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पहली जॉब में 64 लाख का पैकेज,पेरेंट्स को नहीं पता IIM क्या,राम्या-अवनी की कहानी

IIM संबलपुर बैच की कम से कम चार फीमेल स्टूडेंट्स को प्रति वर्ष ₹30 लाख से अधिक का पैकेज मिला- द क्विंट ने की बातचीत

आश्ना भूटानी
शिक्षा
Published:
<div class="paragraphs"><p>IIM Students Who Bagged Highest Pay Packages</p></div>
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IIM Students Who Bagged Highest Pay Packages

(फोटो- द क्विंट)

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"मेरे गांव की लड़कियां आमतौर पर अपनी पढ़ाई के लिए बाहर नहीं जाती हैं, लेकिन यह बदल रहा है और मुझे उम्मीद है कि मेरी तरह और लड़कियां अपनी उच्च शिक्षा के लिए आगे आएंगी." यह कहना है उड़िसा के भारतीय प्रबंधन संस्थान, संबलपुर (IIM Sambalpur) में अपने बैच में सबसे बड़ा इंटरनेशनल पैकेज हासिल करने वाली 22 साल की राम्या आर का. राम्या मई में नाइजीरिया में नौकरी के लिए जाएंगी.

दूसरी तरफ, राजस्थान के जयपुर की अवनी मल्होत्रा ​​ने माइक्रोसॉफ्ट में 64.51 लाख रुपये सालाना का हाईएस्ट पैकेज हासिल किया और जुलाई में कंपनी के बेंगलुरु ऑफिस में ज्वाइन करेंगी. राम्या को नाइजीरिया में तोलाराम नाम के एक इंफ्रास्ट्रक्चर और उपभोक्ता सामान कंपनी में 64.15 लाख रुपये सालाना का सबसे बड़ा इंटरनेशनल पैकेज मिला है.

इस साल IIM संबलपुर में लड़कियों का औसत वेतन कुल औसत वेतन से अधिक है. बैच की कम से कम चार छात्राओं को 30 लाख रुपये से अधिक का पैकेज मिला है.

द क्विंट ने राम्या और अवनी से रिकॉर्ड तोड़ पैकेज और दूसरी लड़कियों के लिए प्रेरणा बनने के बारे में बात की.

'मेरे माता-पिता ये भी नहीं जानते थे कि IIM क्या है': राम्या

मूल रूप से तमिलनाडु के सलेम के एक गांव सकरचेट्टीपट्टी की रहने वाली राम्या के माता-पिता किसान हैं. उसने कहा, “जब मुझे IIM में सीट मिली तो मेरे माता-पिता को भी नहीं पता था कि IIM क्या होता है. मुझे उन्हें समझाने और उन्हें मुझे IIM में जाने देने के लिए मनाने में कुछ समय लगा.”

राम्या ने तमिलनाडु के नमक्कल में साहित्य/ लिटरेचर का अध्ययन किया और एक एक्स्ट्रा सब्जेक्ट के रूप में मार्केटिंग मैनेजमेंट किया.

"तभी मुझे पता चला कि बिजनेस में मेरी कितनी दिलचस्पी है. मैंने कॉलेज में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CAT) की तैयारी शुरू कर दी थी. स्कूल में भी मैथ मेरा पसंदीदा सब्जेक्ट था, लेकिन मुझे लिटरेचर से भी प्यार था. कई बार तो मैं पूरा नॉबेल एक दिन में पढ़कर खत्म कर देती थी"
राम्या
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राम्या के लिए यह सफर आसान नहीं रहा है. भले ही उनका परिवार MBA करने के उनके सपने का समर्थन कर रहा था, उन्हें उसके लिए पैसों का इंतजाम भी करना था. राम्या ने कहा, "मेरे माता-पिता ज्यादातर गन्ने और हल्दी की खेती करते हैं. वे कोर्स का खर्च नहीं उठा सकते थे, इसलिए मैंने स्टूडेंट लोन लेने का फैसला किया. मुझे विश्वास था कि मैं इसे कुछ वर्षों में चुका दूंगी"

राम्या पहली पीढ़ी के कॉलेज ग्रेजुएट हैं. यानी उनके परिवार में उनसे पहले किसी ने ग्रेजुएशन नहीं किया है. उन्होंने नाइजीरिया स्थित कंपनी में एरिया सेल्स मैनेजर के रूप में नौकरी हासिल की है.

राम्या खुशी से झूमते हुए बोलीं, "यह नौकरी मेरे लिए बहुत मायने रखती है. जब मुझे नौकरी मिली तो मैं और मेरे माता-पिता बहुत खुश थे. हमने नहीं सोचा था कि मुझे इतना अच्छा पैकेज मिलेगा... हमें संदेह था लेकिन मेरा प्रयास रंग लाया."

''ऑफर मिलने पर खुशी से झूम उठी': अवनि

दूसरी तरफ अवनी ने जयपुर के जेपी यूनिवर्सिटी से बी.टेक पूरा किया, और IIM संबलपुर आने से पहले इंफोसिस में भी काम किया. अवनी ने द क्विंट से एक फोन कॉल पर कहा, "कोविड महामारी के दौरान, मैंने अपने भविष्य के बारे में सोचना शुरू किया. मैं एक अच्छी नौकरी पाना चाहती थी और अपने परिवार को सुरक्षित करना चाहती थी."

उसकी मांं एक स्कूल की प्रिंसिपल हैं. उनके पिता, जो अब नहीं हैं, एक डेंटिस्ट थे.

जब अवनी को ईमेल पर जॉब ऑफर लेटर मिला, तो वह खुशी से उछल पड़ी. उन्होंने द क्विंट को बताया, "मैंने अपनी ड्रीम जॉब हासिल कर ली है. जब मुझे जॉब ऑफर के बारे में पता चला तो यह आश्चर्यजनक था."

अवनी जुलाई में माइक्रोसॉफ्ट के बेंगलुरु ऑफिस में प्रोडक्ट मैनेजर के रूप में शामिल होंगी.

'लीडरशिप रोल में अधिक महिलाओं को देखकर हमें प्रेरणा मिलती है'

राम्या और अवनी दोनों को उम्मीद है कि वे कॉर्पोरेट जगत में और प्रतिस्पर्धी वेतन पर अन्य महिलाओं के लिए रास्ता तैयार करेंगी.

राम्या ने कहा, "चूंकि महिलाओं को अधिक प्रयास करना होता है और परिवारों को उन्हें आगे पढ़ने के लिए राजी करना होता है, इसलिए मैं कड़ी मेहनत करना चाहती हूं और छोटे शहरों की युवा महिलाओं के लिए रास्ता बनाना चाहती हूं, जिन्हें इन बाधाओं से बाहर निकलना है."

IIM में रहते हुए भी राम्या अपनी फीमेल क्लासमेट्स से प्रेरित थीं. उन्होंने कहा;

मैं अलग-अलग बैकग्राउंड से आईं लड़कियों के साथ स्टडी कर रही थी. उन्होंने IIM तक पहुंचने के लिए सभी प्रकार की चुनौतियों का सामना किया और सभी प्रकार की बाधाओं को तोड़ा है. मेरे जॉब इंटरव्यू के दौरान भी मुझे बताया गया था कि वे संगठन में और महिलाओं को चाहते हैं.

अवनी ने कहा कि IIM में उनके क्लासमेट्स में 48 प्रतिशत लड़कियां थीं. उन्होंने कहा, "वर्क कल्चर भी बदल रहा है और हम अधिक महिलाओं को संगठन चलाते हुए देख रहे हैं."

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