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''24-8-2023 को नितिन हत्याकांड हुआ था. मेरे चाचा राजेंद्र अहिरवार इसके गवाह थे. आरोपी अपने पक्ष में गवाही देने का दवाब बना रहे थे. बात न मानने पर आरोपियों ने चाचा पर जानलेवा हमला कर दिया. जिन्होंने हमला किया, 302 में उनके दो लड़के लालू खान और गोलू खान जेल में हैं. उनके चाचा का नाम बबलू बइना और फईम खान है. असल में कुछ दिन पहले आशिक कुरैशी ने मेरे चाचा को कुल्हाड़ी से मार डालने की धमकी भी थी, जिसकी शिकायत उन्होंने सिटी थाने खुरई में की थी. वहां इस बात की एफआईआर लिखी भी गई. शिकायत के बाद आसिफ ने मेरे चाचा राजेंद्र अहिरवार को कुल्हाड़ी से काटने की बात कही और आखिरकार पांच लोगों ने लाठी-डंडों और कुल्हाड़ी से उनकी हत्या कर दी.''
अपने मुंहबोले चाचा राजेंद्र अहिरवार की हत्या की कहानी कहते ये शब्द उसी लड़की के है, जिसकी ओर से 2019 में गांव के ही कुछ लोगों पर छेड़छाड़ का केस दर्ज कराया गया था.
इसी लड़की के भाई नितिन की 2019 के छेड़छाड़ मामले को लेकर हुए विवाद में 2023 में हत्या कर दी गई थी और मां को निर्वस्त्र घुमाया गया था.
मुंहबोले चाचा राजेंद्र अहिरवार की पिटाई के बाद इंसाफ की गुहार लगाने वाली ये लड़की घटना के एक दिन बाद तक जिंदा थी लेकिन अब इसकी मौत पर कहीं संशय है तो कोई साजिश कह रहा है....किसी के लिए दुर्घटना है तो कोई सियासत कर रहा है. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर मामला क्या है और इसकी बुनियाद कब पड़ी, इसमें कौन-कौन शामिल है और पुलिस क्या कह रही है?
मध्य प्रदेश के सागर जिले के खुरई ग्रामीण अंतर्गत बरोदिया नौनागिर गांव में एक चाचा-भतीजी की मौत की घटना से सनसनी फैल गई. दो पक्षों के झगड़े में रविवार (26 मई) तड़के पहले चाचा की मौत हो गई और पीएम के बाद एंबुलेंस में शव लेकर जा रही भतीजी नहीं रही. पुलिस के मुताबिक, उसने एंबुलेंस से कूदकर अपनी जान दे दी जबकि घरवाले इसे पुरानी रंजिश का मामला बता रहे हैं. वहीं लड़की के भाई ने हत्या का आरोप लगाया है और सियासी मुहरे इसे जातिगत लड़ाई का जामा पहना रहे हैं.
मामले को समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना होगा. यह 2019 की बात है, जब नौनागिर गांव के दलित परिवार की लड़की ने गांव के ही कुछ लोगों पर छेड़छाड़ का केस दर्ज कराया था. एएसपी संजीव कुमार के मुताबिक, इस घटना में कुल 13 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें 9 नामजद और 4 अन्य आरोपी थे. इनमें गांव के सरपंच विक्रम ठाकुर का नाम भी शामिल था. हालांकि क्विंट हिंदी की टीम के साथ एएसपी ने एफआईआर की कॉपी साझा नहीं की.
यह मामला अगस्त 2023 में जबरदस्त सुर्खियों में आया, जब दलित परिवार से ताल्लुक रखने वाली एक बहन ने अपने भाई नितिन अहिरवार यानी लालू नामक युवक की हत्या की रिपोर्ट दर्ज करवाई. उसके मुताबिक, हत्या के तीन गवाह थे, एक उसके मुंहबोले चाचा राजेंद्र अहिरवार, एक उसकी मां और वो खुद.
