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वेद ज्ञान त्याग कर क्रोध की वकालत करना बेवकूफी है: देवदत्त पटनायक

सत्य पर देवदत्त पटनायक का ज्ञान 

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माइथोलॉजी को मौजूदा वक्त से जोड़ने की एक खास कला देवदत्त पट्टनायक में है.
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माइथोलॉजी को मौजूदा वक्त से जोड़ने की एक खास कला देवदत्त पट्टनायक में है.
(फोटो: Altered by Quint Hindi)

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माइथोलॉजी को मौजूदा वक्त से जोड़ने की एक खास कला देवदत्त पट्टनायक को हमारे वक्त का एक अहम लेखक और फिलॉसफर बनाती है. उनकी बातें जिंदगी और आज के राजनीतिक माहौल को समझने में मदद करती हैं. हाल में उन्होंने अलग-अलग मसलों पर कुछ ट्वीट किए.

देवदत्त लिखते हैं,

संकट में केवल मूर्ख वेद ज्ञान (आत्म ज्ञान) का त्याग कर क्रोध की वकालत करता है.

मतलब ये वक्त क्रोध का नहीं बल्कि सोचने का है. और जो नहीं सोचता वो बेवकूफ है. परेशानी में खुद के अंदर झांके बिना गुस्से को गले लगाना सिर्फ नुकसान ही पहुंचाता है.

सत्य पर देवदत्त पटनायक का ज्ञान

तोता बनोगे, तो समझ नहीं पाओगे कि जो बोला है उसका मतलब क्या है

राम की सीता, पार्वती के शिव, रामायण, गणेश की खासियत बताने वाले पौराणिक और धार्मिक रिसर्चर देवदत्त पटनायक हमारे अंदर के अहंकार को लेकर भी कुछ ज्ञान दे रहे हैं. वो ट्विटर की चिड़ियों के सहारे हमारे समाज के रट्टू तोतों पर भी तंज कस रहे हैं. वो कहते हैं,

<b>तोते इंसानों की सिखाई बात याद कर सकते हैं, शब्दों को दोहरा सकते हैं और इंसानों की तरह बोल सकते हैं. लेकिन वे समझ नहीं पाते हैं कि वे क्या कह रहे हैं? जहां तक उनका संबंध है, ये केवल ध्वनियां हैं, जो मनुष्यों ने उन्हें कहना सिखाया है.</b>
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अंहकार क्रोध का दोस्त है

देवदत्त का आज का ट्ववीट उन अहंकार के बारे में है, जो क्रोध का दोस्त है. अहंकार हमेशा आपको क्रोध में रखना चाहता है और शांति से दूर रखता है.

देवदत्त अहंकार को आतंकवाद का बीज मानते हैं. देवदत्त का मानना है कि अहंकार हमें खुद से दूर कर देता है.

देवदत्त कहते हैं,

<b>अहंकार अध्यात्म (जो परम आनंद और शांति देता है) की निंदा करता है, उसे अपयोगात्मक का दर्जा देता है, क्योंकि अहंकार चाहता है कि हम सदैव क्रोधित रहे.</b>

बेसब्री अक्ल का दुश्मन है

देवदत्त उस बेसब्री के बारे में बताते हैं कि उतावलेपन में आप लोगों की बारे में बिना तथ्य धारणा बना लेते हैं. जो बहुत ही खतरनाक है.

इनके ये ट्वीट आपके आसपास चल रही राजनीति, ऑफिस, बिजनेस यहां तक कि आपकी पर्सनल लाइफ में चल रहे हलचल की खिड़की हैं. इनके अंदर झांकने के बाद पता चलता है कि बहुत कुछ छिपा है. बस उसे देखने और समझने की जरूरत है. देवदत्त पटनायक की कही बातों को पढ़िए और अपने आसपास, सोशल मीडिया से लेकर चाय की दूकान पर बैठे गप्पे लगा रहे लोगों की बात से जोड़कर देखिएगा. बहुत से जवाब मिल जाएंगे.

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Published: 18 Feb 2019,04:20 PM IST

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