेल रोगी को कई बार अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ती है. वीओसी और दूसरे कई लक्षणों का भी सामना करना पड़ सकता है.
रोग के लक्षण और गंभीरता एक से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन सिकल सेल रोगी द्वारा सामना किए जाने वाले कुछ सामान्य अनुभव और चुनौतियों में इस प्रकार हैं:
दर्द-तकलीफ : सिकल सेल रोग दर्द के अचानक और गंभीर एपिसोड का कारण बन सकता है, जिसे दर्द संकट के रूप में जाना जाता है। ये संकट शरीर में कहीं भी हो सकते हैं और प्रबंधन के लिए अस्पताल में भर्ती और दर्द निवारक दवाओं की आवश्यकता पड़ सकती है.
थकान और एनीमिया: सिकल सेल रोग से क्रोनिक एनीमिया हो सकता है, जिसका मतलब है शरीर में रेड ब्लड सेल्स की संख्या कम होना. एनीमिया के कारण थकान, कमजोरी और सहनशक्ति में कमी हो सकती है, जिससे नियमित शारीरिक गतिविधियों में शामिल होना मुश्किल हो जाता है.
इमोशनल और साइकोलॉजिकल प्रभाव : सिकल सेल रोग जैसी पुरानी बीमारी के साथ रहने से व्यक्ति की मानसिक और इमोशनल हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है. बार-बार होने वाले दर्द के एपिसोड, दैनिक गतिविधियों में रुकावट और चल रही चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता से तनाव, चिंता, डिप्रेशन और सामाजिक अलगाव हो सकता है.
बजट 2023-2024 में वित्त मंत्री ने घोषणा की कि निजी रिसर्च और डेवलपमेंट टीमों के लिए चुनिंदा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) प्रयोगशालाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. इसका मतलब यह है कि सिकल सेल रोग पर काम करने वाले निजी रिसर्चर इन प्रयोगशालाओं की सुविधाओं और रिर्सोसेस का उपयोग कर सकते हैं, जिससे सिकल सेल रोग से लड़ने में मदद मिलेगी.
सिकल सेल रोग से पीड़ित मरीजों को इन घोषणाओं से लाभ होने की उम्मीद है:
प्रारंभिक पहचान और हस्तक्षेप: जनजातीय क्षेत्रों में 0-40 वर्ष के आयु वर्ग के सात करोड़ लोगों की बड़े पैमाने पर जांच से शुरुआती चरण में सिकल सेल एनीमिया वाले व्यक्तियों की पहचान करने में मदद मिलेगी. शुरुआती पहचान से समय पर हस्तक्षेप और इलाज हो सकता है, जिससे रोगियों की जिंदगी जीने की क्वालिटी में सुधार हो सकता है.
जागरुकता बढ़ाना: जागरुकता पैदा करने पर मिशन का फोकस सिकल सेल एनीमिया के बारे में आम जनता के बीच ज्ञान फैलाने में मदद करेगा. जागरूकता बढ़ने से रोगियों और उनके परिवारों के लिए बेहतर समझ, कम कलंक और बेहतर सपोर्ट सिस्टम हो सकता है.
मिलकर काम करने का प्रयास: परामर्श देने में केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों के सहयोगात्मक (collaborated) प्रयास रोगियों के लिए अधिक सपोर्ट सुनिश्चित कर सकते हैं. कंसल्टेशन सेवाएं रोग के इमोशनल और साइकोलॉजिकल पहलुओं पर नजर रख सकते हैं. लक्षणों के मैनेजमेंट पर मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं और सिकल सेल एनीमिया से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए रिर्सोसेस (resources) की पेशकश कर सकते हैं.
रिसर्च और डेवलपमेंट सपोर्ट: निजी रिसर्च और डेवलपमेंट टीमों के लिए ICMR प्रयोगशालाओं की उपलब्धता से सिकल सेल रोग की समझ, इलाज और मैनेजमेंट में प्रगति को गति मिल सकती है. यह सपोर्ट नए उपचारों के विकास, बेहतर डायग्नोस्टिक तरीकों और रोगियों की बेहतर देखभाल के लिए बड़ा कदम हो सकता है.
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