Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019अखिल गोगोई बरी: UAPA का झूठा केस, ''जेल में यातना'', लेकिन झुके नहीं

अखिल गोगोई बरी: UAPA का झूठा केस, ''जेल में यातना'', लेकिन झुके नहीं

Akhil Gogoi पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के बाद एक मात्र राजनीतिक कैदी हैं जिन्होंने जेल से चुनाव जीत लिया

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p>Akhil Gogoi को NIA कोर्ट ने किया बरी</p></div>
i

Akhil Gogoi को NIA कोर्ट ने किया बरी

(फोटो-अलटर्ड बाई क्विंट हिंदी)

advertisement

गुरुवार, 1 जून को राष्ट्रीय जांच एजेंसी न्यायालय (NIA Court) ने असम के एक्टिविस्ट और सिबसागर से विधायक अखिल गोगोई (Akhil Gogoi) को नागरिकता संशोधन कानून(CAA) विरोधी हिंसा के मामले में उनपर लगे अंतिम आरोप से भी बरी कर दिया.

गुवाहाटी सेंट्रल जेल को रिहाई का आदेश दिये जाने के बाद गोगोई गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से बाहर आ गए. वहां उनका कई बीमारियों के लिए इलाज चल रहा था. इससे पहले 22 जून को कोर्ट ने गोगोई को एक अन्य मामले में आरोपमुक्त किया था. 1 जुलाई को अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए उन्हें दोनों मामले में बरी कर दिया.

आवाज उठाने की कीमत: गोगोई पर UAPA के दो मामले दर्ज

अखिल गोगोई को पहली बार 12 दिसंबर 2019 को जोरहाट में एक CAA विरोधी रैली के बाद गिरफ्तार किया गया था. उनका केस 2 दिन बाद NIA को स्थानांतरित कर दिया गया और उन पर देशद्रोह के आरोप में और गैरकानूनी गतिविधि( रोकथाम) अधिनियम, UAPA के प्रावधानों के तहत कथित रूप से प्रतिबंधित CPI(माओवादी) के एक भूमिगत कार्यकर्ता होने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था.

CAA विरोधी आंदोलन में हिंसा भड़काने के आरोप में सिबसागर, डिब्रूगढ़ , गौरीसागर, तेओक, जोरहाट समेत कई शहरों के पुलिस स्टेशन में गोगोई के खिलाफ FIR दर्ज किया गया था, जिनमें से 2,चांदमारी और चाबुआ में दर्ज मामले को NIA ने अपने पास मंगा लिया.

गोगोई को पिछले महीने चाबुआ मामले सहित सभी मामलों में बरी कर दिया गया था. हालांकि उनके वकीलों के अनुसार चांदमारी मामले की जमानत याचिका को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने जनवरी में और सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में खारिज कर दिया था.जून में चाबुआ मामले में बरी होने के बाद NIA ने चांदमारी मामले में एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर कर दिया.

गुरुवार के अपने 120 पन्नों के फैसले में कोर्ट ने गोगोई को सभी आरोपों में बरी कर दिया है और माना कि दायर चार्जशीट में गवाह योग्य नहीं हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

अखिल गोगोई : जमीन-जंगल की लड़ाई, जेल और ऐतिहासिक जीत

नागरिकता संशोधन कानून के विरोधी एक्टिविस्ट होने से पहले अखिल गोगोई की पहचान छात्र नेता और जमीन-जंगल की लड़ाई लड़ने वाले एक्टिविस्ट के रूप में भी थी. यहां तक की जेल जाने का उनका अनुभव भी यह पहली दफा नहीं था. इससे पहले वह कांग्रेस सरकार के दौरान भी गिरफ्तार किए जा चुके हैं. गोगोई असम में बांध और जमीन के मुद्दों पर सरकार का विरोध करते रहे हैं.

गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से स्नातक करने वाले 46 वर्षीय गोगोई 1995-96 के दौरान कॉलेज छात्र संघ के महासचिव थे. हाल ही में हुए असम विधानसभा चुनाव में गोगोई की जीत ऐतिहासिक रही क्योंकि वह पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के बाद एक मात्र राजनीतिक कैदी हैं जिसने जेल से चुनाव जीत कर दिखा दिया. उन्होंने सिबसागर सीट से बीजेपी की अपनी निकटतम प्रतिद्वंदी सुरभि राजकोनवारी को 11,875 मतों से हराया है.

चुनाव के पहले उन्होंने रायजोर दल का गठन किया था. निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़े अखिल गोगोई को 57,219 वोट मिले, जो कुल मत का 46.06% था. कांग्रेस ने शुरू में तो गोगोई का समर्थन किया लेकिन बाद में सुभ्रमित्रा गोगोई को अपना उम्मीदवार बना दिया जो तीसरे स्थान पर रहीं. यहां तक कि बीजेपी ने अपनी उम्मीदवार राजकोनवारी के समर्थन में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी तक को प्रचार के लिए उतारा था.

देशद्रोह,UAPA.... संगीन आरोपों का दुरुपयोग कब तक ?

अखिल गोगोई ऐसी पहली आवाज नहीं हैं जिसको दबाने के लिए शासन ने देशद्रोह और UAPA जैसे संगीन आरोपों का प्रयोग राजनैतिक टूल के रूप में किया है और जिसको अदालत ने गलत माना है.

इससे पहले हाल ही में जमानत पर बाहर आये तीन स्टूडेंट एक्टिविस्टों- कलिता,नताशा,तन्हा या सिद्दीकी कप्पन , विनोद दुआ,12 साल बाद झूठे मामले में जेल में रहने के बाद अपने घर कश्मीर पहुंचे बशीर अहमद बाबा की बात हो- ऐसे लोगों की लिस्ट लंबी है जिनके लिए न्याय की प्रक्रिया ही सजा बन गई हो. ऐसी स्थिति में सरकारी तंत्र के लिए विरोध के आवाजों को शांत करने का सबसे आसान विकल्प होता है-UAPA और देशद्रोह जैसे मामलों में गिरफ्तार कर लेना.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 01 Jul 2021,11:18 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT