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दिल्ली के शाहीन बाग में महिलाएं CAA-NRC के खिलाफ डटी हुईं हैं. इनसे प्रेरित होकर देशभर में कई जगह महिलाएं प्रदर्शन में हिस्सा ले रही हैं. पुणे के मोमिनपुरा में भी महिलाओं ने नागरिकता कानून के खिलाफ मोर्चा संभाला हुआ है.
दिल्ली के प्रदर्शनकारियों की तरह इनकी भी मांग है कि सीएए-एनआरसी वापस ली जाए.
इन महिलाओं ने पुलिस बर्बरता के खिलाफ भी आवाज उठाई है. प्रदर्शन में शामिल मुसर्रत का कहना है कि कानून और न्याय का आधार हिल चुका है, हम देख रहे हैं कि फायरिंग, लाठी चार्ज हो रही है और पुलिस खड़ी होकर देख रही है. यानी पुलिस भी हमारी रक्षा के लिए नहीं है.
प्रदर्शनकारी मुनाफ कहते हैं कि उन्हें हमारे कागज के बारे में पूछने का अधिकार नहीं है. हमने चुनाव से पहले उनसे कागज के लिए नहीं पूछा. आप हमारी वजह से चुने जाते हैं और फिर आप हमसे कागज मांगते हैं? मेरे पिताजी नहीं रहे, मेरे दादा भी नहीं रहे, मुझे उनके कागज कहां से मिलेंगे?
प्रदर्शनकारी शकील कहते हैं कि लोकतंत्र के 4 स्तंभ जो हम बोलते हैं- विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया. अगर ये चारों में मेलजोल हो जाते हैं तो हमारे पास एक ही रास्ता बचता है और वो रास्ता- सड़क. लाठी हम खाएंगे, हाथ नहीं उठाएंगे.
(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)
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