"ऐसे कौन से गुंडे पाल रखे हैं स्कूल में? मेरे बच्चे को इतनी बुरी तरह मारा है कि वो आखिर तक बेड से उठा ही नहीं. मेरा बेटा चार कंधों पर गया, अपने पैरों पर नहीं."
40 साल के राहुल सारस्वत और उनकी 37 साल की पत्नी सोनी की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. उन्हें अपने 12 साल के बेटे किंतन के गुजर जाने का गम सता रहा है, जिसका 20 जनवरी को निधन हो गया था. किंतन की उत्तरी दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में उसके सीनियर्स ने कथित तौर पर बुरी तरह पिटाई की गई थी और नौ दिनों तक जिंदगी की जंग लड़ने के बाद उसका निधन हो गया. दूसरी तरफ, उनकी 13 साल की बेटी तन्नु चुप रहती है. उसे बार-बार अपनी दादी को गले लगाने में आराम मिलता है.
परिवार शास्त्री नगर में अपने साधारण दो-बेडरूम वाले घर के अंदर बैठा है. मां सोनी ने द क्विंट से कहा, "वो मेरा बच्चा नहीं, मेरी आत्मा थी जो निकल के चली गयी."
किंतन उत्तरी दिल्ली के सर्वोदय बाल विद्यालय स्कूल में कक्षा 6 का छात्र था. 20 जनवरी को हालत खराब होने के बाद किंतन को उत्तरी दिल्ली के अशोक विहार स्थित दीप चंद बंधु अस्पताल ले जाया गया, जहां बाद में उसकी मृत्यु हो गई.
अधिकारियों ने द क्विंट से पुष्टि की है कि दिल्ली पुलिस ने अभी तक इस मामले पर एफआईआर दर्ज नहीं की है. पुलिस ने कहा कि वे मौत के कारण का पता लगाने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि, परिवार ने स्कूल के साथ-साथ उनके बच्चे का इलाज करने वाले डॉक्टरों की चिकित्सकीय लापरवाही को भी जिम्मेदार ठहराया है.
11 जनवरी को क्या हुआ था?
राहुल सारस्वत और उनके चार लोगों का परिवार रोजगार और अपने दो बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा की उम्मीद लिए तीन साल पहले दिल्ली शिफ्ट हुआ था. यहां राहुल दिल्ली में एक प्राइवेट कूरियर कंपनी में दिहाड़ी वर्कर हैं, वहीं सोनी एक गृहिणी हैं.
माता-पिता के अनुसार कथित हमला 11 जनवरी को हुआ था. सोनी ने याद करते हुए बताया कि इस दिन जब 12 साल का किंतन दोपहर करीब 2:30 बजे स्कूल से लौटा, तो वह "लंगड़ा रहा था और बहुत दर्द में था."
"मेरे बेटे ने मुझे बताया कि ब्रेक के बाद वह बाथरूम से क्लास लौट रहा था, तो उसकी गलती से एक सीनियर लड़के से टक्कर हो गयी. उसने मुझे बताया कि सीनियर ने दूसरे बच्चों को बुलाया और उसकी पिटाई की. उसने मुझे बताया कि उन्होंने उसे उठाकर जमीन पर पटक दिया और पीटते रहे.'राहुल सारस्वत
किंतन के बाएं घुटने में चोट लगी थी. द क्विंट के कई प्रयासों के बावजूद, सर्वोदय बाल विद्यालय स्कूल के अधिकारियों ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की.
इसके बाद परिवार किंतन को जांच के लिए दीप चंद बंधु अस्पताल ले गया.
राहुल ने दावा किया, "डॉक्टरों ने हमें दवाएं दीं और ऑर्थोपेडिक्स विभाग में रेफर कर दिया. स्टाफ ने हमें बताया कि ऑर्थोपेडिक्स एक्सपर्ट छुट्टी पर हैं और हमें तीन दिनों के बाद वापस आने के लिए कहा."
परिवार ने द क्विंट से दावा किया कि दवाओं को लेने के बाद किंतन को बेहतर महसूस हुआ, लेकिन कुछ दिनों बाद उसे फिर से दर्द होने लगा.
राहुल ने कहा, "15 जनवरी को, हम उसे रोहिणी में एक दूसरे ऑर्थोपेडिक एक्सपर्ट के पास ले गए, जिसने दवाएं दीं. उसके बाद से, उसने कम खाना शुरू कर दिया और उसकी तबीयत खराब होने लगी. 20 जनवरी को उसकी हालत और भी खराब हो गई."
किंतन को इलाज के लिए एक बार फिर दीप चंद बंधु अस्पताल ले जाया गया.
"डॉक्टरों ने किंतन को ड्रिप लगाई और वह बेहतर महसूस करने लगा. उसने (किंतन) हमें बताया कि वह नौ दिनों में पहली बार भूखा है, इसलिए मैंने तुरंत किसी को दलिया लाने के लिए भेजा. इस बीच, डॉक्टरों ने उसे एक और ड्रिप लगा दिया था. लेकिन जब तक दलिया आ पाता, वह मर गया... वह मेरी आंखों के सामने मर गया... मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी आत्मा उसके साथ चली गई हो."सोनी सारस्वत
'9 दिनों में 4 बार स्कूल गया, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई'
किंतन के पिता ने कहा कि पिछले नौ दिनों में, वह अपने बेटे के खिलाफ हमले के संबंध में एडमिनिस्ट्रेशन से बात करने के लिए कम से कम चार बार स्कूल गए थे.
उन्होंने आगे दावा किया कि जब भी उन्होंने स्कूल जाने की कोशिश की, उन्हें एक कारण बताया गया और "भेजा दिया गया."