पीड़ित पक्ष के मुताबिक; बीते साल 24 अगस्त की शाम नितिन घर से सब्जी लेने निकला था. तभी गांव के आजाद सिंह, अंकित सिंह और बरौदिया के सरपंच विक्रम ठाकुर ने मध्यांचल बैंक के पास युवक को घेरकर उस पर हमला कर दिया. बीच बचाव करने आई युवक की मां को भी निर्वस्त्र कर पीटा और वहां से भाग गए. गंभीर हालत में युवक को अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई.
समय चुनाव का था और घटना दलित की, साफ है घटना के बाद से ही इस मामले ने राजनैतिक तूल पकड़ लिया था और प्रदेश के कई नेताओं का गांव में दौरा हुआ था. देशभर में यह मामला तब और चर्चित हो गया, जब पिछले साल इस घटना के पीड़ितों को न्याय दिलाने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह बरोदिया नोनगिर पहुंचे थे और उस समय युवती की मां से उन्होंने राखी बंधवाई थी. कांग्रेस नेता ने परिजनों से कहा था, ‘में भाई और मामा का फर्ज निभाउंगा. आप लोगों को न्याय दिलवाकर ही दम लूंगा. आज से यह मेरा परिवार है.’
सागर मामले पर 2019 वाली घटना को छोड़कर बाकी सारे घटनाक्रमों पर परिवार और पुलिस की अलग-अलग थ्योरी है. फिर वो चाहे 2023 की घटना हो या रविवार को हुई राजेंद्र अहिरवार की हत्या या फिर घटना की मुख्य किरदार रही लड़की की मौत का सच.
2023 का नितिन हत्याकांडः
एएसपी संजीव कुमार का बयान,
मामला 2019 में शुरू हुआ था जब एक दलित लड़की ने गांव के ही कुछ लोगों के खिलाफ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था. मामले में FIR दर्ज हुई थी. इसी घटना को लेकर लड़की के परिवार के लोग और आरोपियों के परिजनों के बीच कहासुनी होती रहती थी लेकिन पिछले साल अगस्त में लड़की का भाई नितिन तलवार लेकर पास ही स्थित एक बस स्टैंड पहुंचा, जहां पहले से सरपंच का लड़का और उसका एक दोस्त मौजूद था.
नितिन ने तलवार चलाई, जिसे दूसरे लड़के ने रोक लिया. फिर दोनों पक्षों में जमकर झगड़ा हुआ. बेटे नितिन को बचाने के लिए उसकी मां ने अपनी साड़ी खुद उतारी. आखिर में विरोधी पक्ष मां-बेटे को छोड़कर भाग गया और अस्पताल ले जाते समय नितिन की मौत हो गई.
पीड़ित पक्ष का क्या कहना है,
बीते साल 24 अगस्त की शाम नितिन घर से सब्जी लेने निकला था तभी गांव के आजाद सिंह, अंकित सिंह और बरौदिया के सरपंच विक्रम ठाकुर ने मध्यांचल बैंक के पास युवक को घेरकर उस पर हमला कर दिया. बीच-बचाव करने आई युवक की मां को भी निर्वस्त्र कर पीटा और वहां से भाग गए. गंभीर हालत में परिजन युवक को खुरई अस्पताल ले गए. वहां से उसे सागर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया, जहां लाते हुए रास्ते में युवक की मौत हो गई.
चाचा की मौत का मामलाः
पुलिस क्या कहती है,
किसी आपसी मामले में राजेंद्र अहिरवार और लड़की के भाई विष्णु का फईम खान और उसके साथियों से विवाद हो गया. यह नितिन हत्याकांड मामले में राजीनामा को लेकर नहीं था. विवाद बढ़ा तो दोनों तरफ से वार हुए जिसमें राजेंद्र अहिरवार की हालत गंभीर हो गई. बाद में उनकी मृत्यु हो गई. लड़की ने सुनी सुनाई बातों को ही मीडिया के सामने बोला. मौत के बाद शव को पीएम के बाद गांव वापस लाते समय लड़की एंबुलेंस से कूद गई जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा.
