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माइथोलॉजी को मौजूदा वक्त से जोड़ने की एक खास कला देवदत्त पट्टनायक को हमारे वक्त का एक अहम लेखक और फिलॉसफर बनाती है. उनकी बातें जिंदगी और आज के राजनीतिक माहौल को समझने में मदद करती हैं. हाल में उन्होंने अलग-अलग मसलों पर कुछ ट्वीट किए.
देवदत्त लिखते हैं,
मतलब ये वक्त क्रोध का नहीं बल्कि सोचने का है. और जो नहीं सोचता वो बेवकूफ है. परेशानी में खुद के अंदर झांके बिना गुस्से को गले लगाना सिर्फ नुकसान ही पहुंचाता है.
राम की सीता, पार्वती के शिव, रामायण, गणेश की खासियत बताने वाले पौराणिक और धार्मिक रिसर्चर देवदत्त पटनायक हमारे अंदर के अहंकार को लेकर भी कुछ ज्ञान दे रहे हैं. वो ट्विटर की चिड़ियों के सहारे हमारे समाज के रट्टू तोतों पर भी तंज कस रहे हैं. वो कहते हैं,
देवदत्त का आज का ट्ववीट उन अहंकार के बारे में है, जो क्रोध का दोस्त है. अहंकार हमेशा आपको क्रोध में रखना चाहता है और शांति से दूर रखता है.
देवदत्त अहंकार को आतंकवाद का बीज मानते हैं. देवदत्त का मानना है कि अहंकार हमें खुद से दूर कर देता है.
देवदत्त कहते हैं,
देवदत्त उस बेसब्री के बारे में बताते हैं कि उतावलेपन में आप लोगों की बारे में बिना तथ्य धारणा बना लेते हैं. जो बहुत ही खतरनाक है.
इनके ये ट्वीट आपके आसपास चल रही राजनीति, ऑफिस, बिजनेस यहां तक कि आपकी पर्सनल लाइफ में चल रहे हलचल की खिड़की हैं. इनके अंदर झांकने के बाद पता चलता है कि बहुत कुछ छिपा है. बस उसे देखने और समझने की जरूरत है. देवदत्त पटनायक की कही बातों को पढ़िए और अपने आसपास, सोशल मीडिया से लेकर चाय की दूकान पर बैठे गप्पे लगा रहे लोगों की बात से जोड़कर देखिएगा. बहुत से जवाब मिल जाएंगे.
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