advertisement
हम भले ही 2022 में जी रहे हों लेकिन झारखंड (Jharkhand) में महिलाओं पर आज भी डायन होने के आरोप लगाए जा रहे हैं. पहली नजर में ये लग सकता है कि ऐसे आरोप अंधविश्वास के कारण लगाए जा रहे हैं, लेकिन इसके पीछे और भी कई कारण हैं. क्विंट की टीम (Quint) झारखंड के अंदरूनी इलाकों में जाकर जानने की कोशिश कर रही है कि इसकी तहों में क्या है? हम देख रहे हैं कि महिलाओं को प्रताड़ित किया गया, अपमानित किया गया, नग्न घुमाया गया और अंततः मार डाला गया. हम स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद दबा दी गई इन आवाजों को आपतक लाने की कोशिश कर रहे हैं.
क्या झारखंड में वाकई जादू-टोना होता है या फिर ये जमीन हड़पने का एक आसान तरीका बन गया है? पिछले सात सालों में, विच-हंटिंग (Witch-Hunt) से जुड़े मामलों में राज्य में 231 लोगों की मौत हो चुकी है. ज्यादातर पीड़ितों में महिलाएं हैं. कई या तो वृद्ध हैं या विधवा. ये महिलाएं अकेली रह रही हैं और इनके पास अपनी जमीन है, जिस कारण ये लैंड माफिया का आसान टारगेट बन जाती हैं. एक्टिविस्ट का कहना है कि हत्या रिपोर्ट तो होती हैं, लेकिन उत्पीड़न के मामले (महिलाओं के बाल मुंडवाना, नग्न अवस्था में परेड कराना और मल खाने के लिए मजबूर करना) दर्ज नहीं होते.
क्विंट हिंदी की नयी वीडियो सीरीज विच हंटिंग और जमीन हड़पने के बीच संबंध की पड़ताल करने की कोशिश करती है. कैसे इस खतरनाक कुप्रथा का इस्तेमाल कर आज भी महिलाओं को उनके हक से वंचित रखा जा रहा है? इनसे लड़ने के लिए क्या कानून मौजूद हैं? इसमें पंचायत का क्या रोल है, जहां 'महिलाओं को डायन' करार देने जैसे फैसले लिए जाते हैं? इस प्रोजेक्ट को देखने के लिए हमें सपोर्ट करें. क्योंकि यात्रा, रिसर्च और प्रोडक्शन की लागत इतनी है जिसे हम सिर्फ आपके सहयोग से उठा सकते हैं. इस प्रोजेक्ट का कुल खर्च है 13.9 लाख रुपये है. आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर हमें सपोर्ट कर सकते हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)