advertisement
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 की बड़ी सफलता के बाद अब सूरज के अध्ययन के लिए पहला मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है. स्पेस में ऑब्जर्वेट्री, Aditya-L1 को शनिवार, 2 सितंबर को लॉन्च किया गया. जैसे ही Aditya-L1 सेटेलाइट PSLV-C57 रॉकेट के ऊपरी चरण (अपर स्टेज) से अलग हुआ, इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने लॉन्च मिशन को सफल करार दिया.
यह मिशन सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर PSLV-C57 रॉकेट से श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से लॉन्च किया गया .
ये स्पेसक्राफ्ट लॉन्च होने के 125 दिन बाद लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) तक पहुंचेगा. इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज की स्टडी आसानी से की जा सकती है. इस मिशन की अनुमानित लागत 378 करोड़ रुपए है.
आदित्य L1 के सात इक्विपमेंट्स कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर एक्टिविटीज की विशेषताओं, पार्टिकल्स के मूवमेंट और स्पेस वेदर को समझने के लिए जानकारी देंगे. आदित्य L-1 सोलर कोरोना और उसके हीटिंग मैकेनिज्म की स्टडी करेगा.
जिस सोलर सिस्टम में हमारी पृथ्वी है, उसका केंद्र सूर्य ही है. सभी आठ ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते हैं. इसलिए सूरज का अध्ययन जरूरी है.
भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के XL संस्करण का चंद्रमा, मंगल और अब सूर्य के साथ एक दिलचस्प संबंध प्रतीत होता है.
रॉकेट ने भारत के पहले अंतरग्रहीय मिशन चंद्रयान -1 के लिए 22 अक्टूबर, 2008 को अपनी पहली उड़ान भरी.
5 नवंबर 2013 को, रॉकेट का उपयोग भारत के पहले मंगल मिशन के लिए किया गया था, जिसे मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) कहा जाता है.
321 टन वजन उठाने वाला 44.4 मीटर लंबा PSLV-C57 रॉकेट सूर्य का अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष यान आदित्य-एल1 को अंतरिक्ष में ले गया है.
PSLV चार चरण/इंजन का एक रॉकेट है, जो ठोस और तरल ईंधन द्वारा संचालित होता है.
इसमें प्रारंभिक उड़ान के दौरान उच्च जोर देने के लिए पहले चरण में छह बूस्टर मोटर्स लगे होते हैं.
PSLV-XL संस्करण का उपयोग 28 सितंबर, 2015 को भारत की पहली समर्पित अंतरिक्ष खगोल विज्ञान वेधशाला एस्ट्रोसैट को लॉन्च करने के लिए भी किया गया था.
इसरो के पास पांच प्रकार के PSLV रॉकेट हैं- स्टैंडर्ड, कोर अलोन, एक्सएल, डीएल और क्यूएल. उनके बीच मुख्य अंतर स्ट्रैप-ऑन बूस्टर का उपयोग है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)