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अखिलेश यादव को CBI का समन, आरोपी नहीं गवाह हैं SP प्रमुख, क्या है पूरा मामला?

अखिलेश यादव 2012 से जून 2013 तक खनन मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे थे.

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भारत
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अखिलेश यादव को CBI का समन, आरोपी नहीं गवाह हैं SP प्रमुख, क्या है मामला?

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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समाजवादी पार्टी (SP) प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav CBI Summon) को सीबीआई ने समन जारी कर 29 फरवरी को पेश होने को कहा है. पांच साल पहले दर्ज हुए अवैध खनन मामले में अखिलेश यादव गवाह हैं. हालांकि, SP प्रमुख के सीबीआई के समन पर नहीं हाजिर होने की संभावना है.

SP के पिछड़ा वर्ग के प्रदेश अध्यक्ष राजपाल कश्यप ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया, ''अखिलेश जी आज पार्टी कार्यालय में पीडीए की बैठक में शामिल होंगे.'' वहीं, प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, "वह कहीं नहीं जा रहे हैं, वह लखनऊ में एक बैठक में भाग लेंगे."

CBI समन पर क्या बोली SP?

अखिलेश यादव को CBI के नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस की यूपी इकाई के अध्यक्ष अजय राय ने कहा...

"BJP सौहार्दपूर्ण माहौल में हुए 'इंडिया ब्लॉक' के सीट बंटवारे से निराश है. देश में जहां भी चुनाव हो रहे हैं, कहीं ईडी, कहीं सीबीआई, कहीं आयकर विभाग का इस्तेमाल लोगों को तोड़ने के लिए किया जा रहा है."

हमीरपुर में अवैध रेत खनन का पूरा मामला क्या?

CBI ने राज्य के हमीरपुर जिले में अवैध रेत खनन के एक मामले में गवाह के रूप में पूछताछ के लिए यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बुलाया है.

ये मामला ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का कथित उल्लंघन कर खनन पट्टे जारी करने के मामले से जुड़ा है. सीबीआई इस मामले में अखिलेश और उनकी कैबिनेट के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की भूमिका की जांच कर रही है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर 2 जनवरी, 2019 को दायर अपनी FIR में, सीबीआई ने कहा था, “मामले की जांच के दौरान संबंधित अवधि के दौरान तत्कालीन खनन मंत्रियों की भूमिका पर गौर किया जा सकता है.”

सीबीआई अधिकारी ने बताया...

"अखिलेश यादव 2012 से जून 2013 तक खनन मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे थे. उसके बाद यह मंत्रालय तत्कालीन अमेठी विधायक प्रजापति के अधीन आ गया. चूंकि सभी अनियमितताएं 2012 और 2016 के बीच हुई हैं, इसलिए अखिलेश और प्रजापति दोनों की भूमिका की जांच की जानी है."

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, CBI ने 5 जनवरी, 2019 को अवैध खनन से जुड़े मामले के सिलसिले में दिल्ली और यूपी में 14 स्थानों की तलाशी ली थी. जिन स्थानों की तलाशी ली गई, उनमें तत्कालीन SP एमएलसी रमेश कुमार मिश्रा और बीएसपी नेता संजय दीक्षित के आवास भी शामिल थे. इसके अलावा, हमीरपुर की जिलाधिकारी बी चंद्रकला सहित अन्य लोगों के आवासों की भी तलाशी ली गई.

सीबीआई FIR में आरोपी बनाए गए 11 लोगों के दिल्ली, हमीरपुर, जालौन, नोएडा, कानपुर और लखनऊ के ठिकानों पर जांच एजेंसी ने सर्च ऑपरेशन चलाया था.

एमएलसी मिश्रा और उनके भाई दिनेश कुमार उन खनन पट्टा धारकों में से हैं, जिन्हें कथित तौर पर इन अनियमितताओं से लाभ हुआ. BSP के दीक्षित और उनके पिता सत्यदेव के पास भी इस अवधि के दौरान कुछ पट्टे थे. सभी को FIR में नामजद किया गया है.

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छापेमारी उस दिन की गई, जब SP और BSP ने 2019 चुनावों के लिए सीट बंटवारे को अंतिम रूप दिया और औपचारिक रूप से RLD के साथ अपने गठबंधन की घोषणा की थी.

अन्य आरोपी कौन?

अपनी तलाशी के दौरान, CBI का दावा था कि उसने एक आरोपी रामअवतार सिंह के आवास से 2 करोड़ रुपये नकद और 2 किलोग्राम सोना बरामद किया था, जो कथित तौर पर अपराध के समय हमीरपुर में खनन विभाग में क्लर्क थे. वे जालौन से वरिष्ठ लिपिक पद से सेवानिवृत्त हुए. सीबीआई के मुताबिक, रामअवतार के पास बेनामी खनन पट्टे भी थे और उन्हें पांच साल के लिए नौकरी से निलंबित कर दिया गया था.

खनन विभाग के तत्कालीन भूविज्ञानी मोहम्मद मोइनुद्दीन के आवास पर एक अन्य तलाशी में, सीबीआई ने 12.5 लाख रुपये नकद और 2 किलो सोना बरामद करने का दावा किया.

प्रजापति का प्रमुख सहयोगी आदिल खान, राम आश्रय प्रजापति, तत्कालीन खनन लिपिक, हमीरपुर; पट्टाधारक अंबिका तिवारी उर्फ बब्लू मिश्रा और करन सिंह भी आरोपी बनाए गए.

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