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Delhi: सीनियर्स के 'हमले' से 12 साल के बच्चे की मौत मामले में FIR, गैर इरादतन हत्या की धारा

दिल्ली पुलिस ने गुरुवार 1 फरवरी को गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया.

वर्षा श्रीराम
क्राइम
Published:
<div class="paragraphs"><p>किंतन सारस्वत की सीनियर्स की  "पिटाई" के नौ दिन बाद 20 जनवरी को मृत्यु हो गई</p></div>
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किंतन सारस्वत की सीनियर्स की "पिटाई" के नौ दिन बाद 20 जनवरी को मृत्यु हो गई

(फोटो: द क्विंट द्वारा एक्सेस किया गया)

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Delhi Crime: उत्तरी दिल्ली के शास्त्री नगर के एक सरकारी स्कूल में सीनियर छात्रों द्वारा कथित तौर पर पीटे जाने के बाद 12 वर्षीय लड़के की मौत हो गयी थी. इसके लगभग दो सप्ताह बाद, दिल्ली पुलिस ने गुरुवार, 1 फरवरी को इसमें मामले में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया.

उत्तरी दिल्ली के सर्वोदय बाल विद्यालय स्कूल में कक्षा 6 के छात्र किंतन सारस्वत की 20 जनवरी को मृत्यु हो गई. मौत से नौ दिन पहले उसे कथित तौर पर सीनियर छात्रों ने उस समय बुरी तरह पीटा था जब वह गलती से उनसे टकरा गया था.

डिप्टी कमिश्नर (नॉर्थ) मनोज कुमार मीना ने कहा कि नाबालिग की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत का कारण "तेज प्रहार/ ब्लंट फोर्स के कारण बाएं घुटने में आई चोट और उसके कारण सेप्टिकैमिक शॉक" को बताया गया है.

इसके बाद, सराय रोहिल्ला पुलिस स्टेशन ने आईपीसी) की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत एक एफआईआर दर्ज की है.

पुलिस अधिकारियों ने द क्विंट से पुष्टि की कि आगे की जांच चल रही है और वे मामले में शामिल होने के संदेह में छात्रों से पूछताछ कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अभी तक किसी को पकड़ा नहीं गया है.

'उसने मुझे बताया कि सीनियर्स ने उसे पीटा हैं': एफआईआर में पिता 

द क्विंट को मिली एफआईआर के मुताबिक, घटना कथित तौर पर 11 जनवरी को हुई थी.

पुलिस को दिए अपने बयान में, मृतक बच्चे के पिता राहुल सारस्वत ने कहा कि उनके बेटे ने स्कूल से लौटने पर उन्हें बताया कि उसे स्कूल के सीनियर छात्रों ने पीटा था. उसने बताया था कि उसके बाएं घुटने में इंजरी है. राहुल सारस्वत एक निजी कूरियर कंपनी में दिहाड़ी वर्कर हैं.

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क्विंट से पहले बात करते हुए राहुल ने कहा था:

"मेरे बेटे ने मुझे बताया कि ब्रेक के बाद वह बाथरूम से क्लास लौट रहा था, तो उसकी गलती से एक सीनियर लड़के से टक्कर हो गयी. उसने मुझे बताया कि सीनियर ने दूसरे बच्चों को बुलाया और उसकी पिटाई की. उसने मुझे बताया कि उन्होंने उसे उठाकर जमीन पर पटक दिया और पीटते रहे."

डीसीपी (नॉर्थ) ने कहा कि परिवार अपने बेटे को अशोक विहार के दीप चंद बंधु अस्पताल ले गया, जहां उसे कुछ दवाएं दी गईं और आगे के इलाज के लिए आर्थोपेडिक ओपीडी में रेफर कर दिया गया.

अधिकारी ने आगे कहा, "11 जनवरी को जब वे दोपहर 3.28 बजे अस्पताल गए तो ऑर्थो ओपीडी बंद थी. इसके बाद मरीज ने पीडी को रिपोर्ट नहीं की."

चार दिन बाद, 15 जनवरी को, बच्चे को रोहिणी के एक प्राइवेट क्लिनिक में ले जाया गया, जहां और दवाएं लिखी गईं.

दवाओं को लेने के बाद किंतन को बेहतर महसूस हुआ. लेकिन परिवार ने द क्विंट से दावा किया कि कुछ दिनों बाद उसे फिर से दर्द का अनुभव होने लगा. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 20 जनवरी को नाबालिग की तबीयत बिगड़ने पर उसे दीप चंद बंधु अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

'तेज प्रहार से लगा सदमा': पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में क्या खुलासा?

किंतन के माता-पिता ने आरोप लगाया कि स्कूल अधिकारियों के साथ-साथ उसका इलाज करने वाले डॉक्टरों की लापरवाही के कारण उनके बेटे की मौत हो गई.

डीसीपी (नॉर्थ) मीना ने कहा कि मृत बच्चे की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था. पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी हुई और तस्वीरें खींची गईं.

द क्विंट द्वारा एक्सेस की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि किंतन को "तेज प्रहार/ ब्लंट फोर्स के प्रभाव से उसके बाएं घुटने पर एंटीमॉर्टम चोट आई, जिसके वजह से उसे सेप्टिकेमिक शॉक लगा."

नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट से बात करते हुए एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "जांच चल रही है. हमने छात्रों से भी बात की है. चूंकि यह किशोरों से जुड़ा मामला है, इसलिए इसे सावधानी से और कानून के अनुसार संभालना होगा. हमें कुछ जानकारी मिली है और हम उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे.''

'कार्रवाई करने में देरी क्यों हो रही है?' किंतन के माता-पिता

इस बीच, किंतन के माता-पिता, राहुल और सोनी सारस्वत, सर्वोदय बाल विद्यालय स्कूल के अन्य छात्रों के पैरेंट्स के साथ, किंतन के लिए न्याय की मांग करते हुए स्कूल के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

स्कूल अधिकारियों और पुलिस की ओर से कथित देरी पर सवाल उठाते हुए, राहुल ने द क्विंट को कहा, "15 जनवरी के बाद से, मैंने किंतन के खिलाफ हमले के संबंध में अधिकारियों से बात करने के लिए कई बार स्कूल गया. मुझे कोई कारण नहीं बताया गया और वापस भेज दिया गया. मैं 20 (जनवरी) को पुलिस के पास पहुंचा. अबतक बारह दिन हो गए हैं, और हमें पता नहीं है कि अपराधी कौन हैं. इतनी देरी क्यों हो रही है? वे क्या छिपा रहे हैं?"

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