परिजनों का आरोप,
परिवार से साथ घटे पुराने मामले में राजीनामा करने की बात को लेकर दो पक्षों में शनिवार रात जमकर विवाद हुआ. इस दौरान आरोपियों ने पप्पू रजक और राजेंद्र अहिरवार पर हमला कर गंभीर रूप से उन्हें घायल कर दिया. दोनों को घायल अवस्था में सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां प्राथमिक उपचार के बाद राजेंद्र अहिरवार को गंभीर हालत में जिला अस्पताल सागर रेफर किया गया. जहां से उसे भोपाल रेफर किया गया था लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई.
एक तरफ शव को वापस लाते समय लड़की का अचानक एंबुलेंस से गिरने को लेकर परिजन षड्यंत्र और हत्या का आरोप लगा रहे हैं. वहीं स्थानीय मीडिया और कुछ ग्रामीण, लड़की की मौत के पीछे एक नई कहानी बता रहे हैं. उनके मुताबिक, शव को गांव ले जाने से पहले फोन पर लड़की ने अपने रिश्तेदारों और ग्रामीणों को बरोदिया नौनागिर से करीब 20 किलोमीटर पहले खुरई के आचार्य श्री विद्यासागर तिराहा के पास पहुंचने के लिए कहा, जहां चक्काजाम करने की बात तय हुई थी. तिराहा करीब आते ही अंजना ने ड्राइवर से एंबुलेंस रोकने को कहा लेकिन ड्राइवर नहीं माना. इसके बाद उसने चलती गाड़ी का गेट खोला और बाहर कूद गई.
भले ही मामला की शुरुआत 2019 से हुई थी लेकिन लड़की की मौत के बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है. पक्ष से लेकर विपक्ष दोनों इस मामले में आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. प्रदेश के सीएम ने पूरी घटना को दुश्मनी का नतीजा बताया. साथ ही उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को 'विपक्ष का काम' बताकर ज्यादा तवज्जो नहीं दिया.
वहीं प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने घटना के तुरंत बाद पीड़ित परिवार से मुलाकात की थी और रहस्यमय परिस्थितियों में हुई लड़की की मौत पर सागर जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को हटाने की मांग की थी.
इस मामले को कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने दर्दनाक बताया और बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि वो नहीं चाहते कि देश में महिलाएं, दलित, एसटी और पिछड़े सम्मान के साथ रहें जबकि राहुल गांधी ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए पीड़ित परिवार को हर स्तर पर मदद और न्याय दिलाने की बात कही.
इसके अलावा इस मामले को लेकर पूर्व सीएम कमलनाथ ने सोशल मीडिया पर लिखा,
'छेड़छाड़ की शिकायत से खिन्न गुंडों ने युवती के भाई नितिन अहिरवार की पिछले वर्ष अगस्त माह में हत्या कर दी थी. हत्या में बीजेपी नेताओं की संलिप्तता सामने आई थी.समझौता न करने पर यह घटना हुई है. मैं यह सुनकर स्तब्ध हूं कि किस तरह 9 महीने के भीतर एक दलित बेटी की छेड़छाड़ की शिकायत पर पहले उसके भाई की हत्या फिर उसके चाचा की हत्या और बाद में संदिग्ध परिस्थितियों में उस बेटी की भी मौत हो गई.’
कुल मिलाकर पांच सालों से मामला प्रशासन से लेकर सरकार, मीडिया और देश के सामने होने के बावजूद मौत पर मौत होती चली गईं. छेड़छाड़ से उठे मामले में एक पक्ष की तीन-तीन बलि चढ़ गईं. अब भी मामले के कई पहलुओं पर धुंध साफ होना बाकी है. घटना से जुड़े अलग-अलग लोगों की अपनी-अपनी कहानियां हैं. देखना है कि मौत का ये सिलसिला क्या अब रुकेगा, इतनी चर्चा और खून बहने के बाद क्या मामले में देर से सही पर न्याय हो सकेगा?
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