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बीरभूम हिंसा: TMC लीडर की हत्या के बाद कैसे भड़की हिंसा, जलाए गए 8 लोग कौन?

पुलिस ने बीरभूम हिंसा मामले में अभी तक 20 लोगों को गिरफ्तार किया है.

क्विंट हिंदी
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<div class="paragraphs"><p>बीरभूम हिंसा</p></div>
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बीरभूम हिंसा

फोटोः क्विंट इनपुट

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बीरभूम (Birbhum Violence) के रामपुरहाट में भादु शेख की सोमवार को बाइक सवार हमलावरों ने हत्या कर दी थी. जिसके बाद भड़की हिंसा में भीड़ ने कथित तौर पर कई घरों में आग लगा दी थी. आग लगने से कई मकान जलकर राख हो गए थे. इस घटना में कम से कम 8 लोगों की मौत की पुष्टि हुई और तीन अस्पताल में भर्ती हैं. ग्रामीणों में दहशत का माहौल है.

पुलिस को संदेह है कि भादू शेख की हत्या के विरोध में कुछ बदमाशों ने उसके दूर के रिश्तेदार सोना शेख, मिहिलाल शेख, फातिक शेख और बनिरुल शेख के घरों में आग लगा दी थी.

फिलहाल, इस पूरे घटनाक्रम की जांच एक SIT की टीम कर रही है. खबर लिखे जाने तक इस मामले में 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

कौन था भादु शेख?

भादु शेख बीरभूम के रामपुरहाट के पास बोगतुई गांव का रहने वाला था. बोगतुई गांव में दो इलाके हैं, पुरबापारा (पूर्वी इलाका) और पश्चिमपारा (पश्चिमी इलाका). शेख पश्चिमपारा से था, लेकिन सोना शेख, मिहिलाल शेख और बनिरुल शेख सहित उनके कई रिश्तेदार पूर्बपारा में रहते थे.

स्थानीय लोगों का कहना है कि TMC में आने से पहले भादु शेख कांग्रेस से जुड़ा था. जब वह टीएमसी से जुड़ा तो वह बीरभूम के रामपुरहाट में एक प्रभावशाली व्यक्ति बन गया.

बताया जाता है कि जैसे-जैसे वह सत्ता और प्रभाव में बढ़ता गया, वह टीएमसी के लिए एक मजबूत व्यक्ति बन गया. कई लोगों का आरोप है कि शेख ने रेत और पत्थर के चिप्स ले जा रहे ट्रक ड्राइवरों से रंगदारी वसूल कर खूब पैसा कमाया. साल 2018 में, उसे बरशाल ग्राम पंचायत के सदस्य के रूप में चुना गया और निर्विरोध उप प्रमुख बनाया गया.

दरअसल, टीएमसी का गढ़ बीरभूम राजनीतिक हिंसा के लिए जाना जाता है. इस मामले में साल 2018 का पंचायत चुनाव भी कोई अपवाद नहीं था. बताया जाता है कि उस समय जब जब किसी विपक्ष के नेता ने नामांकन दाखिल करने की कोशिश की, तो विपक्षी नेताओं पर हमला किया गया. उस समय टीएमसी नेताओं पर चुनाव में विपक्षी दलों के खिलाफ हिंसा करने का आरोप लगाया गया था. उसी चुनाव में शेख विजयी हुआ था.

शेख के एक दूर के रिश्तेदार ने उसके साथ काम करने से भी इनकार कर दिया था. यह आरोप लगाते हुए कि वह भ्रष्ट आचरण में लिप्त है और उसे डर है कि शेख उससे भी ऐसा ही करवाएगा. इसके बाद जनवरी में शेख के आदमियों ने रिश्तेदार की कथित तौर पर पिटाई की थी.

बताया जाता है कि इलाके में उसके प्रभाव ने कई दुश्मनों को भी जन्म दिया, जो जाहिर तौर पर उसके विकास और प्रभाव को पसंद नहीं करते थे. शायद इसीलिए वो हमेशा कम से कम 10-12 अंगरक्षकों के साथ घूमता था.

5 जनवरी 2021 को उसके भाई बाबर शेख की हत्या कर दी गई थी. स्थानीय लोगों का आरोप है कि इसके पीछे भादू शेख के प्रतिद्वंद्वी थे.
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कैसे फैली हिंसा?

