सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार, 28 जुलाई को भीमा कोरेगांव (Bhima Koregaon Case) मामले के दो आरोपियों वर्नोन गोंसाल्वेस (Vernon Gonsalves) और अरुण फरेरा (Arun Ferreira) को जमानत दे दी है. गोंसाल्वेस और फेरेरा दोनों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) के तहत अपराधों में शामिल होने के लिए अगस्त 2018 से हिरासत में रखा गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने कहा कि आरोपी 5 साल की जेल काट चुके हैं. भले ही उनके खिलाफ लगे आरोप गंभीर हैं, लेकिन जेल में काटी गई इस अवधि के चलते वो जमानत के हकदार हैं.
किन शर्तों पर दी गई जमानत?
जमानत विशेष NIA कोर्ट द्वारा निर्धारित शर्तों के अधीन है:
प्राथमिक शर्तों में से एक यह है कि मुकदमा चलने तक वे महाराष्ट्र नहीं छोड़ सकते
दोनों को अपना पासपोर्ट जमा कराना होगा और NIA को अपना पता और मोबाइल फोन नंबर देना होगा
इस अवधि के दौरान उन्हें केवल एक मोबाइल कनेक्शन की अनुमति होगी
उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके मोबाइल फोन हमेशा चार्ज रहेंगे, और वे लोकेशन चालू रखेंगे ताकी उनकी लाइव-ट्रैकिंग NIA अधिकारी के साथ साझा हो सके
उन्हें हफ्ते में एक दिन जांच अधिकारी को रिपोर्ट करना होगा
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