आधार का डेटा साइबर अपराधियों और दुश्मनों के लिए बड़ा आसान निशाना हो सकता है. अगर साइबर अपराधी इसमें सेंध लगा पाए तो इसका बड़े पैमाने पर नुकसान होगा. ये मानना है रिजर्व बैंक की रिसर्च एजेंसी का.
रिजर्व बैंक की रिसर्च एजेंसी की रिपोर्ट को डर है कि मोबाइल फोन, पैन कार्ड और बैंक खाते जब कुछ आधार से जुड़ने के बाद साइबर अपराधियों को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी उन्हें तमाम डेटा, तमाम गोपनीय बातें एक जगह मिल जाएंगी.
बड़ा खतरा सामने खड़ा है
डेटा पर किसी तरह की सेंध से भारतीय उद्योग, प्रशासन, सरकार के कामकाज, बैंक सब कुछ निशाने पर आ जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक कुछ साल पहले जो बात सोची नहीं जा सकती थी वो खतरा अब सामने खड़ा है.
लेकिन इस रिसर्च में आधार की वजह से बड़े फायदे के दावों पर भी सवाल उठाया गया है. इसके मुताबिक आधार जोड़ने के कंज्यूमर को फायदे बहुत सीमित हैं, इससे खासतौर पर गरीबों को ज्यादा फायदा नहीं मिलने वाला.
रिजर्व बैंक से जुड़े इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी यानी (IDRBT) की रिपोर्ट जिसका शीर्षक है ‘बायोमेट्रिक्स और भारत पर इसका असर’.
रिपोर्ट के मुताबिक सबसे बड़ा खतरा यही है अगर आधार के डेटाबेस में सेंध लग गई तो इसका इकनॉमी और नागरिकों को बड़ा खामियाजा उठाना पड़ेगा.
आरबीआई की रिपोर्ट होश उड़ाने वाली है. इस रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि आधार से जुड़े कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर बारीक नजर डालने की जरूरत है. जैसे हर नागरिक तक इसकी पहुंच, प्रमाणिकता, आर्थिक फायदे पर अनिश्चित्ता और सुरक्षा पर सावधानी बरतने की चिंता शामिल हैं.
साइबर क्रिमिनल की नजर
यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के लिए सबसे बड़ी चुनौती लोगों के डाटा को बचाकर रखना है. रिपोर्ट के मुताबिक,
अभी आधार के फायदे का अनुमान लगाना या फायदा का कैलकुलेशन करना बहुत जल्दबाजी होगी क्योंकि प्रोजेक्ट पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया है. लेकिन जितना बताया जा रहा है सरकार को उतने फायदे नहीं होंगे.रिजर्व बैंक से जुड़ी संस्था की रिसर्च रिपोर्ट
आधार के फायदों पर सवाल
रिसर्च में एक के बाद एक कई अहम सवाल उठाए गए हैं. जैसे इसमें कैग (CAG) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है जिसके मुताबिक सरकार ने वित्तीय साल 2015 और 2016 में एलपीजी में जो 22000 करोड़ रुपए की बचत का दावा किया है दरअसल वो इंपोर्टेड एलपीजी के दाम में भारी गिरावट की वजह से हुई थी.
बल्कि कैग के मुताबिक सरकार को आधार की वजह से बचत 2000 करोड़ रुपए से भी कम की हुई थी. इसमें ये चेतावनी भी दी गई है कि लोगों का जो बॉयमेट्रिक डेटा लिया गया है उसकी क्वालिटी भी संदिग्ध है. अगर ऐसा हुआ तो कई लोगों को पहचान का संकट भी खड़ा हो सकता है.
इंस्टीट्यूट के सदस्य डॉक्टर एस अनंत के मुताबिक
आधार की वजह से भारत के इतिहास में पहली बार होगा कि बहुत बड़ा डेटा बेस एक ही जगह होगा जिस पर साइबर अपराधियों और देश के दुश्मनों के हमले का खतरा बना रहेगा.
बैंकिंग लेन देन में भी फंस सकता हैं पेंच
डिजिटल ट्रांजैक्शन के इस दौर में पैसों के लेन-देन में प्राइवेट बैंकिंग सर्विस और कई सर्विस प्रोवाइडर शामिल रहते हैं. ऐसे में किसी भी आधार डेटा का लीक होना लोगों की आर्थिक गोपनीयता से खिलवाड़ होगा.
आधार को शुरू हुए करीब 7 साल हो गए हैं. देश में आधार को अलग-अलग योजनाओं से लिंक कराने का काम देश भर में किया जा रहा है. इसी कड़ी में अब तक करीब 112 करोड़ भारतीय मतलब 88.2% लोगों ने आधार से खुद को जोड़ लिया है. फिलहाल 71.24 करोड़ मोबाइल फोन और 82 करोड़ बैंक खातों को आधार नंबर से जोड़ दिया गया है. अब करीब 45.75 करोड़ मोबाइल नंबर और 35 करोड़ बैंक खाते और लिंक कराए जाएंगे.
आधार लिंक की डेडलाइन 31 मार्च 2018 तक
सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में केंद्र सरकार के आधार लिंक की समय सीमा को 31 मार्च तक किए जाने के फैसले पर मुहर लगाई है.
सरकार ने कहा था कि तमाम सरकारी योजनाओं के लिए आधार को बैंक खातों, पैन कार्ड और फोन कंपनियों के साथ लिंक करने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 31 मार्च 2018 किया जाए.
आधार के शुरुआत से ही लोगों की प्राइवेसी और सुरक्षा को लेकर उठ रहे हैं. वहीं यूआईडीएआई ने बार बार दावा किया था कि आधार का डेटा बेहद सुरक्षित है और इसमें सेंध लगाना मुमकिन नहीं है. लेकिन ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 10 मिनट में चुटकियों में पूरे 100 करोड़ से ज्यादा आधार कार्ड की जानकारी हासिल की जा सकती हैं. वो भी महज 500 रुपये रुपए में.
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