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दिल्ली शराब नीति से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत मिली है. उन्हें 2 जून को सरेंडर करना होगा. जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने आदेश सुनाया.
इससे पहले ED ने गुरुवार को सीएम केजरीवाल को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का जोरदार विरोध किया था.
अरविंद केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वकील शादान फरासत ने कहा, "अदालत ने कहा कि वे केजरीवाल को 2 जून तक अंतरिम जमानत पर रिहा कर रहे हैं. चुनाव प्रचार के दौरान और इन 20-22 दिनों में बाहर रहने के दौरान वह क्या कह सकते हैं और क्या नहीं कह सकते हैं, इसको लेकर कोई शर्त नहीं लगाई गई है."
इससे पहले 7 मई को अरविंद केजरीवाल के अपने गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था "हम सीएम के अंतरिम जमानत पर विचार करेंगे. केजरीवाल एक निर्वाचित नेता हैं और लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने की उन्हें जरूरत है."
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि अगर चुनाव नहीं होते तो हम कोई अंतरिम राहत नहीं देते. हम मामले को सुनते और अपना फैसला सुरक्षित रखते.
कोर्ट ने केजरीवाल के वकील डॉ. सिंघवी स कहा था कि अगर हम कोई अंतरिम जमानत देते हैं तो हम नहीं चाहते कि आप ऑफिशियल ड्यूटी नहीं करेंगे क्योंकि कहीं न कहीं इससे टकराव की स्थिति पैदा हो जाएगी. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि हम सरकार के कामकाज में बिल्कुल भी हस्तक्षेप नहीं चाहते.
9 मई को ED ने केजरीवाल की जमानत का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था. इसमें ED ने सुप्रीम कोर्ट के चुनाव वाले तर्क पर कहा कि "केजरीवाल चुनाव में प्रत्याशी नहीं हैं. इससे पहले किसी नेता को प्रचार के लिए न्यायिक हिरासत से जमानत नहीं मिली है. प्रचार करना मौलिक अधिकार नहीं है." जिसके तुरंत बाद केजरीवाल की लीगल टीम ने हलफनामे पर कड़ी आपत्ति जताई है. सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में एक शिकायत दर्ज की है. इसमें हलफनामे को कानून की अवमानना बताया गया.
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