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2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले मामले में सीबीआई को जोर का झटका लगा है. राजनीतिक तौर पर खलबली मचाने वाले इस मामले में कॉरपोरेट, राजनेता सभी आरोपियों को सीबीआई अदालत ने बरी कर दिया है.
इस घोटाले को देश के सबसे बड़े घोटालों में एक था. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट की स्पेशल सीबीआई अदालत ने इस घोटाले से जुड़े कुल सभी मामलों में फैसला सुना दिया है। इनमें से दो मामलों में जांच सीबीआई ने की है और तीसरे मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने. इस मामले में मुख्य आरोपी पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और डीएमके सांसद कनिमोझी थे. फैसला सुनाए जाने के वक्त दोनों पटिलाया कोर्ट में मौजूद थे.
इस घोटाले में एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रविकांत रुइया, अंशुमान रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रमोटर किरण खेतान उनके पति आई पी खेतान और एस्सार ग्रुप के निदेशक विकास सरफ सब के सब बच गए हैं.
ये घोटाला पहली बार साल 2010 में सामने आया जब भारत के महालेखाकार और नियंत्रक यानी सीएजी ने अपनी एक रिपोर्ट में साल 2008 में किए गए टेलीकॉम स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े किए. इस आवंटन में टेलीकॉम कंपनियों को नीलामी की बजाय ‘पहले आओ और पहले पाओ’ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे.
सीएजी का दावा था कि नियमों की अनदेखी कर हुए इस आवंटन की वजह से सरकारी खजाने को एक लाख 76 हजार करोड़ रूपए का नुकसान हुआ था. इस रिपोर्ट ने तत्कालीन यूपीए सरकार और पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. सीएजी की रिपोर्ट में दिए गए 1.76 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े पर विवाद भी खूब हुआ लेकिन तब तक ये घोटाला राजनीतिक विवाद की शक्ल ले चुका था और सुप्रीम कोर्ट तक में याचिका दायर कर दी गई थी. इसके बाद फरवरी 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे.
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कोर्ट ने कुल 122 लाइसेंस रद्द किए थे जो 8 टेलीकॉम कंपनियों को दिए गए थे. इन कंपनियों में आइडिया को छोड़कर बाकी सभी टेलीकॉम कंपनियां अपना कारोबार समेट चुकी हैं. जो लाइसेंस रद्द किए गए वो इस प्रकार थे:
कंपनी लाइसेंस की संख्या
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