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नोटबंदी के बाद गईं 50 लाख नौकरियां, हालात बेहद खराब: रिपोर्ट

नोटबंदी के बाद देश में लगातार बढ़ती गई बेरोजगारी दर 

क्विंट हिंदी
भारत
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नोटबंदी के बाद रोजगार के हालत काफी खराब
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नोटबंदी के बाद रोजगार के हालत काफी खराब
(फोटो:TheQuint)

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भारत में नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी पर एक नई रिपोर्ट सामने आई है. इस रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है और बताया गया है कि पिछले दो सालों में 50 लाख पुरुषों की नौकरियां चली गईं. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि फिलहाल रोजगार की हालत काफी खराब है. बेंगलुरू में स्थित अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया रिपोर्ट में नौकरियों को लेकर ये खुलासा किया गया है.

नोटबंदी के बाद आई गिरावट

रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी यानी नवंबर 2016 के बाद नौकरियों में गिरावट शुरू हुई. हालांकि रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इसका सीधे तौर पर किसी भी घटना के साथ संबंध नहीं जोड़ा जा सकता है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अच्छी और उच्च शिक्षा प्राप्त कर चुके लोगों को सबसे ज्यादा बेरोजगारी का सामना करना पड़ा. इसके अलावा कम पढ़े-लिखे लोगों ने भी अपनी नौकरियां गंवाई. काम मिलने की संभावनाएं भी काफी कम हो गईं.

बेरोजगारी को लेकर विपक्ष लगातार सत्तारूढ़ बीजेपी पर हमला बोलता आया है. इसे लेकर हाल ही में कुछ ऐसी ही रिपोर्ट सामने आई हैं. जिनमें बताया गया है कि रोजगार की मौजूदा स्थिति काफी खराब है. अब बेरोजगारी पर एक नई रिपोर्ट सरकार के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है 
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इस आधार पर हुआ सर्वे

अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के असोसिएट प्रोफेसर अमित भोसले ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि भारत में रोजगार की यह रिपोर्ट सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के डेटा पर आधारित है. CMIE एक मुंबई बेस्ड बिजनेस इनफॉर्मेशन कंपनी है. यह सर्वे एक स्वतंत्र पैनल ने करीब 1.6 लाख परिवारों और 5.22 लाख लोगों के से बातचीत कर किया.

उन्होंने कहा कि जब हमें समय-समय पर रोजगार के आधिकारिक आंकड़े नहीं मिलते हैं, तो हमारे पास लोगों और परिवारों से बातचीत कर रोजगार की हालत दिखाने के लिए CMIE जैसे सर्वे होते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011 से ही लगातार कम पढ़े-लिखे लोगों के रोजगार की समस्या बढ़ती चली आ रही है. पिछले साल यानी 2018 में बेरोजगारी दर लगभग 6 प्रतिशत थी. जो कि पिछले 10 सालों की दर से लगभग दोगुनी है. साल 2000 से लेकर 2011 तक की बेरोजगारी दर इससे लगभग आधी थी.

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