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छत्तीसगढ़ में चर्च पर हमला: 'दोनों गिरफ्तार BJP नेता कुछ माह से बैठक कर रहे थे'

Chhattisgarh Violence: बीजेपी के जिलाध्यक्ष रूपसाय सलाम आरएसएस के बेहद करीबी माने जाते हैं.

क्विंट हिंदी
न्यूज
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<div class="paragraphs"><p>Narayanpur Church attack: दाएं से पहले नारायण मरकाम और बाएं से दूसरे रूपसाय सलाम</p></div>
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Narayanpur Church attack: दाएं से पहले नारायण मरकाम और बाएं से दूसरे रूपसाय सलाम

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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छत्तीसगढ़ के नारायणपुर (Narayanpur Church attack) में एक चर्च पर हमला हुआ. जीसस की प्रतिमा तोड़ दी गई. मदर मेरी की मूर्ति को खंडित कर दिया गया. चर्च के अंदर सबकुछ तहस नहस कर दिया गया. पुलिस ने इस केस में बीजेपी के दो नेताओं को गिरफ्तार किया है. क्विंट ने तफ्तीश की तो लोगों ने आरोप लगाया कि ये दोनों नेता पिछले कुछ महीनों से गांव-गांव जाकर बैठकें कर रहे थे और आदिवासियों को ईसाइयों के खिलाफ भड़का रहे थे. लोग इस ओर भी इशारा करते हैं कि रूपसाय सलाम को जैसे ही अक्टूबर 2022 में बीजेपी जिलाध्यक्ष बनाया गया दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ने लगा.

3 जनवरी 2023 को छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) पुलिस ने नारायणपुर (Narayanpur) में 2 जनवरी को हुई हिंसा के मामले में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के जिला अध्यक्ष रूपसाय सलाम (Roopsaay Salaam) समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. बीजेपी के रूपसाय सलाम और अन्य दक्षिणपंथी नेताओं के नेतृत्व में एक एंटी क्रिश्चियन रैली हिंसक हो गई, जिसके बाद जिला मुख्यालय के पास ही एक चर्च में तोड़फोड़ हुई और मदर मेरी और जीसस क्राइस्ट की मूर्तियों को भी तहस नहस कर दिया गया.

भीड़ ने हस्तक्षेप करने और स्थिति को शांत करने की कोशिश कर रहे पुलिस बल पर भी हमला किया था, जिसमें एसपी नारायणपुर, सदानंद कुमार को सिर में चोटें आईं.

2 जनवरी को पुलिस द्वारा जारी एक प्रेस नोट के अनुसार रूपसाय सलाम, नारायण मरकाम और 2,000 अन्य लोग 2 जनवरी, 2023 को 'सामाजिक मुद्दों पर चर्चा' करने के लिए एकत्र हुए थे.

रूपसाय सलाम नारायणपुर में बीजेपी के वर्तमान जिलाध्यक्ष हैं, जबकि नारायण मरकाम पूर्व जिलाध्यक्ष हैं.

पुलिस ने प्रेस नोट में कहा कि, "बैठक के बाद, भीड़ लाठी और बांस से लैस विभिन्न समूहों में तितर-बितर हो गई और एक विशेष समुदाय के पूजा स्थल (जो स्कूल परिसर में स्थित है) को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से शहर की ओर बढ़ने लगी."

कौन हैं रूपसाय सलाम और नारायण मरकाम?

वैसे तो रूपसाय सलाम बीजेपी के वर्तमान जिलाध्यक्ष हैं जबकि नारायण मरकाम पूर्व जिलाध्यक्ष हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इन दोनों की भूमिका यहीं तक सीमित नहीं है. सलाम और मरकाम दोनों ही बीजेपी और आरएसएस के करीबी माने जाते हैं और इन पर क्षेत्रीय नेताओं का भी खासा प्यार है.

ये नारायणपुर के पूर्व बीजेपी विधायक केदार कश्यप के करीबी हैं और नारायणपुर में कथित ईसाई धर्मांतरण के खिलाफ बीजेपी के अभियान में दोनों पार्टी के पोस्टर बॉयज भी हैं.

सलाम करीब एक दशक पहले नारायणपुर में बीजेपी के जिलाध्यक्ष थे लेकिन धीरे-धीरे उनकी राजनीतिक चमक कम होती गई और उनकी जगह नारायण मरकाम को जिला अध्यक्ष बनाया गया. नारायण मरकाम के बाद बीजेपी ने बृजमोहन देवांगन को ये जिम्मेदारी सौंपी.

लेकिन, अचानक से अक्टूबर 2022 में सलाम को फिर से बीजेपी के जिलाध्यक्ष के रूप में बहाल कर दिया गया.

