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आधार हुआ अब और सेफ, UIDAI ने जारी किया वर्चुअल आईडी फीचर

वर्चुअल आईडी 16 अंकों का टेम्पररी नंबर होगा, जो आप खुद जेनेरेट कर पाएंगे.

क्विंट हिंदी
भारत
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वेलफेयर स्कीमों के लिए आधार की अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार 
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वेलफेयर स्कीमों के लिए आधार की अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार 
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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  • आधार कार्ड की जरूरत खत्म होगी, वर्चुअल आईडी से हो सकेंगे सारे वेरिफिकेशन
  • ये आधार को लेकर बड़ा और फायेदमंद फैसला है: नीलेकणी
  • इसे 1 मार्च 2018 से स्वीकार किया जाने लगेगा
  • भी एजेंसियों के लिए वर्चुअल आईडी मंजूर करना एक जून 2018 से अनिवार्य हो जाएगा.

सरकारी योजनाओं से लेकर नर्सरी में एडमिशन और सिम कार्ड खरीदने तक में आइडेंडिटी के लिए आधार नंबर की जरूरत खत्म होने वाली है. प्राइवेसी से जुड़ी आशंकाओं को दूर करने के लिए UIDAI ने एक वर्चुअल आधार आईडी पेश किया है. जिसका इस्तेमाल आप आधार नंबर की ही तरह कर सकते हैं.

कोई भी आधार कार्ड धारक UIDAI की वेबसाइट पर जाकर 16 अंको वाला ये वर्चुअल आईडी निकाल सकता है. इसके जरिये बिना आधार संख्या बताए सिम के वेरिफिकेशन से लेकर बाकी सारे काम किए जा सकेंगे.

UIDAI के पूर्व चेयरमैन नंदन नीलेकणी ने इसे बड़ा बदलाव बताया है, उनका मानना है कि इसके बाद आधार पर जो तर्क किए जा रहे थे वो खत्म हो जाएंगे.

क्या है वर्चुअल ID, कैसे काम करेगी?

  • कोई भी आधार कार्डधारक कितनी भी वर्चुअल आइडी खुद से बना सकता है.
  • नई वर्चुअल आईडी बनाते समय पुराना वाला अपने आप ही रद्द हो जाएगा.
  • इस वर्चुअल आईडी से मोबाइल कंपनी या किसी दूसरी एजेंसी को उपभोक्ता का नाम, पता और फोटो मिल जाएगा जो कि वेरिफिकेशन के लिए काफी है.
  • वर्चुअल आईडी किसी भी शख्स की आधार संख्या पर आधारित होगी
  • इसे 1 मार्च 2018 से स्वीकार किया जाने लगेगा. वेरिफिकेशन के लिए आधार का इस्तेमाल करने वाली सभी एजेंसियों के लिए वर्चुअल आईडी मंजूर करना एक जून 2018 से अनिवार्य हो जाएगा.
  • इसका पालन नहीं करने वाली एजंसियों को कार्रवाई का सामना करना होगा.

KYC की भी शुरुआत

एक टेलीकॉम कंपनी के मुताबिक, वर्चुअल आईडी के अलावा इसके अलावा प्राधिकरण ने सीमित KYC की भी शुरुआत की है जिसके तहत किसी एजेंसी को कस्टमर की सीमित जानकारी ही उपलब्ध हो पाती है.

UIDAI के मुताबिक, आधारकार्ड होल्डर वेरिफिकेशन या KYC सेवाओं के लिए आधार संख्या के बदले वर्चुअल आईडी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके जरिये वैसे ही सत्यापन किया जा सकता है जैसे आधार संख्या के जरिS किया जाता है.

यहां एक बार और खास है कि वेरिफिकेशन करने वाली एजेंसियां कार्डधारक के बदले वर्चुअल आईडी बनाने के लिए स्वीकृत नहीं होंगे.

ये आधार को लेकर बड़ा और फायेदमंद फैसला है: नीलेकणी

UIDAI के पूर्व चेयरमैन नंदन नीलेकणी ने एक इंटरव्यू में वर्चुअल आईडी के नए सिस्टम को काफी प्रभावी बताया है. उन्होंने कहा है कि इसके बाद आधार को और भी सुरक्षित बनाया जा सकेगा. साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि KYC को लिमिटेड करने के बाद आधार पर जो बातें कहीं जा रही थीं, उसे सुलझाया जा सकेगा. नीलेकणी ने कहा ये बड़ा बदलाव है इसी के साथ आधार पर जो तर्क किए जा रहे थे वो खत्म हो जाएंगे.

आधार कार्ड के सेंट्रल डेटा पर नीलेकणी का कहना है कि ये मल्टी सिक्योरिटी प्रोसेस है, डेटा से छेड़छाड़ करना नामुमकिन है.

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आधार डेटा लीक की खबरों के बीच नया सिस्टम

हाल के कुछ दिनों में आधार की सिक्योरिटी को लेकर घमासान मचा हुआ है. 9 जनवरी को ही रिजर्व बैंक की रिसर्च एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि आधार का डेटा साइबर अपराधियों और दुश्मनों के लिए बड़ा आसान निशाना हो सकता है. अगर साइबर अपराधी इसमें सेंध लगा पाए तो इसका बड़े पैमाने पर नुकसान होगा.

रिजर्व बैंक की रिसर्च एजेंसी की रिपोर्ट को डर है कि मोबाइल फोन, पैन कार्ड और बैंक खाते जब कुछ आधार से जुड़ने के बाद साइबर अपराधियों को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी उन्हें तमाम डेटा, तमाम गोपनीय बातें एक जगह मिल जाएंगी.

ट्रिब्यून की रिपोर्ट भी पक्ष-विपक्ष में टकराव

3 जनवरी को ट्रिब्यून की रिपोर्टर रचना खैरा ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि महज 500 रुपये देकर कोई भी दस मिनट के अंदर किसी भी आधार नंबर धारक के बारे में जानकारी हासिल कर सकता है. खैरा ने जानकारी जुटाने के लिए एक नकली पहचान रखी थी. इसके बाद उन्होंने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि उनके पास लोगों की वो जानकारी है, जो उन्होंने आधार कार्ड में दर्ज कराई थी.

UIDAI ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा था कि डेटा ब्रीच कहीं से भी संभव नहीं है. मामले के तूल पकड़ने के बाद UIDAI ने पत्रकार और संस्थान के खिलाफ FIR दर्ज कराई है.

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Published: 10 Jan 2018,05:50 PM IST

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