पुलिस के मुताबिक भादु शेख की सोमवार 21 मार्च को रात 8:30 बजे उस समय हत्या कर दी गई, जब वह चाय की दुकान पर था. इस वक्त वह फोन पर बात करते करते अपने गार्ड से दूर चला गया, तभी 6-7 हमलावर मोटरसाइकिलों से आए और उस पर बम फेंक दिया. हमलावर तुरंत मौके से फरार हो गए. उसके बाद उसे रामपुरहाट के सरकारी अस्पताल में लाया गया, जहां शेख को मृत घोषित कर दिया गया.

घटना के चश्मदीद मिहिलाल शेख खुद को बचाने के लिए अपने भाई के साथ घर से कुछ मीटर की दूरी पर छिपा हुआ था. वह द क्विंट को बताया कि उसकी पत्नी (शेली बीबी), बेटी (तुली खातून) और परिवार के 5 अन्य सदस्य घर के अंदर थे. हमलावरों ने कथित तौर पर घर को बाहर से बंद कर दिया और घर पर देसी बम फेंकना शुरू कर दिया. उस दौरान भीड़ ने करीब 10 घरों को कथित तौर पर आग के हवाले कर दिया.

पुलिस का कहना है कि इनमें से ज्यादातर घरों में महिलाएं और बच्चे थे. स्थानीय लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि ग्रामीणों ने आग बुझाने के लिए दमकलकर्मियों को गांव में प्रवेश करने से रोक दिया था.

स्थानीय लोगों का आरोप है कि हिंसा शेख की मौत के विरोध में हुई थी. हालांकि, भादू शेख की हत्या के आरोपी सोना शेख और फातिक शेख, दोनों अब भी फरार हैं.

सोना शेख के घर से 7 शव बरामद किए गए हैं. फातिक शेख की पत्नी मीना बीबी ने मंगलवार सुबह अस्पताल में दम तोड़ दिया. शेख के भाई जहांगीर ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि सोना और फातिक, भादू के दोस्त और सहयोगी हुआ करते थे, लेकिन सत्ता में बढ़ने के साथ वे अलग हो गए. उन्होंने यहां तक ​​आरोप लगाया कि उनके पास उनके भाई को जान से मारने की धमकी का फोन आया था.

इस बीच, शेख की पत्नी तेबीला बीबी ने द क्विंट को बताया कि वह मामले की सीबीआई जांच की मांग करती हैं. उसने दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए पीड़ितों पर अपने ही घरों में आग लगाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि गलत लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए.

वहीं, कुछ ही घंटों में, CID ​​के एडीजी ज्ञानवंत सिंह के नेतृत्व में एक SIT का गठन किया गया, जिसमें IGP (बर्दवान) भरत लाल मीणा और DIG (CID ​​ऑपरेशंस) मीराज खालिद शामिल हैं.

घटना के तुरंत बाद रामपुरहाट अनुमंडल पुलिस अधिकारी सयान अहमद और रामपुरहाट थाना के आईसी त्रिदीब प्रमाणिक को निलंबित कर दिया गया.

इस बीच, कोलकाता हाईकोर्ट ने बुधवार 23 मार्च को मामले का स्वत: संज्ञान लिया और डीजीपी मनोज मालवीय को गवाहों को सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को गुरुवार दोपहर 2 बजे तक अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.

डीजीपी मनोज मालवीय ने कहा कि सभी पक्षों की जांच की जा रही है. इसको राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए. इस मामले में एक व्यक्तिगत दुश्मनी के दृष्टिकोण पर विचार किया जाना चाहिए.

हालांकि, विपक्षी दलों और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने तृणमूल कांग्रेस को 'अराजकता' और 'राज्य में बढ़ती हिंसा' का जिम्मेदारा ठहराया है.

तेलंगाना के बीजेपी विधायक राजा सिंह जैसे कुछ लोगों ने यह कहकर घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की है कि बंगाल में हिंदू असुरक्षित हैं. हालांकि, इस हिंसा में मारे गए सभी लोग मुसलमान हैं.

स्थानीय लोगों ने द टेलीग्राफ को बताया कि गांव में ऐतिहासिक रूप से दो राजनीतिक समूह रहे हैं. पहले वे वामपंथ का हिस्सा थे, लेकिन बाद में टीएमसी के प्रति निष्ठा बदल ली. बावजूद, उनकी प्रतिद्वंद्विता कभी नहीं रुकी.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गुरुवार 24 मार्च को हिंसा स्थल का दौरा करेंगी. उन्होंने कहा कि किसी भी दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने विपक्ष पर घटना का राजनीतिकरण करने का भी आरोप लगाया.

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