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छत्तीसगढ़ के बीजापुर-सुकमा में सुरक्षाबलों पर हुए नक्सली हमले का शोक पूरा देश मना रहा है. गृहमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री ने इस हमले का बदला लेने और नक्सलियों को सबक सिखाने की बात कही है. पूर्वी-मध्य भारत का ये राज्य अब तक कई नक्सली हमलों से दहल चुका है. इन्हीं में से एक है दंतेवाड़ा में अप्रैल 2010 में हुआ नक्सली हमला, जिसकी आज बरसी है. इस नरसंहार में एक पुलिसकर्मी और CRPF के 75 जवान शहीद हो गए थे.
CRPF और स्थानीय पुलिस को मिलाकर करीब 80 सुरक्षाबल तीन दिन के ऑपरेशन से लौट रहे थे, जब नक्सलियों ने पूरी प्लानिंग के साथ जवानों को अपना निशाना बनाया था. नक्सलियों को CRPF के काफिले की जानकारी थी. करीब 1000 नक्सली इलाके में छिप गए और IED ब्लास्ट से काफिले को निशाना बनाया, और इसके बाद नक्सलियों ने जवानों पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. नक्सलियों ने इतनी प्लानिंग और तेजी से हमले को अंजाम दिया कि जवानों को जवाबी कार्रवाई का मौका भी नहीं मिला.
घायल जवानों और शहीदों के शवों को वापस लाने के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया गया था.
रिपोर्ट्स में ये भी सामने आया था कि जवानों को अपना निशाना बनाने के बाद नक्सलियों ने उनके हथियार कब्जा लिए थे. 4 अप्रैल 2021 को बीजापुर-सुकमा में हुए हमले के बाद भी ऐसी ही खबरें सामने आ रही हैं.
रिपोर्ट्स में कई खामियां भी सामने आई थीं. कहा जाता है कि लौटते समय लैंडमाइन के लिए सड़कों की चेकिंग जैसे कई SOP फॉलो नहीं हुए थे. कुछ रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया था कि जवानों के पास पर्याप्त हथियार नहीं थे.
7 अप्रैल को 2010 PTI रिपोर्ट के मुताबिक, तब गृह सचिव रहे जीके पिल्लई ने माना था कि इसमें कई गलितयां हुईं थीं. उन्होंने कहा था,
केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने भी हमले पर चिंता जाहिर करते हुए कुछ गलत होने की आशंका जताई थी.
दंतेवाड़ा में हुए इस हमले के बाद गृहमंत्री पी चिदंबरम ने इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसे अस्वीकार कर दिया था. चिदंबरम ने कहा था, “दंतेवाड़ा में जो हुआ, मैं उसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हूं.”
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में 4 अप्रैल 2021 को सुरक्षा बल और नक्सलियों के बीच घंटों चली मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए. इस हमले के बाद एक जवान भी लापता है. इस जवान के नक्सलियों के कब्जे में होने की आशंका है.
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