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छत्तीसगढ़ के नारायणपुर (Narayanpur Church attack) में एक चर्च पर हमला हुआ. जीसस की प्रतिमा तोड़ दी गई. मदर मेरी की मूर्ति को खंडित कर दिया गया. चर्च के अंदर सबकुछ तहस नहस कर दिया गया. पुलिस ने इस केस में बीजेपी के दो नेताओं को गिरफ्तार किया है. क्विंट ने तफ्तीश की तो लोगों ने आरोप लगाया कि ये दोनों नेता पिछले कुछ महीनों से गांव-गांव जाकर बैठकें कर रहे थे और आदिवासियों को ईसाइयों के खिलाफ भड़का रहे थे. लोग इस ओर भी इशारा करते हैं कि रूपसाय सलाम को जैसे ही अक्टूबर 2022 में बीजेपी जिलाध्यक्ष बनाया गया दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ने लगा.
भीड़ ने हस्तक्षेप करने और स्थिति को शांत करने की कोशिश कर रहे पुलिस बल पर भी हमला किया था, जिसमें एसपी नारायणपुर, सदानंद कुमार को सिर में चोटें आईं.
2 जनवरी को पुलिस द्वारा जारी एक प्रेस नोट के अनुसार रूपसाय सलाम, नारायण मरकाम और 2,000 अन्य लोग 2 जनवरी, 2023 को 'सामाजिक मुद्दों पर चर्चा' करने के लिए एकत्र हुए थे.
रूपसाय सलाम नारायणपुर में बीजेपी के वर्तमान जिलाध्यक्ष हैं, जबकि नारायण मरकाम पूर्व जिलाध्यक्ष हैं.
वैसे तो रूपसाय सलाम बीजेपी के वर्तमान जिलाध्यक्ष हैं जबकि नारायण मरकाम पूर्व जिलाध्यक्ष हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इन दोनों की भूमिका यहीं तक सीमित नहीं है. सलाम और मरकाम दोनों ही बीजेपी और आरएसएस के करीबी माने जाते हैं और इन पर क्षेत्रीय नेताओं का भी खासा प्यार है.
ये नारायणपुर के पूर्व बीजेपी विधायक केदार कश्यप के करीबी हैं और नारायणपुर में कथित ईसाई धर्मांतरण के खिलाफ बीजेपी के अभियान में दोनों पार्टी के पोस्टर बॉयज भी हैं.
सलाम करीब एक दशक पहले नारायणपुर में बीजेपी के जिलाध्यक्ष थे लेकिन धीरे-धीरे उनकी राजनीतिक चमक कम होती गई और उनकी जगह नारायण मरकाम को जिला अध्यक्ष बनाया गया. नारायण मरकाम के बाद बीजेपी ने बृजमोहन देवांगन को ये जिम्मेदारी सौंपी.
इससे पहले, सलाम जनजातीय गौरव मंच नामक एक समूह से जुड़कर काम कर रहे थे, जिसे राइट विंग ग्रुप्स का समर्थन प्राप्त है. जनजातीय गौरव मंच का गठन 2012 में हुआ था और यह आदिवासियों के कथित जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ बीजेपी की मुहिम का अग्रणी चेहरा रहा है.
सलाम और मरकाम दोनों इस संगठन की सदस्य हैं, जिसका नेतृत्व एक अन्य बीजेपी नेता भोजराम नाग करते हैं, जो पूर्व में कांकेर जिले के अंतागढ़ क्षेत्र के विधायक थे.
सलाम जो बीजेपी की अनुसूचित जनजाति विंग के एक महत्वपूर्ण नेता हैं, रमन सिंह की सरकार के दौरान राज्य एसटी आयोग के सदस्य भी थे.
सूत्र बताते हैं कि इस बार जब मुख्य पार्टी लाइन में उनकी वापसी हुई तो उन्हें एक ही काम सौंपा गया था और वो था धर्मपरिवर्तन को मुद्दा बनाना. नारायणपुर के पूर्व बीजेपी विधायक केदार कश्यप के करीबी सलाम और मरकाम को जिला स्तर पर ये जिम्मेदारी सौंपी गई.
सूत्र का ये दावा है कि सलाम को दोबारा जिला अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से ही नारायणपुर जिले में आदिवासी और आदिवासी ईसाइयों के बीच तनातनी बढ़ने लगी थी.
नारायणपुर कांग्रेस के एक कार्यकर्ता ने दावा किया कि सलाम बीते कई महीनों से गांव गांव में बैठक कर रहे हैं और लोगों को ईसाई आदिवासियों के विरुद्ध भड़का रहे हैं.
बीजेपी के सलाम और मरकाम के नेतृत्व में कथित तौर पर भीड़ द्वारा एक चर्च में तोड़फोड़ करने और एसपी नारायणपुर पर हमला करने के एक दिन बाद, बीजेपी की राज्य इकाई ने अब नारायणपुर में हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है.
इसके कुछ ही घंटे बाद राजनांदगांव से सांसद संतोष पाण्डेय, नारायणपुर से बीजेपी के पूर्व विधायक केदार कश्यप सहित इस समिति के सदस्य नारायणपुर पहुंच गए. हालांकि इनको पुलिस ने नारायणपुर में प्रवेश करने से रोक दिया.
आरपी सिंह ने कहा कि, "नारायणपुर जिले में सारा हंगामा और उपद्रव बीजेपी नेताओं द्वारा किया गया था. जिला अध्यक्ष रूपसाय सलाम और पूर्व अध्यक्ष नारायण मरकाम उस भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे जिसने एक चर्च को तोड़ दिया और एसपी पर भी हमला किया. अब जब बीजेपी को यह लग रहा है कि उसकी योजना का पर्दाफाश हो गया है तो वह अपना मुंह छुपाने और अपने लोगों को बचाने के लिए जांच समिति का ढोंग रच रही है."
इनपुट: रौनक शिवहरे
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