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शिवराज ने इस वजह से तो नहीं दिया संतों को राज्यमंत्री का दर्जा?

राज्य मंत्री का दर्जा मिलने के बाद बदले संत के सुर, ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ रद्द 

अंशुल तिवारी
भारत
Published:
एक संत समेत दो लोग खोलने जा रहे थे शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा
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एक संत समेत दो लोग खोलने जा रहे थे शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा
(फोटोः Altered By Quint)

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मध्य प्रदेश में चुनावी साल में जिन पांच लोगों को नर्मदा नदी की रक्षा के लिये राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है, उनमें शामिल एक संत समेत दो लोगों ने सूबे की बीजेपी सरकार के खिलाफ प्रस्तावित ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा' रद्द कर दी है.

इन लोगों ने राज्य सरकार पर सीधे सवाल उठाते हुए एक अप्रैल से 'नर्मदा घोटाला रथ यात्रा' निकालने की घोषणा की थी, लेकिन राज्यमंत्री का दर्जा मिलने के बाद दोनों ने यह यात्रा रद्द कर दी है.

राज्य सरकार के तीन अप्रैल को जारी आदेश के मुताबिक, प्रदेश के विभिन्न चिह्न‍ित क्षेत्रों में, खासतौर पर नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता के विषयों पर जन जागरूकता का अभियान निरंतर चलाने के लिये 31 मार्च को विशेष समिति गठित की गई है. इस समिति के पांच विशेष सदस्यों- नर्मदानंद महाराज, हरिहरानंद महाराज, भैय्यूजी महाराज, कम्प्यूटर बाबा और योगेंद्र महंत को राज्यमंत्री स्तर का दर्जा दिया किया गया है.

शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की थी तैयारी

समिति में शामिल इंदौर के कम्प्यूटर बाबा की अगुवाई में एक अप्रैल से 15 मई तक सूबे के सभी जिलों में 'नर्मदा घोटाला रथ यात्रा' निकालकर इस नदी की बदहाली का मुद्दा उठाने की रूप-रेखा तय की गयी थी.

इस मुहिम की प्रचार सामग्री सोशल मीडिया पर वायरल है, जिससे पता चलता है कि यह यात्रा नर्मदा नदी में जारी 'अवैध रेत खनन पर अंकुश लगवाने' और 'इसके तटों पर किये गये पौधारोपण के घोटाले' की जांच की प्रमुख मांगों के साथ निकाली जानी थी.

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राज्यमंत्री का दर्जा मिलने के बाद यात्रा रद्द

राज्यमंत्री का दर्जा हासिल करने के बाद कम्प्यूटर बाबा ने कहा, "हम लोगों ने यह यात्रा निरस्त कर दी है, क्योंकि प्रदेश सरकार ने नर्मदा नदी के संरक्षण के लिये साधु-संतों की समिति बनाने की हमारी मांग पूरी कर दी है. अब भला हम यह यात्रा क्यों निकालेंगे."

राज्यमंत्री बनने पर कंप्यूटर बाबा ने दिया तर्क

यह पूछे जाने पर कि क्या एक संन्यासी के रूप में उनका राज्यमंत्री स्तर की सरकारी सुविधाएं स्वीकारना उचित होगा, उन्होंने जवाब दिया:

अगर हमें पद और दूसरी सरकारी सुविधाएं नहीं मिलेंगी, तो हम नर्मदा नदी के संरक्षण का काम कैसे कर पाएंगे. हमें समिति के सदस्य के रूप में नर्मदा नदी को बचाने के लिये जिलाधिकारियों से बात करनी होगी और दूसरे जरूरी इंतजाम करने होंगे. इसके लिए सरकारी दर्जा जरूरी है. 

जिन योगेंद्र महंत को कम्प्यूटर बाबा के साथ विशेष समिति में शामिल कर राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है, वह 'नर्मदा घोटाला रथ यात्रा' के संयोजक थे.

बहरहाल, राज्यमंत्री का दर्जा मिलने के बाद महंत ने भी कहा कि नर्मदा नदी को बचाने के लिये समिति बनाये जाने की मांग प्रदेश सरकार ने पूरी कर दी है, इस वजह से यात्रा निरस्त कर दी गई है.

संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने पर कांग्रेस ने उठाए सवाल

इस बीच, कांग्रेस ने कम्प्यूटर बाबा और महंत की मंशा पर सवाल उठाए हैं. प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा, "इन दोनों को स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने प्रदेश की बीजेपी सरकार के साथ कौन-सी डील के तहत नर्मदा घोटाला रथ यात्रा रद्द कर दी है. क्या इन्होंने राज्यमंत्री का दर्जा हासिल करने के लिये ही इस यात्रा का ऐलान किया था."

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