मध्यप्रदेश अजब है और यहां मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने गजब कर दिया है. उन्होंने अपने मंत्रिमंडल का एक तरह से विस्तार कर डाला और शामिल किए 5 राज्यमंत्री जो बाबा हैं. मुख्यमंत्री के शब्दों में संतों को टेक्निकल तौर पर राज्यमंत्री का दर्जा देने में गलत क्या है? जब सीएम शिवराज से इसपर सफाई मांगी गई तो वो पूछ बैठे इसमें गलत क्या है? शिवराज का कहना है कि समाज का हर वर्ग विकास और वेलफेयर के लिए आगे आना चाहिए और इसके लिए ही हम ऐसे लोगों को जोड़ रहे हैं.
शिवराज के एक ‘मंत्री’ बाबा तो कुछ ही दिनों में बीजेपी सरकार के खिलाफ घोटाला यात्रा शुरू करने वाले थे, पर राज्यमंत्री का दर्जा पाने के बाद यात्रा भूल गए हैं.
लेकिन जरा राज्यमंत्रियों का दर्जा पाने वाले बाबाओं की खासियत आपको जरूर जान लेनी चाहिए. इनमें नर्मदा परिक्रमा करने वाले, तंत्र-मंत्र स्पेशलिस्ट, प्रवचन और भजन करने वाले हर तरह की खूबियों वाले बाबा शामिल हैं. ये भी बता दें कि शिवराज सरकार के इस फैसले के खिलाफ इंदौर बेंच में अर्जी दाखिल की गई है.
मध्य प्रदेश की राजनीति में इन पांच संतों की क्या अहमियत है और इन्हें लेकर क्यों हंगामा मच रहा है, ये जानने के लिए पहले राज्यमंत्री का दर्जा पाने वाले इन संतों के बारे में जान लेते हैं.
1. कंप्यूटर बाबा
ये बाबा बीजेपी सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के खिलाफ घोटाला यात्रा निकालने वाले थे. लेकिन राज्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपनी घोटाला यात्रा ताक पर रख दी है. कंप्यूटर बाबा का असली नाम देवदास त्यागी हैं. वह सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय हैं. अपने साथ लैपटॉप रखने की वजह से उन्हें कंप्यूटर बाबा के नाम से जाना जाता है.
राजनीति में कंप्यूटर बाबा की दिलचस्पी को इसी से समझा जा सकता है कि वह साल 2014 में इंदौर से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे. उन्होंने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से टिकट भी मांगा था. लेकिन केजरीवाल ने उन्हें अपनी पार्टी से टिकट देने से इंकार कर दिया था.
कंप्यूटर बाबा अब तक शिवराज सरकार को भ्रष्ट सरकार बताते आए थे. सिंहस्थ कुंभ में भी कंप्यूटर बाबा ने शिवराज सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे.
2. योगेंद्र महंत जी
योगेंद्र महंत का दावा है कि वो समाजसेवा करते हैं. इनके बारे में कहा जाता है कि राजनीति में इनकी बहुत महत्वाकांक्षा है.
योगेंद्र महंत के फेसबुक पेज पर भी ऐसी तस्वीरें हैं, जिनमें वह सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेते नजर आ रहे हैं. साथ ही एक तस्वीर में वह स्थानीय नेताओं के साथ कांग्रेस का पटका पहने नजर आ रहे हैं. यह तस्वीर दिसंबर 2017 में पोस्ट की गई है.
योगेंद्र महंत का दावा है कि वह 35 सालों से धार्मिक, सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र में काम कर रहे हैं. योगेंद्र महंत विश्व ब्राह्मण समाज संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं.
3. भय्यूजी
भय्यूजी का असली नाम उदय सिंह शेखावत है. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में लोग उन्हें भय्यूजी महाराज के नाम से जानते हैं. मध्य प्रदेश में उनके हजारों की संख्या में समर्थक हैं. भय्यूजी गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी संत हैं. इसी वजह से उन्हें मॉर्डन संत भी कहा जाता है. इन्हें प्रवचन के लिए जाना जाता है.
मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में जन्मे भय्यूजी के अनुयायी मानते हैं कि उन्हें भगवान दत्तात्रेय का आशीर्वाद हासिल है. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की राजनीति में भय्यूजी महाराज का खासा प्रभाव है.
भय्यूजी महाराज अपने शुरुआती दिनों में मॉडलिंग भी करते थे.
4. हरिहरानंदजी
हरिहरानंद उत्तर प्रदेश के एकरसानंद आश्रम में संत हैं. हालांकि, वह मूल रूप से मध्य प्रदेश के अमरकंटक के रहने वाले हैं. मध्यप्रदेश के अनूपशहर के आसपास के क्षेत्र में हरिहरानंद का अच्छा-खासा प्रभाव है.
हरिहरानंद आरएसएस समेत कई दूसरे हिंदू संगठनों के भी करीबी हैं.
5. नर्मदानंदजी
सीएम शिवराज सिंह द्वारा राज्य मंत्री के दर्जे से नवाजे गए बाबा नर्मदानंद जी नर्मदा नदी के किनारे बसे इलाकों में पूजे जाते हैं.
राज्य मंत्री का दर्जा मिलने के बाद बदले संत के सुर
बता दें कि सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जिन बाबाओं को राज्य मंत्री का दर्जा दिया है उनमें दो लोग ऐसे हैं, जो शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में थे. कंप्यूटर बाबा और योगेन्द्र महंत ने शिवराज सरकार के खिलाफ एक अप्रैल से पंद्रह अप्रैल तक ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ निकालने की घोषणा की थी.
घोषणा पर अमल शुरू होता इससे पहले ही सरकार ने 31 मार्च को एक समिति गठित कर दी. समिति में इन बाबाओं को भी रख लिया. तीन मार्च को पांच बाबाओं को राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया गया.
शिवराज सरकार ने ऐसे साधे संत
राज्य सरकार के तीन अप्रैल को जारी आदेश के अनुसार प्रदेश के विभिन्न चिन्हित क्षेत्रों में खास तौर पर नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता के विषयों पर जन जागरूकता का अभियान निरंतर चलाने के लिये 31 मार्च को विशेष समिति गठित की गई है. इस समिति के पांच विशेष सदस्यों-नर्मदानंद महाराज, हरिहरानंद महाराज, भैयू महाराज, कम्प्यूटर बाबा और योगेंद्र महंत को राज्यमंत्री स्तर का दर्जा प्रदान किया गया है.
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