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(आईएएनएस)। महागठबंधन में शामिल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने बिहार (Bihar) में बनी नई सरकार में कोई मंत्री पद नहीं लेने का फैसला किया है।
सीपीआई (माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने शनिवार को यह घोषणा की।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नई सरकार का कैबिनेट विस्तार 16 अगस्त को होना है। बिहार विधानसभा में भाकपा (माले) के 12 विधायक हैं।
पार्टी महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा, हम बिहार में सात दलीय सरकार का हिस्सा हैं, लेकिन हम इसमें कोई मंत्री पद नहीं लेंगे। बिहार के मुख्यमंत्री ने देश के हित में एक अत्यंत साहसिक निर्णय लिया है जो बहुत ही सराहनीय है। हम उनका पूरा समर्थन करेंगे।
उन्होंने कहा, हमने शनिवार को नीतीश कुमार से मुलाकात की और अपनी बात रखी। हमारा लक्ष्य बिहार के आम लोगों के बीच समृद्धि लाना है न कि सत्ता हासिल करना।
भाकपा (माले) नेता ने कहा, भाजपा के साथ रहते हुए नीतीश कुमार घुटन महसूस कर रहे थे। अब उन्हें बड़ी राहत मिली है। उन्होंने हमें बताया कि वह अब खुली हवा में सांस लेना चाहते हैं।
भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा का राज्य में तानाशाही वाली रवैया था। देश के बाकी हिस्सों में भी इस पार्टी की यही प्रवृत्ति है। भाजपा देश के हर विपक्षी दल को नष्ट करना चाहती है और आम लोगों के बीच ऐसी छाप छोड़ना चाहती है कि 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं होगा या केवल औपचारिकता होगी। वे सांप्रदायिक एजेंडे को अंजाम देने के लिए बिहार की मिट्टी को एक प्रयोगशाला के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं। उस पर नीतीश कुमार ने ब्रेक लगा दिया है और उनके उद्देश्य को विफल कर दिया है।
उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि नई सरकार एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाए। इसकी जरूरत है, क्योंकि वाम दलों, राजद और कांग्रेस ने 2020 का विधानसभा चुनाव एक आम घोषणापत्र के साथ लड़े थे, जबकि जद-यू, जिसने भाजपा के साथ चुनाव लड़ा था, का अलग घोषणापत्र था।
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