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भीमा कोरेगांव (Bhima Koregaon) मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay Highcourt) ने कहा है फिलहाल ऐसे कोई सबूत नहीं हैं जिससे पता चल सके कि गौतम नवलखा (Gautam Navlakha) आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थे.
न्यायमूर्ति एएस गडकरी और एसजी डिगे की पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों से संकेत मिलता है कि नवलखा को अधिक से अधिक प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) का सदस्य कहा जा सकता है और इसलिए, यह केवल यूएपीए की धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियां) के तहत अपराध है और 38 (आतंकवादी संगठन की सदस्यता).
कोर्ट ने कहा, प्रथम दृष्टया यह निष्कर्ष निकालने के लिए कोई सबूत नहीं है कि नवलखा ने यूएपीए की धारा 15 के तहत कोई आतंकवाद से जुड़ा काम किया है.
पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि रिकॉर्ड ज्यादा से ज्यादा कथित अपराध करने के इरादे को दर्शाता है, न कि अपराध की वास्तविक तैयारी को बताता है.
बता दें, गौतम नवलखा को 19 दिसंबर को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई थी.
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