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'3 साल से हम फर्स्ट ईयर में हैं' परीक्षा में देरी पर नर्सिंग स्टूडेंट्स का दर्द

My Report: मेरे साथ मध्य प्रदेश में करीब 15 हजार छात्र इस समस्या से जूझ रहे हैं.

शिव सिंह दांगी
My रिपोर्ट
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<div class="paragraphs"><p>My Report: मध्य प्रदेश में नर्सिंग की परीक्षा में देरी</p></div>
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My Report: मध्य प्रदेश में नर्सिंग की परीक्षा में देरी

(फोटो: शिव सिंह डांगी)

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प्रोड्यूसर: माज़ हसन/विष्णु कांत तिवारी

वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान

मेरा नाम शिव सिंह डांगी है. मैं भोपाल के रोशन नर्सिंग कॉलेज का छात्र हूं. सितंबर 2020 में मैंने बीएससी नर्सिंग फर्स्ट ईयर में एडमिशन लिया था. अब 2023 है, और मेरे फर्स्ट ईयर की फाइनल परीक्षा अभी बाकी है.

हमने पहले भी अपने कॉलेज से परीक्षा में देरी के बारे में पूछा था. उसके बाद, कॉलेज ने प्री-यूनिवर्सिटी परीक्षा ली और यह दिखाने की कोशिश की कि हमारी परीक्षा होने वाली है. लेकिन पिछले तीन वर्षों में कोई परीक्षा आयोजित नहीं की गई है और हम अभी भी फर्स्ट ईयर में ही हैं.

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परीक्षा में देरी मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी (MPMSU), जबलपुर की ओर से हुई है, जो नर्सिंग कॉलेजों को संबद्ध करता है और परीक्षा आयोजित करता है. जिन कॉलेजों को 2020 में यूनिवर्सिटी से संबद्धता मिलनी चाहिए थी, उन्हें 2023 में संबद्धता पत्र मिला है. जिसके बाद परीक्षा की तारीखों का ऐलान किया गया.

हालांकि, इन कॉलेजों ने यह कहते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि उनके लिए रजिस्ट्रेशन कराना और इतने कम समय में परीक्षा की तैयारी करना मुश्किल है. हाई कोर्ट ने परीक्षा दर कर दी और मामले की सुनवाई जारी है.

यह सिर्फ मेरी समस्या नहीं है. मेरे साथ-साथ मध्य प्रदेश में लगभग 15000 विद्यार्थी इस समस्या से जूझ रहे हैं, जिनमें कुछ मेरे मित्र भी हैं.

इससे हमारे परिवारों पर आर्थिक दबाव पड़ रहा है. सिर्फ मैं ही नहीं, और भी छात्र हैं जो उसी स्थिति में हैं. मैंने फर्स्ट ईयर के छात्र लखन से बात की.

"मेरा 6 लोगों का परिवार है. मेरे पिता एक किसान हैं. वह मुझे प्रति माह लगभग 6,000-7,000 रुपये भेजते हैं. उन्हें परिवार का खर्च भी उठाना पड़ता है. हमारे पास 5-6 बीघा जमीन है जिससे मेरा और मेरे परिवार का खर्च चलाना मुश्किल है. मेरे परिवार का कहना है कि मुझे या तो काम करना शुरू कर देना चाहिए या अपनी पढ़ाई छोड़ कर घर लौट जाना चाहिए. उन्हें मेरी मदद की जरूरत है. हमने कर्ज भी लिया था और लेनदार वसूलने के लिए हमारे घर आ रहे हैं."
लखन तोमर, फर्स्ट ईयर, बीएससी नर्सिंग

यह सिर्फ फाइनेंशियल स्ट्रेस के बारे में नहीं है. यह सामाजिक दबाव के बारे में भी है. रिश्तेदार और दोस्त हमारी स्थिति को नहीं समझते हैं - यही कारण है कि हम पिछले तीन सालों से फर्स्ट ईयर में हैं.

बीएससी नर्सिंग फर्स्ट ईयर के छात्र विक्रम कहते हैं, "मैं एक पिछड़े वर्ग से आता हूं. कॉलेज की फीस, कमरे का किराया और खाने का खर्च लगभग 10,000 रुपये महीना है. मेरे माता-पिता इतना नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने मुझे पढ़ने के लिए भेजा है ताकि हम उन चुनौतियों का सामना करने से बच सकें जिनका वे सामना कर रहे हैं."

"चूंकि हम पिछते तीन सालों से फर्स्ट ईयर में ही हैं, इससे मेरे और मेरे परिवार की चिंता काफी बढ़ गई है. जब हम अपने रिश्तेदारों से मिलते हैं, तो वे हमसे उस कक्षा के बारे में पूछते हैं, जिसमें हम तीन साल से पढ़ रहे हैं."
विक्रम, फर्स्ट ईयर, बीएससी नर्सिंग

हमें बीएससी नर्सिंग करते हुए तीन साल हो गए हैं. हमें या तो दो साल का जनरल प्रमोशन दिया जाए, या हमारी परीक्षा हमारे कॉलेज में कराई जाए, ताकि हम चार साल के कोर्स को उतने ही समय में पूरा कर सकें. हमारा सरकार और विश्वविद्यालय से अनुरोध है कि इस मुद्दे का तत्काल समाधान करें.

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरीज सिटिजन जर्नलिस्ट द क्विंट को सबमिट करते हैं .हालांकि द क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों/आरोपों की जांच करता है, रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त किए गए विचार सिटिजन जर्नलिस्ट के अपने हैं. द क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)

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