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वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने ऐसी एंटीबॉडी की पहचान की है जो ओमिक्रॉन (Omicron) और अन्य SARS-CoV-2 वैरिएंट को बेअसर करती है. ये एंटीबॉडी वायरस स्पाइक प्रोटीन के क्षेत्रों को टारगेट करते हैं जिनमें अनिवार्य रूप से वायरस के म्युटेशन (Mutation) के बाद कोई बदलाव नहीं आता है.
हॉवर्ड ह्यूजेस मेडिकल इंस्टीट्यूट के इन्वेस्टिगेटर और सिएटल (Seattle) में वॉशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन विश्वविद्यालय में बायो केमिस्ट्री के एसोसिएट प्रोफेसर, डेविड वेस्लर ने कहा, "स्पाइक प्रोटीन पर इन "मोटे तौर पर बेअसर" एंटीबॉडी (Antibody) के टारगेट की पहचान करके टीकों और एंटीबॉडी उपचारों को डिजाइन करना संभव हो सकता है जो न केवल ओमिक्रॉन वैरिएंट बल्कि भविष्य में उभरने वाले अन्य वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी होंगे."
वेस्लर ने कहा, "यह खोज हमें बताती है कि स्पाइक प्रोटीन पर इन अत्यधिक संरक्षित साइटों को टारगेटेड एंटीबॉडी पर टारगेट करके यह वायरस को लगातार बढ़ने से रोकने का एक तरीका है."
ओमिक्रॉन वैरिएंट में स्पाइक प्रोटीन में 37 म्यूटिशन होते हैं, जिसका उपयोग वह बॉडी सेल्स को पकड़ने और आक्रमण करने के लिए करता है. यह म्यूटिशन की असामान्य रूप से ज्यादा संख्या है. ऐसा माना जाता है कि ये बदलाव आंशिक रूप से यह दिखाते हैं कि क्यों यह वैरिएंट इतनी तेजी से फैलने में सक्षम है उन लोगों को संक्रमित करने के लिए भी जिन्हें टीका लगाया जा चुका है और वह लोग जो पहले संक्रमित हो चुके हैं. उन्हें फिर से संक्रमित कर सकते हैं.
वेस्लर ने कहा कि एंटीबॉडी वायरस के कई अलग-अलग रूपों में संरक्षित क्षेत्रों की पहचान करके उसे बेअसर करने में सक्षम हैं, यह बताता है कि इन क्षेत्रों को टारगेट करने वाले टीकों और एंटीबॉडी उपचारों को म्यूटिशन के माध्यम से उभरने वाले वैरिएंट के ब्रॉड स्पेक्ट्रम के खिलाफ प्रभावी हो सकता है.
(न्यूज इनपुट्स- UW Medicine)
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