बीजेपी के गमछे में नजर आ रहे हैं नारायण मरकाम, साथ में हाथ हिलाते पूर्व बीजेपी विधायक केदार कश्यप

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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इससे पहले, सलाम जनजातीय गौरव मंच नामक एक समूह से जुड़कर काम कर रहे थे, जिसे राइट विंग ग्रुप्स का समर्थन प्राप्त है. जनजातीय गौरव मंच का गठन 2012 में हुआ था और यह आदिवासियों के कथित जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ बीजेपी की मुहिम का अग्रणी चेहरा रहा है.

सलाम और मरकाम दोनों इस संगठन की सदस्य हैं, जिसका नेतृत्व एक अन्य बीजेपी नेता भोजराम नाग करते हैं, जो पूर्व में कांकेर जिले के अंतागढ़ क्षेत्र के विधायक थे.

सलाम जो बीजेपी की अनुसूचित जनजाति विंग के एक महत्वपूर्ण नेता हैं, रमन सिंह की सरकार के दौरान राज्य एसटी आयोग के सदस्य भी थे.

छत्तीसगढ़: नारायणपुर बीजेपी अध्यक्ष रूपसाय सलाम

फोटो- क्विंट हिंदी

सूत्र बताते हैं कि इस बार जब मुख्य पार्टी लाइन में उनकी वापसी हुई तो उन्हें एक ही काम सौंपा गया था और वो था धर्मपरिवर्तन को मुद्दा बनाना. नारायणपुर के पूर्व बीजेपी विधायक केदार कश्यप के करीबी सलाम और मरकाम को जिला स्तर पर ये जिम्मेदारी सौंपी गई.

सूत्रों ने यह भी दावा किया कि मरकाम और सलाम दोनों को नारायणपुर के पूर्व बीजेपी विधायक केदार कश्यप का 'आशीर्वाद' प्राप्त है और उनके समर्थन से दोनों नेता जमीन पर बीजेपी के ईसाई विरोधी और हिंदुत्व समर्थक आंदोलन का चेहरा बन गए.

सूत्र का ये दावा है कि सलाम को दोबारा जिला अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से ही नारायणपुर जिले में आदिवासी और आदिवासी ईसाइयों के बीच तनातनी बढ़ने लगी थी.

नारायणपुर कांग्रेस के एक कार्यकर्ता ने दावा किया कि सलाम बीते कई महीनों से गांव गांव में बैठक कर रहे हैं और लोगों को ईसाई आदिवासियों के विरुद्ध भड़का रहे हैं.

"पहले रोको, फिर टोको और फिर ठोको का नारा नारायणपुर में अचानक से सुनाई देने लगा था. और जो गांव से जानकारी निकल कर आती थी उसके हिसाब से यही नारा लेकर रूपसाय सलाम और नारायण मरकाम की टीम वैमनस्यता फैला रही थी. इसके चलते इनके ऊपर कई थानों में केस भी दर्ज हुए हैं."
कांग्रेसी कार्यकर्ता

हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए बीजेपी ने बनाई कमेटी, कांग्रेस ने बताया ढोंग

बीजेपी के सलाम और मरकाम के नेतृत्व में कथित तौर पर भीड़ द्वारा एक चर्च में तोड़फोड़ करने और एसपी नारायणपुर पर हमला करने के एक दिन बाद, बीजेपी की राज्य इकाई ने अब नारायणपुर में हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है.

बीजेपी ने ट्वीट कर कहा कि, "नारायणपुर और नारायणपुर जिले में घटी घटनाओं को लेकर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने 6 सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है. यह समिति जल्द ही संबंधित स्थानों पर जाकर इस घटना से जुड़े तथ्यों की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट पार्टी को सौंपेगी."

इसके कुछ ही घंटे बाद राजनांदगांव से सांसद संतोष पाण्डेय, नारायणपुर से बीजेपी के पूर्व विधायक केदार कश्यप सहित इस समिति के सदस्य नारायणपुर पहुंच गए. हालांकि इनको पुलिस ने नारायणपुर में प्रवेश करने से रोक दिया.

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह ने बीजेपी की कार्रवाई को ढोंग बताते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी-आरएसएस आदिवासियों के बीच हंगामा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं और यह बस्तर में अशांति पैदा करने, धर्म के मुद्दे को बोने और आदिवासियों का शोषण करने की एक बड़ी योजना का हिस्सा है.

आरपी सिंह ने कहा कि, "नारायणपुर जिले में सारा हंगामा और उपद्रव बीजेपी नेताओं द्वारा किया गया था. जिला अध्यक्ष रूपसाय सलाम और पूर्व अध्यक्ष नारायण मरकाम उस भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे जिसने एक चर्च को तोड़ दिया और एसपी पर भी हमला किया. अब जब बीजेपी को यह लग रहा है कि उसकी योजना का पर्दाफाश हो गया है तो वह अपना मुंह छुपाने और अपने लोगों को बचाने के लिए जांच समिति का ढोंग रच रही है."

इनपुट: रौनक शिवहरे

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