"पूरी तरह स्कूल की लापरवाही है इसके पीछे. 9 दिनों तक मैं लगातार स्कूल के टच में रहा. लेकिन उन्होंने कभी भी इसको गंभीरता से नहीं लिया. अगर प्रिंसिपल या टीचरों ने इसे गंभीरता से लिया होता तो मेरा बेटा जिंदा होता... हम अपने फूल जैसे बच्चों को सिर्फ सरकार के भरोसे स्कूल भेज रहे हैं ताकि वो हमारी तरह बेरोजगारी न करे."
मां ने कहा, "स्कूल में सीसीटीवी कैमरे ही नहीं हैं. उन्होंने इसे इतने हल्के में लिया कि आज मेरा बच्चा जिन्दा नहीं है. मैं स्कूल जाती हूं कि वो अब तो हमें बता दें कि मेरे बेटे को किसने मारा. मेरी आत्मा को शांति तभी मिलेगी जब मैं उन बच्चों को देख लूं और उनसे जान सकूं कि उन्होंने ऐसे क्यों मारा कि मेरा छोटा सा बेटा दर्द सहकर मर गया.
राहुल ने कहा कि जब वे 12 जनवरी को स्कूल गए थे तब किंतन की क्लास के दो छात्रों ने उन्हें बताया कि उनके बेटे पर कथित तौर पर सीनियर बच्चों ने हमला किया था. हालांकि, उनमें से कोई भी छात्रों की पहचान नहीं कर सका.
क्विंट ने कई बार स्कूल के प्रिंसिपल से संपर्क करने की कोशिश की. जब भी वे जवाब देंगे, इस स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.
माता-पिता ने अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों पर "लापरवाही" का भी आरोप लगाया है. हालांकि आरोपों से इनकार करते हुए, दीप चंद बंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वत्सला अग्रवाल ने द क्विंट को बताया:
"माता-पिता 11 जनवरी को दोपहर करीब 3:40 बजे बच्चे को अस्पताल लाए. उसे ओपीडी में देखा गया, उसका एक्स-रे लिया गया और एक पेन किलर दिया गया. चूंकि यह सीरियस नहीं था, इसलिए उसे कुछ दिन बाद वापस आने के लिए कहा गया था, लेकिन वे नहीं आए. बच्चा 20 जनवरी की रात को वापस आया और गंभीर हालत में था. उसे तेज बुखार, हाई ब्लड प्रेशर था और उसे उल्टी भी हुई. उसका इलाज ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ और फिजिशियन द्वारा किया गया. हमारे प्रयासों के बावजूद, हम बच्चे को नहीं बचा सके."
दिल्ली पुलिस FIR दर्ज करने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही
दिल्ली पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की है. डिप्टी कमिश्नर (नॉर्थ) मनोज कुमार मीना ने बुधवार, 24 जनवरी को इसकी पुष्टि की. उन्होंने कहा:
“हमें पता चला कि 12 साल के लड़के की 20 जनवरी को एक अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई. उसके परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि लड़के को कुछ छात्रों ने पीटा था. 23 जनवरी को डॉक्टरों के बोर्ड ने पोस्टमार्टम किया था. हम मौत के वास्तविक कारण का पता लगाने के लिए रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी.”
द क्विंट से बात करने वाले एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा, "किंतन में एकमात्र दिखाई देने वाली चोट उसके घुटने पर थी. इसलिए, हमें यह जानने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार करना होगा कि उसकी मौत किस कारण से हुई."
इस बीच, मंगलवार 23 जनवरी को जारी एक बयान में दिल्ली सरकार ने एक कमेटी गठित कर मामले की जांच के आदेश दिए हैं. सरकार ने कमेटी से दो दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.
इस बयान के अनुसार, "दिल्ली सरकार उस शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करती है जिसने ऐसी दुखद घटना में अपने बच्चे को खो दिया... मामले में त्वरित जांच के आदेश दे दिए गए हैं और कमेटी और स्कूल के प्रमुख की ओर से एक रिपोर्ट अभी तक प्रस्तुत नहीं की गई है."
'वह इंडियन एयर फोर्स में शामिल होना चाहता था...'
राहुल और सोनी बताते हैं कि किंतन एक "खुश, स्मार्ट और अच्छे व्यवहार वाला" बच्चा था, जिसे सोशल मीडिया पर वीडियो बनाना पसंद था.
"वह बहुत अच्छे से पढ़ाई करता था. इस घटना से पहले भी, वह मेरे पास आया और कहा कि उसे मैथ्स में 100 में 80 नंबर मिले हैं. मैंने उससे पूछा कि इससे अधिक क्यों नहीं? इस पर उसने कहा, 'मम्मी, मैं फाइनल में पक्का और अच्छा करूंगा.' लेकिन अब वह क्या कर सकता है, वह इतनी जल्दी हम सभी को छोड़कर चला गया...''
राहुल ने बताया कि उनका बेटा इंडियन एयर फोर्स में शामिल होने का सपना देखा करता था. राहुल और सोनी सारस्वत बस यही चाहते हैं कि उनके बेटे के साथ जो हुआ उसके लिए न्याय हो.
सोनी ने कहा, "हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का सपना लेकर दिल्ली आए थे. और अब हमें देखो... मैं बस इतना चाहता हूं कि स्कूल ऑथोरिटी उन लड़कों की पहचान करें और उन्हें मेरे सामने खड़ा करें. मैं लड़कों से पूछना चाहती हूं कि उन्होंने ऐसा क्यों किया. मैं उनसे पूछना चाहती हूं कि वे मेरी आंखों में देखें और जवाब दें कि मेरा लड़का, जिसे हमने एक बार भी नहीं मारा, वह ऐसी मौत मरने का हकदार क्यों है?"
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)