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बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay HC) ने यौन उत्पीड़न के मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि किस (Kiss) करना अप्राकृतिक सेक्स (Unnatural Sex) नहीं है. अदालत ने एक नाबालिग लड़के के यौन उत्पीड़न के आरोपी को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि होठों पर किस (Kiss) और शरीर के अंगों को प्यार से छूना भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत अप्राकृतिक सेक्स (Unnatural Sex) नहीं है.
जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि "पीड़ित के बयान और मामले में दर्ज FIR के मुताबिक आरोपी ने पीड़ित के प्राइवेट पार्ट को छुआ और उसके होंठों को चूमा था. मेरे विचार से यह प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत अपराध नहीं है."
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि विकास मोहनलाल खेलानी लगभग एक साल से हिरासत में है और अभी भी आरोप तय नहीं हुआ है. अभी हाल फिलहाल मामले की सुनवाई जल्द शुरू होने की संभावना भी नहीं है. इसलिए वह जमानत का हकदार है. हाईकोर्ट ने आरोपी को 30 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत दे दी है.
मामले में FIR के अनुसार लड़के के पिता को उनकी अलमारी से कुछ पैसे गायब मिले. नाबालिग बेटे ने उन्हें बताया कि उसने आरोपी को एक ऑनलाइन गेम रिचार्ज करने के लिए पैसे दिए थे. उसने अपने पिता को यह भी बताया कि उस आदमी ने एक बार उसे चूमा और उसके प्राइवेट पार्ट को छुआ.
जिसके बाद सर्वाइवर के पिता ने पुलिस से संपर्क किया और POCSO अधिनियम और धारा 377 के तहत प्राथमिकी दर्ज करवाई थी.
प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट (POCSO) यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण प्रदान करने के लिए बनाया गया कानून है. इस कानून में अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा का प्रावधान है. हाल में केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि पॉक्सो एक्ट में फांसी की सजा का भी प्रावधान किया जाए.
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