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स्टार्टअप कंपनियां खासकर एडटेक कंपनियों के कर्मचारियों की नौकरी खतरे में हैं. पिछले कुछ दिनों से लगातार कर्मचारियों के निकाले जाने की खबरें आ रही हैं. Unacademy, Vedantu और Byju’s जैसी कंपनियों ने अपने सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है.
Byju's ने कुछ दिन पहले ही 2500 कर्मचारियों को बाहर निकाल दिया. 22 अरब डॉलर वैल्यू वाली इस स्टार्टअप ने ग्रुप की कई कंपनियों के कर्मचारियों को निकाला है. रिपोर्ट्स के मुताबिक Byju's ने Toppr, WhiteHat Jr और सेल्स एंड मार्केटिंग, ऑपरेशंस, कंटेंट और डिजाइन टीमों से फुल-टाइम और कॉन्ट्रैक्ट वाले कर्मचारियों को निकाला है.
2011 में बायजू रवींद्रन द्वारा स्थापित यह प्लेटफॉर्म एक बड़ा स्टार्ट-अप बन गया. पिछले साल, कंपनी ने सात से आठ प्रमुख कंपनियों का अधिग्रहण किया. इन कंपनियों में 600 मिलियन डॉलर में सिंगापुर स्थित ग्रेट लर्निंग, 500 मिलियन डॉलर में अमेरिका-आधारित किड्स लर्निंग प्लेटफॉर्म एपिक, 200 मिलियन डॉलर में सिलिकॉन वैली स्थित टाइनकर, 300 मिलियन डॉलर में कोडिंग ट्रेनिंग प्लेटफॉर्म व्हाइटहैट जूनियर और ऑनलाइन लर्निंग फर्म टॉपर सहित बड़ी कंपनियां शामिल थीं.
जुलाई 2020 में खरीदा गया व्हाइटहैट जूनियर, कंपनी के लिए विफल रहा, क्योंकि इसे वित्तीय वर्ष 2021 में 1,690 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है. वित्त वर्ष 2021 में इसका खर्च 2,175 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.
Unacademy ने भी पिछले दिनों अपने करीब 150 कर्मचारियों का बाहर का रास्ता दिखा दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक कंपनी ने करीब 2.6 फीसदी स्टाफ की छंटनी कर दी. हालांकि कंपनी ने कहा है कि परफॉमेंस के आधार पर इन कर्मचारियों की छुट्टी कर दी गई. इससे पहले अप्रैल में भी कंपनी ने करीब 600 स्टाफ को निकाला था.
मई में ही वेदांतु ने करीब 200 लोगों को नौकरी से निकाल दिया था. वहीं स्टार्टअप लीडो को तो अपना शटर ही बंद करना पड़ा. रोनी स्क्रूवाला का यह स्टार्टअप फरवरी में ही बंद हो गया और इसके एक हजार कर्मचारी अचानक बेरोजगार हो गए.
महामारी की वजह से जैसे ही स्कूलों और कॉलेजों को बंद करना पड़ा था, बच्चे और माता-पिता ऑनलाइन प्लेटफार्मों की ओर शिफ्ट हो गए. उन्हें वन-ऑन-वन ट्यूशन और अलग-अलग लेवल के टेस्ट की तैयारी, कोडिंग और अन्य विशेष कौशल जैसी सुविधाएं ऑफर की गई थीं.
हालांकि, महामारी के कमजोर पड़ने पर लोगों ने फिर ऑफ लाइन का रूख करना शुरू किया. स्कूल परिसर में कक्षा शुरू होने के साथ ही इन एडटेक प्लेटफॉर्म्स ने ऑनलाइन सीखने की मांग में गिरावट देखी. यही वजह है कि उन्हें अब अपनी लागत में कटौती करने, कर्मचारियों की छंटनी करने की नौबत आ गई है.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के माता-पिता ने यह शिकायत की थी कि सेल्समैन द्वारा उन्हें लगातार ऐसी कॉल आती है, जिनमें उन्हें ऐसे प्रेरित करने की कोशिश की जा रही है कि अगर वे बायजू का प्रोडक्ट (एजुकेशन स्कीम) नहीं खरीदते हैं तो उनका बच्चा कहीं न कहीं पीछे छूट जाएगा. माता-पिता ने आरोप लगाया कि उन्हें बिक्री एजेंटों द्वारा गुमराह किया गया था और उन्होंने एजुकेशन स्कीम लेकर अपने आपको ठगा हुआ महसूस किया.
यहां तक कि बायजू के पूर्व कर्मचारियों ने भी कंपनी के प्रबंधकों पर कई आरोप लगाए और बताया कि उन पर कंपनी की सेल्स को लेकर भारी दबाव बनाया जाता है और बायजू की स्कीम्स बेचने को लेकर एक लक्ष्य (टारगेट) निर्धारित कर दिया जाता है. हर समय कंपनी के टारगेट को दिमाग में रखने पर कर्मचारियों ने यह शिकायत भी की कि इसका उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, हालांकि बायजू ने दोनों आरोपों का खंडन किया है.
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