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यह कोई रहस्य नहीं है कि एचआईवी (HIV) सबसे खतरनाक वायरस में से एक है जो न केवल एक व्यक्ति को शारीरिक रूप से प्रभावित करता है बल्कि यह उन्हें मानसिक रूप से भी प्रभावित करता है. ऐसे में वायरस के खिलाफ हमारी लड़ाई में दवा अहम भूमिका निभाती है.
क्या होगा अगर ये दवाएं आसानी से उपलब्ध न हों ?
पिछले 5-6 महीनों से एंटीरेट्रोवायरल दवाई और एचआईवी के खिलाफ दवाओं की कमी है. हमारे सामने कोई विकल्प नहीं बचा तब हमने दिल्ली में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के बाहर विरोध करने का फैसला किया.
हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, असम और उत्तराखंड जैसे राज्यों में दवाओं की भारी कमी है, 10 जुलाई से दिल्ली में भी दवाओं की किल्लत है.
हम NACO से पर्याप्त मात्रा में दवाएं उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि उनके हिसाब से अगस्त के अंत तक दवा हमें आसानी से उपलब्ध हो जाएगी क्योंकि उनके द्वारा जारी की गई पहले का टेंडर लागू नहीं हो सका है.
NACO से हमारा विनम्र अनुरोध है कि जब भी दवा की कमी हो, कृपया हमें दवाएं उपलब्ध कराएं. जैसे ही हमें हमारी दवाएं मिलेंगी, हम NACO को धन्यवाद देंगे और अपना विरोध बंद कर देंगे.
द क्विंट को एक लिखित जवाब में, NACO ने स्वीकार किया कि एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (ART) केंद्रों में दवाओं की अस्थायी कमी है.
मेल में जवाब देते हुए NACO ने कहा कि "उन्हें (प्रदर्शनकारियों) कुछ ART केंद्रों पर दवाओं की उपलब्धता के लिए राज्य एड्स नियंत्रण समितियों और नाको के साथ संयुक्त रूप से काम करने के लिए कहा गया था, जो अस्थायी रूप से आपूर्ति पर कम चल रहे थे."
प्रदर्शनकारी HIV मरीजों के विपरीत NACO ने कहा कि एंटी रेट्रोवायरल दवाएं स्टॉक से बाहर नहीं थीं और कई दवाओं के खरीद के लिए ताजा सप्लाई के लिए ऑर्डर पहले ही दे दिए गए हैं .
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Published: 01 Aug 2022,09:32 PM IST